ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में चार दिवसीय श्रवण कुमार चारित्र का वाचन शुरू
हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 15 अगस्त। जैन समाज पढ़ा लिखा,धर्म आराधना करने वाला समाज है पर इसमें ऐसे भी घर है जहां मां-बाप रोते है, तड़फते है पर संतान उनकी कोई परवाह नहीं करती है। माता-पिता की सेवा करने वाली संताने कम होती जा रही है। जो आस्था व समपर्ण पहले होता वह वर्तमान में कम हो रहा क्योकि इंसानियत खत्म हो रही है। वह माता-पिता सौभाग्यशाली है जिनके श्रवणकुमार जैसे पुत्र है पर उनका दुर्भाग्य है जिनके बच्चें कान होते हुए भी बहरे बन गए है। ऐसे बच्चे जिंदा रहते हुए तो मां-बाप को पूछते नहीं ओर मरने के बाद उनकी तस्वीर टांगते है। सच तो यह है कि बच्चे आजकल रिश्तों की कीमत मांगते है।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में गुरूवार को स्वाधीनता दिवस पर चार दिवसीय श्रवण कुमार चारित्र का वाचन शुरू करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति सारे जहां से जीत सकता है पर अपनी संतान के सामने हार जाता है। उनकी संतान ही रूलाने वाली हो जाती है। दौलत की दीवारों ने रिश्ते ऐसे बदल दिए कि देखते-देखते मां-बाप पड़ौसी बन गए। इंसानियत खत्म हो जाने से रिश्ते भी खतरे में है।
मुनिश्री ने कहा कि जिनके कारण हम इस दुनिया में आ पाए उन माता-पिता की सेवा करके साता पहुंचाने का लक्ष्य हमेशा रहना चाहिए। जिन्होंने हमे धर्म से जोड़ा उनका उपकार भी कभी नहीं भूला सकते। बिना इंसानियत धर्म या परिवार कोई भी नहीं चल सकता है। यदि रिश्तों को जीतना हमे आ जाए तो श्रावक जीवन भी महान होता है। प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि रिश्ते एक बार जुड़ने के बाद कभी खत्म नहीं होते ओर मरने के बाद भी साथ चलते है।
सौभाग्य से जुड़ा रिश्ता आगे चलकर सुख ओर दुर्भाग्य से जुड़ा रिश्ता बाद में दुःख का कारण बनता है। रिश्तों को कभी बिगाड़ना नहीं चाहिए क्योंकि आत्मा के मोक्ष नहीं जाने तक रिश्ते चलते ही रहते है। कभी इस भूलावे में नहीं रहना चाहिए कि हमने रिश्ता तोड़ दिया है क्योंकि रिश्ते बनते-बिगड़ते है पर खत्म नहीं होते। बने हुए रिश्ते जिंदगी बनाते है ओर बिगड़े हुए रिश्ते जन्मो-जन्म बिगाड़ देते है।
उन्होंने कहा कि श्रवणकुमार की कथा सुनाने का लक्ष्य संतानों के मन में मानवता व सेवा के भाव जागृत करना है। कथा श्रवण करने के लिए अपने बच्चों व बहुओं को अवश्य लाना चाहिए। गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘मां तेरे चरणों में स्वर्ग हमारा’’ की प्रस्तुति दी। प्रवचन में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए।
अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित 15 दिवसीय चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप के 13वें दिन 3 द्रव्य मर्यादा रही। प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में ध्वजारोहण
स्वाधीनता दिवस पर 15 अगस्त को सुबह 8.15 बजे पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में ग्रेटर हैदराबाद संघ के तत्वावधान में ध्वजारोहण किया गया। संघ के पदाधिकारियों ने राष्ट्रध्वज तिरंगा फहराया। समकितमुनिजी ने सभी को स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए मंगलभावना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रधर्म का भी हमारे जीवन में अहम स्थान है। इस अवसर पर श्रीसंघ के पदाधिकारियों के साथ कई श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे। स्वाधीनता दिवस के अवसर पर प्रवचन सभागार में भी राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत तिरंगा सजावट की गई।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627