बाड़मेर(अमर छत्तीसगढ) 24 जुलाई। स्थानीय श्री जिनकांतिसारगसूरी आराधना भवन में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी द्वारा चल रहा अनुभवानंदी वर्षावास प्रवचनमाला मे मंगलवार की श्रृखंला मे साध्वी शीलांजना श्रीजी ने कहा की इस चार माह चातुर्मास वर्षावास मे जप,तप,त्याग आराधना, साधना एवं वीर प्रभु की वाणी सुनकर हमे प्यास बुझानी है।
भगवान ने कितने भी उपसर्ग सहे पर समभाव मे रहकर कभी भी क्रोध,आवेशित नही हुए तब उनको केवल ज्ञान व मोक्ष प्राप्त हुआ था तप त्याग तो करते है,सामायिक भी करते पर घर जाकर उसी काम क्रोध, मोह माया मे फस जाते है इसलिए बैलेंस शीट जीरो की जीरो रहती है, हमे सामायिक के बाद भी सम भाव मे रहना ही कर्मो की निर्जरा करना है।
अपने धर्म की शुरुआत घर से होनी चाहिए, अपने घर मे बुजुर्ग मात-पिता जी की सेवा न करके वेदना न देखकर यदि हम कितने भी मंदिर पुजा नियमित कर ले ,आपके कर्मोदय काल का आना संभव नही है पहले घर परिवार संदस्यो की सेवा करना हमारा कर्तव्य है।
पहले घर ही मंदिर है फिर भगवान की पुजा करनी ही जीवन की सार्थकता है उसके बिना आपकी 20-25 वर्ष से की गयी पुजा आराधना भी निष्फल है। सुग्रहणी उसे कहा गया है जिस पर पुरा परिवार ऋणी हो उसे कहते है ग्रहणी , इनके उपकार परिवार पर अंनत उपकार है, घर स्वर्ग बन जाएगा यदि बङे बुजुर्ग को मुल नायक भगवान समझकर, नणद जेठानी को देवी देवता समझ कर परिवार मे व्यवहार करे तो घर स्वर्ग ही बन जाएगा।
यह व्यवस्था हो जाए तो समझो जैसे प्रभु परमात्मा देशना देते है। तब उसी समोसरण मे शेर ओर बकरी भी आस पास बैठकर सुणते है उसी प्रकार भी नणद भाभी व देवरानी जेठाणी भी एक साथ मिलकर सब कामकाज मे प्रेम संबंध बनाते है तो समझो घर स्वर्ग से कम नही है ।
प्रवचनमाला में गुरूवर्या श्री कल्पलता श्री ने हम कितने वर्षो से प्रवचन सुणते आए है हमारे जीवन मे परिवर्तन कितना आया है हमे ज्ञानवर्धक जिनवाणी को सिर्फ सुणकर नही अपने जीवन मे भी उतारना है
श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी के प्रकाशचंद सेठीया व मिडिया प्रभारी अशोक संखलेचा भूणिया ने बताया कि खरतरगच्छ संघ बाड़मेर में चल अनुभवानन्दी चातुर्मास में कल सुत्र व चारित्र वोहराने की बोलीया लगाई जाएगी जो लाभार्थी लाभ लेगा उनके द्वारा चार माह हैतु गुरूवर्या श्रीजी को सूत्र व चारित्र वोहराने का लाभ अगले दिन दिया जाएगा। 11 अगस्त को नेमीनाथ जन्म दीक्षा कल्याणक महोत्सव का रंगमंचन किया जाएगा जिनके पात्र बनने की भी बोलीया कल लगाई जाएगी।
चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन प्रातः में भक्ताम्बर पाठ, प्रातः व सांयकालीन प्रतिकमण व तपस्याएं निरंतर चालू है।