दुनिया में सुख-दुख जैसा कुछ नहीं, मनुष्य ने परिस्थियों के अनुसार इसे परिभाषित किया- श्री विरागमुनि जी

दुनिया में सुख-दुख जैसा कुछ नहीं, मनुष्य ने परिस्थियों के अनुसार इसे परिभाषित किया- श्री विरागमुनि जी

आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024

रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 24 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 के पांचवें दिन बुधवार को दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनि जी ने कहा कि आपके अंदर जब आध्यात्मिक जाग जाएगा तो आपको केवल अपने आत्मा के कल्याण की ही सूझेगी ताकि आपका मोक्ष का रास्ता आसान हो जाए। आज सभी को एक कल्याण मित्र की आवश्यकता है और उसके मिलने पर हमें उसके प्रति समर्पित भी रहना होगा।

जीवन में कल्याण मित्र के साथ हमें पारदर्शिता बनाए रखनी होगी। आपको कल्याण मित्र की हर बात पर हां बोलना होगा और वह जैसे कहें उसे बिना किसी संकोच के मानना होगा। जो आत्मा की क्वालिटी का डेवलपमेंट करें वैसा ही हमारा कल्याण मित्र होना चाहिए, जिसके सामने विचार करने की कोई जरूरत हमें नहीं पढ़नी चाहिए।

जगत में आज सुख-दुख जैसी कोई चीज नहीं है, मनुष्य ने परिस्थितियों के अनुसार इसे परिभाषित किया है। क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी अपना रिकार्ड बनाने के लिए कड़ी धूप में दिनभर खेलने को तैयार होते हैं और ठीक इसके विपरित जब आपको किसी को पैसे देने जाना हो तो मौसम कितना भी आपके अनुकूल हो आपको बहुत तकलीफ होती है।

आज कोई ग्राहक आपकी दुकान के सामने अपनी बाइक पार्क करके आपके बाजू वाली दुकान में चला जाता है तो आपको कितना दुख होता है। वही ग्राहक बगल की दुकान में लाखों का ऑर्डर दे दे तो आप ईर्ष्या की आग में जलकर राख हो जाएंगे।

जब कुछ दिन बाद आपको पता चले कि जिस ग्राहक ने लाखों का समान का आर्डर दिया था वह कर्ज में चला गया, उसकी कंपनी ही डूब गई तो आपको कितना अच्छा लगेगा। आप तो सोचेंगे ही कि यह तो बहुत अच्छी बात है कि उसने मेरी दुकान से सामान नहीं खरीदा। यह सुख-दुख हमने अपने जीवन में खुद ही बना लिया है जबकि ऐसी कोई स्थिति नहीं है कि जब आपको सुख का आभास हो या आप पर दुख का पहाड़ टूट पड़े।

आज हम अपने मन के भरोसे रहते हैं, हमारा मन कभी भी कोई भी स्थिति निर्मित कर सकता है लेकिन अगर आप प्रेक्टिकल जीवन में मन के भरोसे रहोगे तो आपको दुख ही मिलेगा। इसके लिए हमें धर्म श्रवण करना होगा ताकि हम अपने मन को नियंत्रित कर सके।

आज हमारा मन इतना पावरफुल हो गया है कि धर्म के रास्ते में यहां अंतराय खड़ा करता है। मन इतना ताकतवर हो चुका है कि हम कुछ भी कर सकते हैं अगर एक बार ठान लिया तो दुनिया की कोई ताकत आपको नहीं रोक पाएगी इसलिए हमें अपने मन को और ताकतवर बनाना है।

हमें विवेक से काम लेना है और अपने पापों को कम करना है लेकिन हम ऐसा नहीं करते हैं। इसी क्रम में हम सांसारिक दुनिया में उलझे रहते हैं और धर्म की बात जब आती है तो हम एक तारीख सेट करते हैं कि हम इसके बाद यह पूजा करेंगे और हम इस ट्रिप से आने के बाद यह अनुष्ठान करवाएंगे।

जब आपको गाड़ी, टीवी या एसी जैसी सुख सुविधा वाली मशीन खरीदनी होती है तो आप बहुत ज्यादा दिन इंतजार नहीं करते, जरूरत के हिसाब से खरीदते हैं लेकिन आज धर्म के क्षेत्र में अपने एक माइलस्टोन लगा रखा है। जब बाजार में आपकी दुकान पर कोई ग्राहक आता है तो आपको बाजार का शोर, आसपास चलने वाली गाड़ियों का शोर सुनाई नहीं देता है सिर्फ आपको ग्राहक की आवाज ही सुनाई देती है क्योंकि आपका लक्ष्य वही है।

जबकि आप धर्म के लिए अलग से समय निकालकर मंदिर जाते हैं और वहां पर आप जिनवाणी का श्रवण नहीं कर पाते क्योंकि आपका लक्ष्य वह नहीं है। अपने धर्म को लक्ष्य नहीं बनाया है केवल एक घंटा समय बिताने के लिए आप मंदिर चले जाते हो।

आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के प्रचार प्रसार संयोजक तरुण कोचर और नीलेश गोलछा ने बताया कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।

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