अम्बाजी(अमर छत्तीसगढ) , 26 सितम्बर। हम सकारात्मक सोच रखने वालों के साथ रहेंगे तो हमारी सोच भी पॉजिटव हो जाएगी वहीं क्रोधी के साथ रहने पर शांत स्वभावी भी क्रोधी बन जाता है। हमेशा अपनी जिंदगी में अच्छी संगत में रहने का लक्ष्य रखे। जीवन में सत्संग से सुख मिलता है। सत्संग से ही ज्ञान व मोक्ष की प्राप्ति होती है। हमारी जैसी संगत होती है वैसे ही ज्ञान की प्राप्ति होती है। संगत अच्छी होने पर जीवन खुशनुमा बन जाता है तो संगत गलत होने पर जीवन दुःख का सागर हो जाता है। संगत के अनुरूप ही हमारा जीवन बन जाता ले।
ये विचार पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा. ने गुरूवार को श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में अंबिका जैन भवन आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि जीवन में सत्संग की भूमिका अहम है ओर वहीं हम सुख व शांति प्रदान करता है।
विश्वास जहां होता है वहां परमात्मा का वास होता है। जिनको माला फेरते समय भी विश्वास नहीं होता उनके जीवन में चमत्कार नहीं होता। अपने भीतर चिंतन करें एवं स्वयं पर विश्वास रखे तो हर कार्य सिद्ध हो सकता है ओर हम अपने पर भरोसा नहीं रखेंगे तो कभी कोई कार्य सार्थक नहीं कर सकते। हम आधुनिक बनने की होड़ में तो बहुत आगे निकल गए लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से पिछड़ते जा रहे है। प्रार्थनार्थी श्री सचिनमुनिजी म.सा. ने कहा कि संसार में पुण्य का कार्य करने वालों को जाने के बाद भी याद किया जाता है।
प्राणी संसार में आता है तो पुण्य ओर पाप साथ लेकर आता है जाते समय भी ये उसके साथ ही जाते है। संसार में रहते हुए वह पुण्य बढ़ाएगा तो उसे सभी याद करेंगे ओर पाप करेंगा तो कोई नाम लेना भी पसंद नहीं करेगा। जैसे हम कर्म करेंगे वैसे ही हमे परिणाम प्राप्त होंगे। जीवन में सफल होना है तो पुण्यो का ग्राफ बढ़ाते जाए।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक दृष्टि से जो धनवान बन जाएगा वह किसी भी जन्म में दुःख नहीं पाएगा। तृप्ति व संतोष आधुनिकता में नहीं आध्यात्मिकता में ही मिलेगा। बिना संतोष पाए व्यक्ति सुखी नहीं हो सकता। धर्मसभा में सेवारत्न श्री हरीशमुनिजी म.सा. एवं युवारत्न श्री नानेशमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।
धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने आयम्बिल, एकासन, उपवास तप के प्रत्याख्यान भी लिए। धर्मसभा में हैदराबाद, चैन्नई, सूरत, चित्तौड़गढ़, उदयपुर सहित विभिन्न स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ के द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन गौतमचंद बाफना ने किया। चातुर्मासिक नियमित प्रवचन सुबह 9 से 10 बजे तक हो रहे है। प्रतिदिन दोपहर 2 से 4 बजे तक का समय धर्मचर्चा के लिए तय है।
सौभाग्यमुनिजी म.सा. की पुण्यतिथि पर तीन दिवसीय आयोजन कल से
श्रमण संघीय महामंत्री पूज्य सौभाग्यमुनिजी म.सा. ‘कुमुद’ के चतुर्थ पुण्य स्मृति दिवस पर युवा तपस्वी श्री मुकेशमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ एवं श्री आदिनाथ चेरिटेबल ट्रस्ट अम्बाजी के तत्वावधान में अंबिका जैन भवन में तीन दिवसीय आयोजन शुक्रवार से शुरू होंगे। पहले दिन सामूहिक एकासन तेला तप आराधना शुरू होंगी। इसी तरह 28 सितम्बर रात 8 बजे से भक्ति संध्या एक शाम गुरू सौभाग्य के नाम का आयोजन होगा। पुण्य स्मृति दिवस पर 29 सितम्बर को सुबह 9.30 बजे से गुणानुवाद समारोह एवं प्रवचन का आयोजन होगा।
प्रस्तुतिः अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627