रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 23 अगस्त। श्री लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर में गतिमान चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर जी व मुनिश्री नरेश कुमार जी की सन्निधि में रायपुर में प्रथम बार जैन धर्म की सभी परम्पराओं में एक रूप में मान्य णमोत्थुणं पाठ पर आधारित भव्य अनुष्ठान दिनांक 25 अगस्त 2024 को प्रातः 9 बजे से आयोजित किया गया है।
णमोत्थुणं पाठ पर मुनिश्री सुधाकर जी द्वारा विस्तार से बताते हुए बताया गया कि यह पाठ शाश्वत पाठ है जिसकी रचना मानव द्वारा न होकर देवताओं के इन्द्र अर्थात शक्रेन्द देव द्वारा की गई है। इस पाठ कि विशेषता यह है कि इसमें किसी व्यक्ति विशेष की आराधना/उपासना व नामोल्लेख नहीं है पूर्ण रूप से तीर्थंकर भगवान के गुणों का गुणानुवाद है और इस पाठ में किसी भी प्रकार की कोई भी कामना या याचना नहीं कि गई है।
यह पाठ चौंसठ इन्द्र एवं असंख्य देवी-देवताओं द्वारा वंदन से महाचमत्करिक है। मुनिश्री श्री ने आगे बताया कि इस पाठ कि स्तुति से हमें आधि-व्याधि-उपाधि से मुक्ति, अशुभ कर्मों के निवारण, विघ्न, अनिष्ट से मुक्ति, गृहशांति, ग्रहशांति के साथ भाग्य, सौभाग्य के जागरण में सहायता प्राप्त होती है।
अनुष्ठान में 108 बार णमोत्थुणं पाठ का जप करते हुए तीर्थंकर भगवान के 1008 नामों का उल्लेख भी किया जायेगा। विशेष यह कि इस अनुष्ठान में जैन-अजैन कोई भी सहभागी बन सकता है बस कुछ बातों का अनुष्ठान संदर्भ में विशेष ध्यान रखना होगा जैसे चमड़े से बनी वस्तुओं का वर्ज़न, शारीरिक स्वच्छता, शालीन परिधान/वस्त्र ( पुरुष – श्वेत व महिला – लाल ), मोबाईल का उपयोग वर्जनीय आदि।