अंतगडदसांग सूत्र-महापुरुषों का चरित्र मुमुक्षु आत्माओं के लिए प्रेरक आदर्श-शिखर, विमल….. शीतलराज मसा ने कहा-अपेक्षाएं बहुत पर 5 सामायिक करने के पीछे क्यों-आगे आएं

अंतगडदसांग सूत्र-महापुरुषों का चरित्र मुमुक्षु आत्माओं के लिए प्रेरक आदर्श-शिखर, विमल….. शीतलराज मसा ने कहा-अपेक्षाएं बहुत पर 5 सामायिक करने के पीछे क्यों-आगे आएं


रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 2 सितंबर। मानस भवन में पर्युषण पर्व दूसरे दिन प्रवचन में शीतलराज मसा ने कहा अपेक्षाएं बहुत सारी है लोगों की लेकर भी आते है लेकिन 5 सामायिक करने में पीछे क्यों रहते है। उन्होंने पुन: कहा कर्म बांधना सरल है लेकिन भोगना कठिन है। मुनि श्री ने दृष्टांतो के साथ भगवान महावीर, श्रेणी के राजा व कसाई के साथ उनके किए कार्यों उपदेश संदेश पर बोले ज्ञानी कहते है कि धन बिना पुण्य नहीं मिलेगा। बिना पुण्य उदय हो कुछ नहीं मिला।

मुनि श्री ने मोक्ष के 4 मार्ग बताते हुए कहा मोक्ष मार्ग की साधना के साथ ज्ञान दर्शन चारित्र तप की जरुरत है। मोक्ष एवं संसार का मार्ग अलग-अलग है। दीक्षा एवं उसके पूर्व पहले व बाद की स्थितियों पर कहा भौतिक सुखो का त्याग दृढ़ वैराग्य का धारक है। ज्ञान दर्शन चारित्र व तप एवं सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन पर जानकारी दी। भगवान की वाणी में शंका की जरुरत नहीं है। ऐसा हमारा दृढ़ संकल्प हो, बिना पुण्य के न पत्नी न पैसा न परिवार अच्छा मिलेगा।

दया भाव में दया दिवस पर कमजोर उपस्थिति पर कहा आप लोगों के जीवन में अहंकार एवं धर्म के प्रति श्रद्धा का अभाव दिखता है। दया एक दिन ज्यादा भी हो तो लाभ ही होगा। धर्म का काम है, कर्म काटना मुश्किल है, बांधना आसान है। उन्होंने कहा चाहे मंत्री आए या कोई भी जिस दिन सामायिक की इच्छा होगी उस दिन सामायिक के साथ पूरा करना होगा। श्रद्धा के बिना हमारा जीवन आगे नहीं बढ़ सकता। पैसा, पत्नी, पद, परिवार के लिए भी श्रद्धा पूर्वक धर्म की आराधना करना होगा, सभी चीजे आपको हर भव में मिलेगी।

कर्मों का फल भोगना पड़ेगा,राजा-रानी सेना भी काम नहीं आएगी। पाप के उदय में कुछ भी संभव है। करोड़पति, रोडपति तो रोडपति करोड़पति बनते समय नहीं लगता। भगवान की वाणी पर श्रद्धा रखे, मनुष्य जीवन का सदुपयोग करेंगे, मन वचन काया हर योनी में नहीं मिलता। पुण्य से पुण्य कमाए, धर्म कर कर्म क्षय भी करें।
पर्यूषण पर्व एवं अंतगडदसांग सूत्र पर दूसरे दिन इसका वाचन करते हुए इंदौर एवं इंदौर के पास करही निवासी सुश्रावक द्वय शिखर चंद छाजेड़ एवं विमल चंद तातेड़ ने कहा सूत्र में कथित महापुरुषों का चरित्र मुमुक्षु आत्माओं के प्रेरक आदर्श के तहत जिस प्रकार 10 भव्य आत्माओं ने ज्ञान दर्शन चारित्र की आराधना कर निर्वाण प्राप्त किया। सूत्र की अनेक विशेषताएं है जिसमें साधु-साधवियों के संयम तप दशा का वर्णन किया गया है।

पर्युषण पर्वके 8 दिनों में ही अंतगडदसांग सूत्र के सभी 8 वर्गों पर चर्चा होगी। रोग 1 वर्ग पर वाचन होगा इससे धर्मार्थ संयम तप की प्रेरणा भी मिलेगी। अंग सूत्र के वर्ग की जानकारियों का वाचन करते हुए इंदौर के सम्मानित अतिथियों ने गजसुकुमाल के जीवनी एवं उनके जीव पूर्व भव में राजा-रानी की कथा का वाचन किया। कहा सकल कर्मों के क्षय होने से वे गजसुकुमाल अनंगार कृत कत्य बनकर सिद्ध पद को प्राप्त हुए। सभी कर्मों से हटकर गजसुकुमाल अनंगार मोक्ष को प्राप्त किया। वाचक बंधुओं ने अध्ययन के 13 बिंदुओं पर उपस्थित श्रावक-श्राविकाओंके मध्य जानकारियों का आदान-प्रदान किया।


वाचक बंधुओं ने कहा अनिक सेन कुमार को 8 वर्ष से अधिक वय का होने पर माता-पिता ने कलाचार्य के पास भेजा। यावत वह युवावस्था को प्राप्त भोग समर्थ अनिक सेन ने सामायिक आदि छह आवश्यक पूर्वक 14 पूर्वों का ज्ञान सिखा। 20 वर्ष की संयम पर्याय का पालन गुरुवाणी के सच होने गाथापति के नाम अंतगडदसांग सूत्र के तीसरे वर्ग में बताए अध्ययनों की जानकारी का आदान-प्रदान उपस्थित महिला-पुरुषों के मध्य वाचकों ने किया।

वाचनकर्ताओं ने मोक्ष मार्ग संयक, संयक दृष्टि पर भी वाचन किया। पर्युषण पर्व आराधना के महत्व का आदान-प्रदान किया। कहा सामायिक स्वाध्याय का लाभ लें तो जीनवाणी से ह्दय शुद्ध होगा। कल अगले वर्ग सूत्र पर चर्चा जारी रहेगी।

सुश्रावक प्रेमचंद भंडारी ने नियमित पचखान करने वालों की विस्तृत जानकारी दी। एकासना, व्यासना, आयंबिल, उपवास बेला-तेला, 6 का पचखान सहित कई लोगों ने दया पालने का पचखान लिया। सुश्रावक सुरेश जैन ने आज-कल की तैयारियों, कार्यक्रमों, व्यवस्था न नियमित नवकार पाठ की जानकारी दी।

आज भी बड़ी संख्या में रायपुर राजधानी एवं छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त मध्यप्रदेश, राजस्थान से 50 से अधिक महिला-पुरुष, बच्चों द्वारा संपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उपस्थिति दर्ज हुई। शीतलराज मुनि श्री ने पुन: उपस्थितजनों को कहा दया लेने का कार्यक्रम जारी रखें। रात्रि संवर में आए तथा पूरे पर्युषण पर्व में अंतगडदसांग सूत्र का श्रवण कर लाभ लें। कल दया दिवस प्रतिक्रमण संवर इत्यादि में भाग लेने वाले 150 से अधिक श्रावक-श्राविका व बच्चों को दुर्ग निवासी निखिल पारख ने अपने पिता स्व. अचल दास पाख की स्मृति में तप तपस्या करने वालों का 10 एवं 15 ग्राम चांदी के सिक्के से सम्मान व बहुमान किया।

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