मुनि शीतलराज का प्रवचन धर्मसत्ता, सामायिक, वीतराग, वाणी पर कहा जिसको धर्म का ज्ञान दुख में तड़पेगा नहीं, सुख में फुलेगा नहीं

मुनि शीतलराज का प्रवचन धर्मसत्ता, सामायिक, वीतराग, वाणी पर कहा जिसको धर्म का ज्ञान दुख में तड़पेगा नहीं, सुख में फुलेगा नहीं


रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 1 अगस्त। स्थानीय पुजारी पार्क स्थित मानस भवन में अपने चातुर्मासिक प्रवचन पर बोलते हुए शीतलराजी मसा आडा आसन त्यागी, सूर्य अतापना धारी ने धर्मसत्ता सामायिक स्वाध्याय वीतराग वाणी, श्रद्धा, ज्ञानी, अज्ञानी पर कहा।

उन्होंने सामायिक की साधना प्रतिक्रमण स्वाध्याय पर सोदाहरण कहा कि राजा श्रेणिक ने भगवान महावीर से सामायिक का मूल्य पूछा तो भगवान ने उत्तर दिया हे राजन तुम्हारे पास जो चांदी, सोना व ज्वरात है उनकी थैलियों का ढेर सूर्य और चांद को छू जावें फिर भी सामायिक का मूल्य इससे बहुत बड़ा है। उन्होंने सामायिक के महत्व को विस्तृत रुप से बताते हुए कहा कि एक व्यक्ति प्रतिदिन लाखों स्वर्ण मुद्राओं का दान करता है।

दूसरा व्यक्ति दो घड़ी की सामायिक करता है। तो वह स्वर्ण मुद्राओं का दान करने वाला व्यक्ति सामायिक करने वाले व्यक्ति की समांता प्राप्त नहीं कर सकता है। गौतम ने महावीर से पूछा शुद्ध सामायिक का क्या फल गौतम ने कहा बियानवे करोड़ उनसाठ लाख पच्चीस हजार नौ सौ पच्चीस पल्योपम से अधिक नारकी का आयुष्य क्षय कर देवता का शुभ आयुष्य उपार्जन करें।
आज मुनि शीतलराज ने देव गुरु धर्म पर कहा कि यह रहेगा तो सब कुछ अच्छा रहेगा। वीतराग वाणी पर अटूट आस्था हो जावे आदगवाणी जिसको श्रद्धा है वह उन वचनों को भावपूर्वक आचरण करने वाला होता है। उन्होंने कहा जिनको ज्ञान नहीं वो वीतराग की वाणी को काठ के टूकड़े के समान मानता है।

उन्होंने इसका जंगल व लडक़ी काडऩे इत्यादि का उदाहरण दिया। कहा ज्ञान नहीं होने से उस रत्न को भी काट का टुकड़ा समक्ष लेते है। भगवान ने चार दुर्लभ बताए जिसमें पैसे, पति, परिवार एवं प्रतिष्ठा है। इसको याद रखे तो वाणी के प्रति श्रद्धा जागरित होगी। लोहे एवं सोने को तपाने का भी सोदाहरण दिया। धर्म सत्ता के प्रति हमारी श्रद्धा हो धन चला गया घबराने की जरुरत नहीं परंतु आदमी अज्ञांता के धन चला गया इस पर चिंतन मनन करना चाहिए।

लक्ष्मी सदा एक जगह नहीं रहती। हम सुख को दूर करने और पाप करते है लेकिन ज्ञान होगा ये दुख क्यो है तब पाप से दूर रहने का प्रयास करेंगे। उन्होंने हमेशा की तरह कहा हम सामायिक साधना करें पाप से मुक्त होगा। सामायिक समझे जीवन को सुखमय बनायें।
प्रेमचंद भंडारी ने तेले की लड़ी उपवास आंबिल, एकासना, व्यासना, डेढपोरसी करने वालों का नाम बताया तथा मुनि शीतलराज ने पचखान मिलाया।

चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुरेश सींगवी ने कहा श्रावक सामायिक उपकरण को व्यवस्थित रखे। मोबाईल को साइलेंट में रखे जो भी पचखान ले रहे है भोजन शाला पहुंचे। श्री सींगवी ने कहा आगामी 4 अगस्त रविवार को दयादिवस के रुप में मनाए उस दिन पक्की भी है। प्रतिक्रमण पाले सामायिक करें। 4 अगस्त को ही सुबह डेढ़ से चार बजे तक भागीदार पहुंचे।

श्री सींगवी ने कहा कल रात्रि में धर्म चर्चा के साथ समर भी है। जिसमें कल बुधवार को मनोज महेता, राजू भाई, विनोद जैन उन्होंने स्वयं भाग लिया तथा आज रात्रि को श्रेयांश कोठारी दुर्ग, संजय नाहटा उम्मेद सुराना, सुबोध सिघवी, सुरेश गुदेचा, राजू भाई, विनोद जैन भाग ले रहे है। शीतलराज मुनि ने सुबह व दोपहर में सभी को मांगलिक का आर्शीवाद दिया।

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