डॉ प्रणिता द्वारा रविवार को धार्मिक प्रतियोगिता….. आचार्य भगवंत के 36 गुण, उसी तर्ज पर 36 विषय जिसमें 4 विषयों के बारे मे बोलना है

डॉ प्रणिता द्वारा रविवार को धार्मिक प्रतियोगिता….. आचार्य भगवंत के 36 गुण, उसी तर्ज पर 36 विषय जिसमें 4 विषयों के बारे मे बोलना है

रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 20 सितंबर। धार्मिक विज्ञापन प्रतियोगिता

परम पूज्य श्री शीतल राज जी मसा ने 2 महीने में जिस तरह अपनी वाणी के द्वारा जिनवाणी रूपी प्रवचन के माध्यम से हमको अमीरस का रसपान करवाते रहे , जो हमारे जीवनपयोगी है, जिससे इह भव एवं परभव दोनों ही सुधर जाएगा अगर हम अपने जीवन को उसके अनुरूप ढाल ले उसे अपने जीवन में उतार लें तो। गुरु आज्ञा को शिरोधार्य करे तो निश्चित ही हम भवसागर से तिर जाएंगे एवं आने वाली पीढ़ी को भी प्रेरित करके जिनशासन की मशाल को जलाए रख सकते है उसे जीवंत रख सकते है ।

गुरुदेव के इन्ही अमृतमयी जिनवाणी से प्रेरित होकर हम लेकर आये धार्मिक विज्ञापन प्रतियोगिता

इसके अंतर्गत जिस तरह किसी भी प्रोडक्ट या समान को प्रमोट करने के लिए उसकी सेल पर्चेस बढ़ाने के लिए विज्ञापन की आवश्यकता होती है उसी तरह हमारे जीवन मे भी गुरुदेव के चेतना जगाने वाले प्रवचन की इंद्रधनुषी छाप जीवनपर्यंत बनी रहे इसके लिए हमको धार्मिक विज्ञापन बनाना है उसे लिखकर भी लाना है एवं साथ ही उसका प्रजेन्टेशन भी आपको रविवार 22 /09 /2024 को पूज्य गुरुदेव के प्रवचन के बाद करना है । यह प्रतियोगिता रखी गई है ।

जैसे आचार्य भगवंत के 36 गुण होते है उसी तर्ज पर हम भी यहाँ पे 36 विषय दे रहे है किन्ही भी 4 विषयों को लेकर एक विज्ञापन तैयार करना है । बोलने की अधिकतम समय सीमा 1 मिनट होगी । जिस विज्ञापन की तर्ज पर आप अपना धार्मिक विज्ञापन बनाएंगे उसी तर्ज पर गाकर आपको अपना प्रजेंटेशन देना होगा ।
नम्बर आपकी लेखन शैली आपके शब्द आपके भाव आपकी अक्षर शुद्धि व आपकी स्पष्ट साथ सुथरे लेखन के साथ ही आपके प्रजेंटेशन पर होगा ।

इसके टॉपिक (विषय ) है
1 क्षमा
2 समायिक
3 स्वाध्याय
4 कषाय
5 तप
6 दुर्लभ अंग
7 18 पाप
8 9 तत्व
9 सुपात्र दान
10 जिनशासन का महत्व
11 गुरु भगवंतों की वैयावच्च
12 विहार सेवा
13 संवर
14 नवकार महामंत्र
15 4 गति
16 5 अभिगम
17 साधर्मिक भक्ति
18 लोगस्स
19 अंनत पूर्वी
20 9 पुण्य
21 पाठशाला का महत्व
22 8 कर्म
23 रसोई में जयना
24 रात्रि भोजन, जमीकंद त्याग
25 मांगलिक
26 सप्त कुव्यसन
27 14 नियम 12 व्रत
28 संस्कार
29 अहिंसा
30 विनय
31 धर्म
32 मौन
33 दया और पौषध
34 करुणा समता
35 अनुशासन
36 परोपकार

संपर्क सूत्र
डॉ प्रणिता राकेश जी सेठिया
9424227289
स्मिता लुनावत
9229577377

स्वाध्याय

स् – स्व को जानकर पहचान कर आत्महित का कर मंथन
महापुरुषों की बताई राह का श्रद्धा से कर आत्मचिंतन

वा – वात्सल्य और करुणा के झरने से जगत को तिराने वाले
जीव जगत के अंदर ज्ञान दर्शन चारित्र की लौ जलाने वाले

ध् – ध्यान में स्वयं को रमाकर समता का जिन्होंने किया श्रेष्ठ पराक्रम
18 पाप और 8 कर्म को क्षय करने का सफल पुरुषार्थ और श्रम

या – यात्रा अंनत भव की कम कर के गुण स्थान चढ़ता जाता
समदृष्टि से देख जीव को कषाय को त्यजकर विनय गुण पाता

– यतना पूर्वक जयणा पूर्वक जीव शुद्ध मन से करता पश्चाताप
नरक, निगोद, दुर्गति के साथ ही मिट जाता भव भव का संताप

सामाइक

स – समता पूर्वक 6 काय के जीवों को देकर अभयदान
पुनिया श्रावक की समायिक इतिहास में हुई अमर महान
मा – मान कषाय का करके मर्दन हो विनय का जीवन में प्रवेश
राग द्वेष मोह माया का हो अंत और क्रोध बैर मिटे आवेश
इ – इत्र की तरह महके चरित्र विनय विवेक का हो समावेश
अहिंसा सत्य अपरिग्रह अचौर्य ब्रम्हचर्य फैले देश विदेश
क – करुणा सागर जैसी करुणा आये करे सभी जीव रसपान
अंतस की लौ जगाना यही समायिक का आह्वान

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