रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 28 अगस्त।आचार्य भगवंतो को नमन कर प्रवचन की शुरुआत करते हुए मुनि श्री शीतल राज मसा ने कहा हमको समता प्राप्त कब होगी जब राग और द्वेष नहीं छोड़ेंगे तब तक नहीं होगा । मोह, माया का त्याग नहीं करेंगे तो राग द्वेष नहीं जाएगा। राग द्वेष के कारण जीव अनंत काल से भ्रमण कर रही है । मनुष्य भव में अगर राग द्वेष समाप्त नहीं किया तो दूसरे भव में समाप्त नहीं होगा।
मोह, दशा, अज्ञानता के कारण राग द्वेष के कारण अपन मनुष्य भव को समझ नहीं पा रहे हैं, मौज मस्ती, खाने पीने के कारण हम अपने कषाय से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। देवलोक में जो सुख है वह मनुष्य के जीवन में नहीं देवलोक के लिए हमको अपने कर्मों को सही करना होगा।
गुरुदेव ने कहा यदि भगवान के बातों में विश्वास हो तो शरीर का श्रृंगार करने, धन कमाने में अपना समय ना लगाकर सम्यक दृष्टि को पाकर मनुष्य जीवन को सफल बना सकते हैं। मनुष्य जीवन में ज्ञान को प्राप्त कर “स्वा और पर” का ज्ञान हो जावे तो जीवन सफल हो जाएगा । हमको स्वा का ज्ञान हो जाए मैं और मेरे का ज्ञान हो जाए तो मनुष्य इस संसार रूपी कीचड़ से ऊपर रह सकता है।
श्री शीतल राज मसा ने कहा चार कषाय का ज्ञान सबको होना चाहिए, ऊपर जाने के लिए क्षमा, नम्रता, सरलता का होना जरूरी है। हम नीचे जाने के लिए क्रोध, मान, माया, लोभ का इस्तेमाल कर रहे हैं।
गुरुदेव ने चार कषाय के बारे में बताते हुए कहा प्रथम कषाय अनंतूबी बंदी इसका मतलब मानव को नरक ले जाने वाली, दूसरा अप्रत्याखानी कषाय जिसमें मानव के लिए क्षमा मांगने का अवसर, तीसरा प्रत्याखानी कषाय इसमें कषाय 4 महीने की रहेगी एवं अंतिम चौथ संज्वनल में लकीर खींचने के जैसा समान, क्रोध आना है।
सूर्य अतापना धारी मुनि श्री शीतल राज ने कहा स्वादिष्ट पदार्थ शरीर की खुराक है, पर्यूषण पर्व में हम क्रोध, मान, माया, लोभ का त्याग करें। कम से कम 8 दिनों तक यह त्याग करने का प्रयास करें। आत्मा की खुराक का त्याग नहीं करोगे तो हम नीचे जाने की तैयारी कर रहे हैं, समझना होगा। तपस्या के समय पेट खाली होने से चिड़चिड़ापन हो जाता है यह तप नहीं ताप हो जाता है जो जो बढ़ते गए और राग द्वेष भी बढ़ता गया।
आप स्वाध्याय कर चिंतन करें कि मेरा से तप हो रही कि ताप हो रही है कि निर्जरा हो रही है। आत्मा की और तो हम नहीं जाते ब्राहय क्रिया भी चले जाते हैं । इतना तप तपस्या करने के बाद भी हमको इसका लाभ नहीं मिलेगा। तपस्या के पारणा में हम लोगों को खिलाते हैं यह रूढ़िवादी है। यह आत्मा की खुराक नहीं है ऐसे करने से आप नीचे के नीचे जाते जाओगे।
आड़ा आसन त्यागी शीतल राज मुनि श्री ने कहा मनुष्य और देवलोक में जाने के लिए एकमात्र धर्म ज्ञान का रास्ता है, मोक्ष में जाने के लिए शुक्ल ध्यान करना होगा और यह सब मनुष्य भव में ही संभव है। इतना दिल दिमाग में जमा कर लेवे कि शरीर की खुराक चार प्रकार है इस तरह आत्मा के लिए भी चार खुराक है।
परम पूज्य गुरुदेव शीतल मुनि ने समझाया पुण्य हो या पाप हो मोक्ष जाने के लिए दोनों छोड़ना होगा । 20 आश्रव में सबसे बड़ा दरवाजा मिथ्यात्व का है अगर यह दरवाजा बंद हो जावे तो बाकी दरवाजे भी बंद हो जाएंगे । “हमारा प्रयास” के संबंध में एक श्लोक के माध्यम से समझाते हुए कहा कि मानव जीवन में भोग को प्राप्त कर हम जितना समय हो पाप को छोड़ सके। पर मानव मोह दया में आत्मा को भारी बनाने लगा हुआ है । किसी भी चीज में त्याग का प्रत्याखान लेना आवश्यक है त्याग और ताप का छल कपट करने से पाप लगता है छोटा सा नियम लेना हो तो भी प्रत्याखान लेना आवश्यक है जिसका इस्तेमाल नहीं करना है उसके त्याग का प्रत्याखान लेना चाहिए