गुरुदेव शीतल राज के दो फरमान, सामाजिक स्वाध्याय तप है महान…. कहा हम नए पीढ़ी का ध्यान रखें, उन्हें संस्कार सिखाएं

गुरुदेव शीतल राज के दो फरमान, सामाजिक स्वाध्याय तप है महान…. कहा हम नए पीढ़ी का ध्यान रखें, उन्हें संस्कार सिखाएं

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 17 अगस्त। समाजोत्थान की चिंता युवा पीढ़ी में संस्कार निर्माण का चिंतन गुरुदेव शीतल राज प्रारंभ से ही कर रहे है, उनके चैतन्य मन को चेतना की ऊर्जा व शक्ति से भरते रहे । व्यक्ति समाज राष्ट्र व विश्व की चेतना एवं संवेदना उनका प्रवचनो में रहती है। दराकते परिवार स्वार्थ में आकंठ डूबा सामाजिक व्यवहार व मूल्यहीन होती व्यवस्था के चलते मनुष्य से विलुप्त होती मानवता वह समाज की विकृतियों का समाप्त करने के भाव रहे हैं।

जब तक अहिंसा का मन वचन काया से पूर्ण रूपेण पालन नहीं किया जाएगा तब तक मुक्ति अनंत योजन दूर है। शीतल राज मसा का कहना है कि दुखों का अंत कर मुक्त होना चाहते हो तो अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह का अभी से यथाशक्ति अभ्यास करना प्रारंभ कर दो। संयम व्रत के नियमों के पालन में अडिग खड़े मुनि श्री की मौन साधना, सूर्य अतापना की साधना स्पष्ट करती है कि ऐसे साधक की साधना अनुकरणीय आत्मसात करने योग्य है । सामाजिक स्वाध्याय साधना, धर्म, कर्म, पूर्ण पाप, मन, वचन, काया, पर आधारित नियमित व्याख्यान का लाभ रोज सैकड़ो ले रहे हैं।

आज के मंगल प्रवचन में मुनि श्री शीतल राज ने कई उदाहरण दृष्टांत, संदर्भों पर बोलते हुए उन्होंने तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के उपदेशों को लेकर उपस्थित जनों का मार्गदर्शन स्वयं के कल्याण पाप पुण्य संस्कार व संसार में घटित शुभ अशुभ घटनाओं पर कहा कि परिवार में मां बेटा, सास बहू का दृष्टिकोण वर्तमान व्यवस्था संस्कारों की कमी, महापुरुषों द्वारा बताएं संसार व इसमें स्थित संस्कार मोक्ष का मार्ग पर भी जानकारी दी ।

उन्होंने कहा एकासना जैन धर्म का करो पुण्य हो जाओगे। वरना पाप ही होगा। उपवास करो अन्न का त्याग करो, बाकी चीज चाय इत्यादि हम खाते पीते रहते हैं अर्थ लाभ के लिए देवी देवताओं की पूजा अर्चना भी करते है, इससे हमें कर्म बंधन बांधता है । महापुरुषो, आचार्य भगवंतो की वाणी का पालन करो तीर्थंकर या अरिहंत द्वारा बताए गये धर्म- जिन धर्म या जैन धर्म कहलाता है।

बिना उपादान के निमित्त भी काम नहीं आता। देवी देवताओं को हाथ जोड़ दीपक जलावे कुछ नहीं होगा। बिना पुण्य के देव भी प्रसन्न नहीं होंगे। आत्म शुद्धि साधन धर्म, आत्मा की शुद्धि का साधन धर्म है। धर्म के तीन रत्न सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन एवं सम्यक चारित्र के साथ धर्म के लक्षण अहिंसा संयम त्याग प्रमुख है।

गुरुदेव शीतल मुनि ने बच्चों के संस्कार पर माता-पिता परिवार की भूमिका की जिम्मेदारी पर कहा बच्चों को घर से मिलते हैं संस्कार, धर्म से जोड़ने की जिम्मेदारी पहले मां की होती है । वैसे भी मुनि श्री शीतल राज ने बच्चों में नैतिक संस्कार एवं चरित्र के लिए बड़ी सोच उनकी प्रारंभ से रही है । यही वजह है कि आज उन्होंने अपने नियमित प्रवचन में बच्चों की शिक्षा संस्कार पर महत्वपूर्ण जानकारी सोदाहरण, दृष्टांत के साथ दी। कहा ज्ञानी कभी नहीं कहेगा मुझे ज्ञान हो गया है, विनय होगा तभी ज्ञान आएगा । हम नई पीढ़ी को कितना भी पढ़ा लो लेकिन सरलता, सहजता, संतोष का ज्ञान नहीं दिखता । देखने से ज्यादा अर्थात प्रैक्टिकल देखने से ज्यादा ज्ञान व संस्कार मिलता है।

आज बच्चों को विनय संस्कार की जरूरत है। बच्चों में संस्कार घर का वातावरण भी काम आता है। 100 शिक्षक के बराबर एक मां होती है । वरना लाखों खर्च करने के बाद भी ज्ञान अधूरा ही रहेगा। हमें धर्म के संस्कार भरना होगा। बाहर के चकाचौंध से कुछ हासिल नहीं होगा । सामायिक, स्वाध्याय, साधना का ज्ञान जरूरी है। संतों की भगवानों की वाणी वितराग की वाणी को जीवन में उतरे । नई पीढ़ी को ज्ञान दे अपने जीवन में पहले इसे उतारे । जीवन नाजुक है, सावधानी रखें, अज्ञानता न भरे। जितना ज्ञान का, स्वाध्याय का असर जीवन पर पड़ेगा लाभ होगा । स्वाध्याय करें सभी के जीवन में लाभ का कारण बनेगा । इस संसार में इस लोक में जितना भी दुख है ज्ञानियों को है अज्ञानियों को नहीं है। ज्ञान होगा तो स्वाध्याय खुद कर लेगा। नए कर्म बंधन से बचे।

नए कर्म बंधन ना बांधे ज्ञानी अज्ञानी दोनों का शरीर एक होता है। पर ज्ञानी स्वाध्याय करने वाला होगा। दुख सुख का ध्यान रखें हम श्रेष्ठ मानव जीवन को प्राप्त करें भगवान के बताएं दुर्लभ ज्ञान को प्राप्त करें। अतः नई पीढ़ी को धर्म मार्ग में लाए।

आज भी उपवास, तप तपस्या, एकासना, आयंबिल, तेला, व्यासना साथ 23 का पचखान भी करने वाले आए। 17 का पचखान, मासक्षमण भी जारी है। पटवा परिवार, संचेती परिवार, लालवानी परिवार तप तपस्या में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उनकी अनुमोदन के साथ में सामूहिक धन्यवाद दिया गया। महिला पुरुष संवर में भी भाग ले रहे हैं ।

कल दया दिवस के कार्यक्रम में भी भाग लेने वाले आ रहे हैं। दोपहर में सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी इत्यादि कार्यक्रम आयोजित है । विजय संचेती भी तपस्या में आगे दिख रहे हैं। प्रारंभ में श्रावक प्रेमचंद भंडारी एवं चातुर्मास समिति अध्यक्ष सुरेश सिंघवी ने कार्यक्रम की जानकारी दी । कल दया दिवस में भाग लेने का आग्रह किया। आज भी संवर करने वाला का बहुमान लाभार्थी परिवार दीपेश संचेती, प्रियंका संचेती ने किया ।

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