आपका मन धर्म में लग जाए तो चार महीने आपको प्रोत्साहित करने की आवश्यकता नहीं होगी : मुनिश्री विरागमुनि जी

आपका मन धर्म में लग जाए तो चार महीने आपको प्रोत्साहित करने की आवश्यकता नहीं होगी : मुनिश्री विरागमुनि जी

आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024

रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 28 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 के नौवें दिन रविवार को दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनि जी ने कहा कि आज हमें जो करना है वह बहुत ही क्लियर होना चाहिए, जिस काम को आप करने जा रहे हो उसकी आखिरी मंजिल आपको पता होनी चाहिए क्योंकि कभी अगर आपको वह काम छोड़ने का मन हो तो आपको आपका लक्ष्य याद आ जाना चाहिए। आज तो आपके पास जो है पुराने पुण्यों और गुरु की कृपा से आपको मिला है। आज मानव जीवन मिला है तो हम संसार की सूक्ष्मता को समझने में समर्थ है लेकिन आज कोई इसे जानना नहीं चाहता, समझना नहीं चाहता। आज कर्म सत्ता आपको सब कुछ दे रही है तो धर्म की ओर आपका ध्यान नहीं है।

मुनिश्री ने कहा कि आज आपको जिनवाणी सुनने का मन है, आपके पास समय है, आप जाते हैं एक घंटे जिनवाणी सुनते हैं पर उसे जीवन में उतारते नहीं है। ऐसा नहीं करने के लिए आपके पास सौ बहाने होते हैं। लोगों को बहुत कठिन लगता है धर्म करने में लेकिन कठिन है नहीं। बस आपको थोड़ा सा पुरुषार्थ करना होगा और बाकी आपका मन भी लगने लग जाएगा। एक बार आपका मन धर्म में लग जाएगा तो आपको इतना प्रोत्साहित करने की जरूरत हमें नहीं पड़ेगी।

एक प्रसंग के माध्यम से मुनिश्री ने बताया कि एक बच्चा दसवीं क्लास में फेल हो जाता है और तुरंत आत्महत्या करने का मन बना लेता है। आज पढ़ा लिखा व्यक्ति ही ज्यादा सुसाइड कर रहा है जबकि कम पढ़े लिखे, जैसे तैसे अपना जीवन यापन करने वाले लोग ऐसा नहीं सोचते हैं। वह बच्चा जब आत्महत्या करने जा रहा होता है तो उसे एक व्यक्ति पूछ लेता है कि कहां जा रहे हो। वह कहता है कि मैं सुसाइड करने जा रहा हूं, उस पर वह व्यक्ति कहता है कि चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा और सुसाइड करने में तुम्हारी मदद भी करूंगा। मुनिश्री कहते हैं कि आप किसी काम को करने की जिद्द ठान ले तो सब आपको मना करते हैं फिर भी आप वह काम करना चाहते हैं चाहे उसका परिणाम नकारात्मक ही क्यों ना हो। जबकि कोई गलत काम करने में आपका साथ देने में सहमति जताता है तो आपके मन में यह बात जरूर आती है कि मैं तो गलत कर ही रहा हूं, इसे मैं गलत क्यों करने दूं और इसी वाक्य से व्यक्ति का मन बदल जाता है।

व्यक्ति उस बच्चे से कहता हैं कि ठीक है तुम आत्महत्या कर लो लेकिन एक बात बताओ तुम मर जाओगे फिर अगले जन्म में पैदा होकर तुम्हें फिर से नर्सरी पढ़ना पड़ेगा। क्लास वन से लेकर 5th तक, 5th से लेकर 8th और फिर दसवीं की परीक्षा एक बार और तुम्हें देनी होगी और अगर तुम उसमें फिर से फेल हो गए तो तुम्हारे 16 साल बर्बाद हो जाएंगे, तो कुछ विषयों के लिए 16 साल बर्बाद क्यों करना। तुम उसके बदले एक साल के अंदर उन विषय को तैयार करो जिसमें तुम कमजोर हो और अपने बाकी के 15 साल बचा लो। मुनिश्री कहते हैं कि ठीक इसी तरह हमें धर्म करने और मोक्ष जाने का मौका मिला है तो हम इसे छोड़ रहे हैं। जबकि अगले भव में तो कोई गारंटी ही नहीं है कि हमें मनुष्य जीवन फिर मिल पाएगा या नहीं।

सिद्धि तप 31 जुलाई से

मुनिश्री विरागमुनि जी एवं संतगण की पावन निश्रा में दादाबाड़ी में 31 जुलाई से सिद्धि तक प्रारंभ होने जा रहा है। इसके पहले उत्तर पारणा 30 जुलाई को शाम 4 बजे दादाबाड़ी प्रांगण में होगा और अगले दिन की 31 जुलाई बुधवार से सिद्धि तक प्रारंभ होगा। दादाबाड़ी मैं सिद्धि तप एक 31 जुलाई से प्रारंभ होकर 44 दिन यानी 12 सितंबर तक चलेगा और 13 सितंबर को तप पारणा होगी। तपस्या के पारणे की व्यवस्था श्रीसंघ द्वारा किया जाएगा। आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के अध्यक्ष पारस पारख और महासचिव नरेश बुरड़ ने बताया कि 31 जुलाई से सिद्धि तक प्रारंभ होने जा रहा है और इसमें भाग लेने के लिए श्रावक-श्राविकाएं अपना नाम समिति के पास दर्ज करा दे ताकि उनके तप और पारणे की व्यवस्था श्रीसंघ द्वारा की जा सके।

रविवारीय शिविर में नैतिक मूल्यों की जानकारी दी
जैन दादाबाड़ी मंदिर प्रांगण में रविवारीय संस्कार शिविर का आयोजन किया गया। इस क्रम में रविवार को बच्चों के नैतिक मूल्यों को विकसित करने और बेहतर समाज बनाने में उनकी भूमिका के बारे में उन्हें अवगत कराया गया।

आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के प्रचार प्रसार संयोजक तरुण कोचर और निलेश गोलछा ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि दादाबाड़ी में प्रतिदिन सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री की प्रवचन श्रृंखला जारी है, आप सभी धर्म बंधुओं से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।

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