कोयंबटूर में दीप मुनि के सानिध्य में “निखारें श्रावकत्व को” कार्यशाला का हुआ आयोजन…. ” संयम और त्याग से श्रावकत्व को निखारें” – मुनि दीप कुमार

कोयंबटूर में दीप मुनि के सानिध्य में “निखारें श्रावकत्व को” कार्यशाला का हुआ आयोजन…. ” संयम और त्याग से श्रावकत्व को निखारें” – मुनि दीप कुमार

कोयम्बतूर- तमिलनाडु(अमर छत्तीसगढ) 18 अगस्त। तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर में स्थित तेरापंथ जैन भवन में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री दीप कुमार जी के सान्निध्य में “निखारें श्रावकत्व को” कार्यशाला का आयोजन श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा- कोयम्बतूर द्वारा किया गया।

मुनिश्री दीप कुमारजी ने कहा- संयम और त्याग से श्रावकत्व को निखारा जा सकता है । श्रावक की जीवन शैली संयम और त्याग प्रधान होनी चाहिए। श्रावक श्रद्धाशील होता है। श्रद्धा के बिना जीवन सूना-सूना सा है । जो श्रावक होता है, वह विश्वासी होता है किसी के साथ धोखा नहीं करता।

श्रावक जागरूक जीता है। वह जिनशासन का अविभाज्य अंग है श्रावक मति और गति से जिनशासन की बहुत प्रभावना करता है। श्रावकों ने जिनशासन की बहुत प्रभावना की है। मुनिश्री ने आगे कहा- सच्चे अर्थ में श्रावक वह होता है जो व्रती होता है । व्रती हुए बिना श्रावक नही कहला सकता। संघ की संभाल करना श्रावक का दायित्व होता है मुनि श्री ने श्रावक की

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