अम्बाजी(अमर छत्तीसगढ), 2 सितम्बर। सत्य के मार्ग पर चलने वालों के जीवन में भी मुसीबत आती है लेकिन ईश्वर उनके साथ होने से वह हर बाधा को पार कर अपना लक्ष्य हासिल करते है। पर्युषण पर्व हमे सत्य की आराधना की भी प्रेरणा देते है। सत्य हमारे धर्म का मूल प्राण है ओर असत्य के सहारे जिनशासन की आराधना कभी नहीं हो सकती। जो जिनशासन के प्रति सच्चा श्रद्धा-भक्ति रखने वाला होगा वह असत्य का सहारा नहीं लेगा।
ये विचार पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा. ने श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दूसरे दिन सोमवार को अंबिका जैन भवन में सत्य दिवस पर आयोजित प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राजा हरीशचन्द्र, आनंद श्रावक जैसे कई उदाहरण है जो जीवन में कई कठिनाईयां आने पर भी सत्य की राह पर अडिग रहे। सत्य उनके साथ होने से वह परीक्षा में पास हुए ओर दुनिया आज भी यशोगाथा का स्मरण करती है।
धर्मसभा में सेवा रत्न हरीशमुनिजी म.सा. ने कहा कि सत्य हमारे जीवन का आधार है एवं सत्य से ही जीवन सफल होता है। किसी भी बात में अपनी ओर से न कुछ जोड़ना न कुछ घटाना ही सत्य है। सत्य के साथ विवेक का होना भी जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि ऐसा सत्य नहीं बोलना चाहिए जो हिंसाकारी, पीड़ाकारी ओर अहितकारी हो। ऐसे सत्य भी नहीं बोलने चाहिए जिससे दबे हुए क्लेश भड़क जाए। इतिहास के कई प्रसंग साक्षी है कि असत्य के सहारे कभी जीत नहीं हो सकती चाहे आप कितने भी बलशाली व बुद्धिमान क्यों न हो।
सत्य का साथ देने वाला संकट में आ सकता लेकिन उसकी पराजय नहीं हो सकती। धर्मसभा में युवा रत्न श्री नानेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि मन,वचन व कर्म से हमारा कार्य सत्य आधारित होना चाहिए। किसी के लिए गलत सोचना भी असत्य बोलने के समान होता है। असत्य बोलने से भी कर्मो का बंधन होता है। जो सत्य की राह पर चलता है उसे सफलता अवश्य मिलती है।
मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि सत्य ही भगवान का रूप है। जो निरन्तर सत्य बोलता है उसकी जुबा भी सत्यमय हो जाती है ओर वह जो भी बोलता वह सत्य हो जाता है। ऐसा सत्य नहीं बोलना चाहिए जो किसी का दिल दुखाए। ऐसी नौबत आने पर मौन रह जाना चाहिए। सत्य हमेशा भलाई करने वाला होना चाहिए। सत्य ही परमात्मा है, जो भगवान की वाणी है वहीं हमारे लिए सत्य है। उन्होंने अंतगड़ दशांग सूत्र के तीसरे वर्ग के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचन किया।
धर्मसभा में प्रार्थनार्थी सचिनमुनिजी म.सा. ने कहा कि सत्य के निकट पहुंचना ओर आत्मा को पहचानना ही साधना है। उन्होंने कहा कि मनुष्य यदि अपनी कामनाओं, इन्द्रियों ओर मन पर काबू पा ले तो उसे नश्वर संसार में भी आनंद का सागर दिखाई देने लगेगा। मुक्ति का एकमात्र मार्ग राग-द्वेष रहित वितराग धर्म है। मनोविकारों के चुंगल से छूटकर ही व्यक्ति वितराग धर्म को प्राप्त कर सकता है।
तप साधना का दौर जारी, सुश्राविका अनिता ने लिए 23 उपवास के प्रत्याख्यान
पर्युषण पर्व में तप आराधना व धर्म साधना का दौर जारी है। पर्युषण के दूसरे दिन सुश्राविका अनिता धर्मेश माण्ड़ावत ने 23 एवं सुश्राविका दिलखुश राजेन्द्र सियाल ने अठाई तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए तो हर्ष हर्ष के साथ अनुमोदना के जयकारे गूंज उठे। कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला, बेला, उपवास, आयम्बिल व एकासन के प्रत्याख्यान लिए। अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ के द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन गौतमकुमार बाफना ने किया। दोपहर में प्रार्थनार्थी सचिनमुनिजी म.सा. ने कल्पसूत्र का वांचन किया। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दूसरे दिन दोपहर में मधुर व्याख्यानी हितेशमुनिजी म.सा. के मार्गनिर्देशन में संसद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
इस प्रतियोगिता में कई श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। शाम को प्रतिक्रमण का आयोजन किया गया। पर्युषण में प्रतिदिन सुबह 6 से शाम 6 बजे तक 12 घंटे नवकार महामंत्र जाप का आयोजन भी जारी है। पर्युषण पर्व के तीसरे दिन 3 सितम्बर को मैत्री दिवस मनाया जाएगा। दोपहर में ज्ञान के रसगुल्ले प्रतियोगिता का आयोजन होगा।
प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627