अम्बाजी(अमर छत्तीसगढ)14 अगस्त। मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 134वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 97वीं जयंति के उपलक्ष्य में सप्त दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव कार्यक्रम के दूसरे दिन श्रद्धा एवं भक्तिभाव के साथ शांतिनाथ भगवान का जाप किया गया।
पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा आदि ठाणा के सानिध्य में जाप के माध्यम से श्रावक-श्राविकाओं ने शांति जिनेश्वर शांति करो सभी जीवो को सुखी करो की स्तुति करते हुए सर्वमंगल ओर कल्याण की कामना की।
धर्मसभा में सेवारत्न श्री हरीशमुनिजी म.सा. ने कहा कि पूज्य गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. एवं शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. ऐसे महान संत थे जिनकी प्रेरणा से लाखों लोगों का जीवन सुधर गया ओर वह भक्तों के भगवान बन गए। भक्त गुरू उसे ही मानता है जो उसे ईश्वर प्राप्ति का सन्मार्ग बताते है। पूज्य गुरूदेव की वाणी का प्रभाव ऐसा था कि गलत कार्य करने वाले भी उनका त्याग कर सद्मार्ग से जुड़ जाते थे ओर उनके विचार बदल जाते थे।
गुरूदेव की वाणी का प्रभाव व आभामण्डल ऐसा था कि करीब 72 वर्ष पूर्व जोधपुर जिले में पीपाड़ सिटी के पास मादलिया गांव में डाकू लूट की भावना से पहुंचे थे। वहां उन्हें पता चला कि यहां गुरू मिश्री रूप विराजमान है तो वह बिना डकैती डाले ही उस गांव से लौट गए। ऐसी श्रद्धाभावना के उदाहरण मिलना कठिन है।
धर्मसभा में युवा रत्न श्री नानेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि गुरूओं की भक्ति ही जीवन का कल्याण कर सकती है। गुरू ही होते है जो शिष्य को सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देकर उसे धर्म व साधना के मार्ग से जोड़ते है। गुरू का सम्मान करने वाला शिष्य जीवन में हर संकट का सफलतापूर्वक सामना कर लेता है वहीं गुरू के संदेशों की अनदेखी करने वालों को जीवन में दुःखों का सामना करना पड़ता है। इसलिए गुरूवर के सेवा व कल्याण की भावना से दिए जाने वाले संदेश हमेशा अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें।
धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने गुरू द्धय के जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि पूज्य रूपचंदजी म.सा. का जन्म नाड़ोल की पावन धरा पर हुआ था जहां विभिन्न परम्पराओं के एक हजार मंदिर थे। उनके दादा क्षत्रिय कुल के ठाकुर देवीसिंहजी थे। उन्हें लालपुरीजी महाराज के आशीर्वाद से पुत्ररत्न के रूप में भैरोसिंह की प्राप्ति हुई।
इस पुत्र को उन्होंने लालपुरीजी को ही समर्पित कर दिया जिससे उनका नाम भैरू पुरी हो गया। भैरू पुरीजी के ही पुत्र के रूप में रूपचंदजी म.सा. का जन्म हुआ था। शिक्षा प्राप्त करने के बाद वैराग्यभाव जागृत हुए। नाडोल में पूज्य मोतीलालजी म.सा. व धीरजमलजी म.सा. का मिलन हुआ इसके बाद उनकी जोधपुर में दीक्षा हुई। पूज्य रूपचंदजी म.सा. की प्रेरणा से ही नाडोल के आशापुरा माताजी के मंदिर में बलि प्रथा बंद हुई ओर बावड़ी का खारा पानी मीठा बन गया।
इस बारे में आज भी मंदिर में बोर्ड लगा हुआ है। इसी तरह पूज्य मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा.ने भी जीवदया व मानव सेवा के लिए अनुकरणीय कार्य किए। उन्होंने बिलाड़ा में हर तरह का विरोध व पीड़ा झेलकर भी मछलियों को मारना बंद कराया ओर लोगों को सदा हिंसा नहीं कर जीवदया की प्रेरणा दी।
मरूधर केसरी ने ब्यावर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से मिलने के साथ ही लोगों को स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए भी प्रेरित किया था। धर्मसभा में प्रार्थनार्थी सचिनमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने आयम्बिल, एकासन, उपवास तप के प्रत्याख्यान भी लिए।आज की प्रभावना के लाभार्थी श्रीमान शांतिलाल जी , राकेश कुमार जी ऑचलिया बैंगलोर। धर्मसभा में अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ के द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन गौतमकुमार बाफना ने किया।
द्वय गुरूदेव जयंति समारोह का मुख्य आयोजन कल
द्वय गुरूदेव जयंति महोत्सव के सप्त दिवसीय आयोजन के तहत मुख्य समारोह का आयोजन गुरूवार 15 अगस्त को अंबाजी में दांता रोड स्थित भगवती वाटिका में सुबह 9 बजे से होगा। इस समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से गुरू भक्त भी शामिल होंगे। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए श्रीसंघ की ओर से व्यापक तैयारियां की गई है। समारोह की अध्यक्षता श्री मदन पथिक विहार धाम घोड़ाघाटी के अध्यक्ष श्री लक्ष्मीलालजी वड़ाला नाथद्वारा करेंगे।
ध्वजारोहणकर्ता दिनेश कुमार, मनोज कुमार, हार्दिक कुमार, झीरवकुमार मादरेचा परिवार हिम्मतनगर,
गुरू मरूधर केसरी रूप रजत दरबार अनावरण कर्त्ता श्री सुरेशचंद , मनोजकुमार , मुकेश कुमार, महेश कुमार गुन्देचा सवराड़-रत्नागिरी-उदयपुर होगा। सप्त दिवसीय आयोजन के तहत 16 अगस्त को पैसठिया मंत्र का जाप, 17 को णमोत्थुण जाप, 18 को गुरूी मिश्री जाप एवं 19 अगस्त को पूज्य बुधमलजी म.सा. की जयंति पर नवकार मंत्र का जाप होगा।
प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627