हमे व्यर्थ में समय ना गंवाकर, धर्म की ओर धार्मिक क्रियाओं की आदत बनानी चाहिए – मुनिश्री सुयश सागर

हमे व्यर्थ में समय ना गंवाकर, धर्म की ओर धार्मिक क्रियाओं की आदत बनानी चाहिए – मुनिश्री सुयश सागर

बिलासपुर सरकंडा जैन मंदिर शीतकालीन वाचना का शुभ प्रसंग जैन धर्मावलंबियों के लिये आरंभ हुआ। शुक्रवार को प.पू.मुनि 108 श्री सुयश सागरजी महाराज एवं प.पू. मुनि 108 श्री सद्भाव सागरजी महाराज का प्रवचन एवं कई धार्मिक कार्यक्रम संपन्न हुवे। प्रवचन में सकल जैन समाज के श्रावक श्राविका बड़ी संख्या में उपस्थित थे ।

सोमवार को प्रवचन में मुनिश्री सुयश सागर के सानिध्य में पारसनाथ भगवान की स्तुति पर आधारित कल्याण मंदिर स्त्रोत का विधान किया गया ।
मुनिश्री ने बताया यदि हम निरंतर पाठ स्तुति मंत्र करते हैं तो हमारी आदत बन जाती है एक महिला जो निरंतर पाठ करती थी वह किसी कारणवश कोमा में जाने पर भी उसे पाठ करने को कहा गया तो उसकी सारी उंगलियां अपने आप ही मंत्र जपने की ओर मुड़ गई। इस प्रकार मुनिश्री जी ने बताया हमे व्यर्थ में समय ना गंवाकर धर्म की ओर धार्मिक क्रियाओं की आदत बनानी चाहिए ।
मुनिश्री जी ने बताया कि आजकल विद्यार्थी या अन्य कोई भी व्यक्ति जल्दी भूल जाता है यदि किसी भी विषय को पक्का करना है तो उसका मात्र जानने के अलावा धारणा में नहीं लाया गया तो सिर्फ पढ़ने मात्र से भूल जाते हैं इसीलिए विषय को पढ़ने के बाद धारणा में मजबूती बनानी चाहिए । उन्होंने बताया की प्रथम तीर्थंकर श्री 1008 आदिनाथ भगवान को नारी स्वर इसलिए कहा गया क्योंकि अर मतलब शत्रु, उन्होंने 8 कर्मों में से 4 कर्मों को नाश कर केवल ज्ञान प्राप्त किया तब उन्हें यह संज्ञा दी गई ।

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