महंगे से महंगे डेस्टिनेशन में वह सुख नहीं है जो आपके अंदर छिपा हुआ है – श्री विरागमुनि जी

महंगे से महंगे डेस्टिनेशन में वह सुख नहीं है जो आपके अंदर छिपा हुआ है – श्री विरागमुनि जी

आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024

रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 29 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 के प्रवचन श्रृंखला के दसवें दिन सोमवार को दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनि जी ने कहा कि आज लोग दुनिया की सैर कर सुख की कामना करते है लेकिन वह सुख आपको संसार के किसी कोने में नहीं मिलने वाला है। आप दुनिया के किसी भी महंगे से महंगे लोकेशन पर चले जाए लेकिन आप चार दिनों से ज्यादा वहां नहीं रूक पाएंगे। आपको रूकना है तो स्वयं पर रूके, वैसे भी यह जीवन हमें ठहरने के लिए मिला है, घूमने के लिए नहीं।

आज धर्मशालाओं को 5 स्टार होटल के रूप में विकसित किया जा रहा है, जबकि यह सही नहीं है। हमें मोक्ष प्राप्त करना है और मोक्ष प्राप्त करने के लिए हमें किसी कठिन रास्ते से नहीं बल्कि सरलता के रास्ते पर चलना है और धर्म से सरल रास्ता कुछ भी नहीं है। पारदर्शिता के साथ सरल जीवन जियोगे तो मोक्ष का रास्ता आसान हो जाएगा। लोग आज दोहरा जीवन जीने लगे है। अपने सुख के लिए बहुत सारा धन खर्च करते है और गरीबों से मोलभाव करते है।

मुनिश्री ने आगे कहा कि हम पर आज सभी जीवों का उपकार है, हमारे लिए ना जाने कितने जीव रोज अपनी जान देते हैं, तब जाकर हम सुखद जीवन जी रहे हैं। हमें उन सभी जीवों का उपकार मानना है नहीं तो हमारे अंदर क्रूरता आ जाएगी और हमें इसका एहसास कभी नहीं होगा कि हमारे लिए कितने लोगों ने अपने जीवन का त्याग किया है।

मुनिश्री ने आगे बताया कि आज शहर में जगह-जगह शोभायात्रा, भगवान की मंगल यात्राएं निकलती है और उसके पीछे श्रद्धालु प्रसाद बांटते हुए चलते हैं। यह प्रसाद उन लोगों को भी मिलता है जिन्हें भगवान पर कोई आस्था नहीं रहती लेकिन एक बार प्रसाद का स्वाद चखकर उन्हें यह अहसास जरूर होता है कि किसी की कृपा से आज हमें यह प्रसाद खाने का मौका मिला और उनके अंदर भी भगवान के प्रति आस्था जागृत हो जाती है।

आज लोग भंडारा कराते है लेकिन आपने देखा होगा कि कोई भी अपने नाम से भंडारा नहीं कराता, वह किसी मंदिर या प्रभु के नाम से ही भंडारा कराते है। किसी की जयंती, पर्व, त्यौहार या पुण्यतिथि पर ऐसे भंडारे किए जाते हैं जिसमें लोग आकर खाना खाते हैं और यह भंडारा रास्ते में चलने वाले लोगों को भी बांटा जाता है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि ऐसा भोजन भूखे के पेट तक पहुंच जाए और उनके जुबान पर भगवान का नाम आ जाए। अब ऐसा नहीं है कि आप आलू नहीं खाते तो भंडारे में भी आलू नहीं रखेंगे, आप बिल्कुल भंडारे में आलू रख सकते हैं और भंडारे का जो लाभ है वह आपको जरूर मिलेगा।

मुनिश्री ने आगे कहा कि दुनिया में आज हर कोई दुखी है, सभी परेशान है लेकिन प्रभु भी हर किसी का दुख नहीं हर सकते, तो हम क्या चीज है। हम किसी का दुख सुनते हैं तो हमारा दिल भी पसीज उठता है लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं कुछ पैसों की मदद या अन्य मूलभूत व्यवस्था ही कर सकते हैं लेकिन हमें ऐसी व्यवस्था बनानी है कि हमारी ओर से किसी को दुख न पहुंचे।

आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के अध्यक्ष पारस पारख और महासचिव नरेश बुरड़ ने बताया कि 30 जुलाई, मंगलवार को सुबह 11 बजे दादाबाड़ी में उत्तर पारणा होगी। वहीं, अगले दिन बुधवार, 31 जुलाई से गणाधीश पन्यास प्रवर श्री विनयकुशल मुनिजी गणि महाराजा आदि साधु साध्वी ठाना की पावन निश्रा में सिद्धि तप प्रारंभ होने जा रहा है और इसमें भाग लेने के लिए श्रावक-श्राविकाएं अपना नाम समिति के पास दर्ज करा दे ताकि उनके तप और पारणे की व्यवस्था श्रीसंघ द्वारा की जा सके।

आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के प्रचार प्रसार संयोजक तरुण कोचर और निलेश गोलछा ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि दादाबाड़ी में प्रतिदिन सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री की प्रवचन श्रृंखला जारी है, आप सभी धर्म बंधुओं से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।

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