चर्चाचक्रवर्ती, एकाभवतारी, भीष्म प्रतिज्ञा धारी आचार्य सम्राट 1008 प पू श्री जयमल मसा की 317 वीं जन्म जयंती रविवार को…. बड़ी संख्या में दया, प्रतिक्रमण, संवर एवं होंगे प्रवचन, मौन मांगलिक

चर्चाचक्रवर्ती, एकाभवतारी, भीष्म प्रतिज्ञा धारी आचार्य सम्राट 1008 प पू श्री जयमल मसा की 317 वीं जन्म जयंती रविवार को…. बड़ी संख्या में दया, प्रतिक्रमण, संवर एवं होंगे प्रवचन, मौन मांगलिक

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 14 सितंबर । स्थानीय पुजारी पार्क स्थित मानस भवन में पिछड़े 50 दिनों से अधिक समय से शीतल राज मुनि श्री के सानिध्य में प्रतिदिन सैकड़ो लोग प्रवचन का धर्म लाभ ले रहे हैं । मुनि श्री के सानिध्य में प्रति रविवार को दया दिवस मनाया जाता है। कल रविवार 15 सितंबर को चर्चाचक्रवर्ती, एकाभवतारी, भीष्म प्रतिज्ञा धारी आचार्य सम्राट 1008 प पू श्री जयमल जी महाराज साहब के 317 वीं जन्म जयंती पर आयोजित दया दिवस में रायपुर सहित देश के अन्य प्रदेशों से भी लोग भाग लेने पधार रहे हैं । इस अवसर पर 11 सामायिक, प्रतिक्रमण, दया, संवर में भी भाग लेंगे। दया दिवस में भाग लेने वालों का 10 ग्राम चांदी के सिक्के से सम्मानित किया जावेगा ।

जैन आचार्य शीतल राज मुनि श्री सामायिक स्वाध्याय को लेकर लोगों में इसे करने की मिल रही प्रेरणा का व्यापक असर हो रहा है । मुनिश्री के सानिध्य में आगामी 29 सितंबर को अखिल भारतीय सामायिक स्वाध्याय संघ के तत्वाधान में सामायिक स्वाध्याय सम्मेलन का आयोजन स्थानीय मारुति मंगलम गुढ़ियारी रायपुर में की गई है । सामायिक स्वाध्याय सम्मेलन की पूर्व संध्या 28 सितंबर शनिवार को इंदौर निवासी प्रकाश कोठारी की सुपुत्री अदिति कोठारी द्वारा गीत संगीत भजन प्रस्तुत करेंगी। कुमारी अदिति राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी शानदार प्रस्तुति के लिए लोकप्रिय है ।

जन-जन तक सामायिक स्वाध्याय का संदेश पहुंचाने देश के हजारों लाखों को इससे जोड़ने का अभियान शीतल मुनि श्री के मार्गदर्शन में संघ द्वारा किया जा रहा है। दया दिवस के माध्यम से भी रोज सैकड़ो लोग जुड़ रहे हैं। कल रविवार को आचार्य देव 65 वर्ष की दीक्षा पर्याय में 52 वर्ष तक आड़ा आसन करके नींद नहीं लिए, 22 वर्ष की उम्र में नवविवाहित पत्नी का त्याग कर दीक्षा लेते ही आजीवन एकांतर उपवास के साथ पांच तिथियां पांचो विजय त्याग कर दिया। 40 वर्ष तक आचार्य पद पर रहे आचार्य जयमल मसा ने 51 भव्य आत्माओं को शिष्य बनाया तथा अंतिम समय 31 दिन का संथारा आया।

आचार्य जयमल मसा की धर्म पत्नी श्रीमती लक्ष्मीबाई ने भी दीक्षा ग्रहण किया। जयमल मसा ने विक्रम संवत 1807 में जालौर में 17 शास्त्रों का दोहन करके बड़ी साधु वंदना की रचना की, यह बड़ी साधु वंदना सचमुच जैन धर्म के गौरवपूर्ण रचना है ।

शीतल चातुर्मास समिति ने कल पुजारी पार्क आचार्य देव जयमल मसा के जन्म जयंती को दया दिवस पर कार्यक्रम आयोजित है। जहां सामायिक करने वाले, दया पालने वालों को 10 ग्राम चांदी के सिक्के सम्मानित किया जाएगा। 29 सितंबर को आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने मारुति मंगलम गुढ़ियारी रायपुर में भाग लेंगे। तत्वार्थ सूत्र आते हैं जिसे मोक्ष नक्षत्र के नाम से भी जाना जाता है। कहा भी गया है जो वितरागी एवं सर्वज्ञ हो वही भगवान है । बिना पूर्ण ज्ञान प्राप्त किए हुए और वितरागी बने कोई भगवान नहीं बन सकता । कल रविवार को दया दिवस में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग बाहर से भी पहुंच रहे हैं।

चर्चाचक्रवर्ती, एकाभवतारी, भीष्म प्रतिज्ञा धारी, आचार्य सम्राट १००८ परम पूज्य श्री जयमलजी म. सा. की “317” जन्मजयंती दया दिवस के रूप मे १५/०९/२०२४ रविवार को मनाई जाएगी

सानिध्य परम पूज्य गुरुदेव आत्म योगी, सामायिक स्वाध्याय के प्रेरक, कुशलसेवा मूर्ति, सूर्य अतपना के साधक, आड़ा आसान त्यागी,महात्मा परम पूज्य गुरुदेव ” श्री शीतलराज जी ” म. सा के सानिध्य का सुअवसर प्राप्त हो रहा है

दया करने वाले को 10 ग्राम चांदी के से पारितोसिक किया जायेगा

श्री शीतल चातुर्मास समिति, पुजारी पार्क, रायपुर

Chhattisgarh