कांग्रेस के गुटबाजी का दिखा असर  नगर पालिका परिषद खैरागढ़ अध्यक्ष –  उपाध्यक्ष चुनाव, क्रास वोटिंग टला, टास में कांग्रेस के दोनों पद

कांग्रेस के गुटबाजी का दिखा असर नगर पालिका परिषद खैरागढ़ अध्यक्ष – उपाध्यक्ष चुनाव, क्रास वोटिंग टला, टास में कांग्रेस के दोनों पद

 

राजनांदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) जिले के खैरागढ़ नगर पालिका  परिषद में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष  का पद आज टॉस के आधार पर दोनों ही कांग्रेस के खाते में गया। 20 पार्षद वाले नगर पालिका परिषद में 10 भाजपा एवं 10 कांग्रेस के पार्षद, जीत के आये हैं। जहां दोनों ही पार्टी के पास अध्यक्ष, उपाध्यक्ष बनाने के लिए बहुमत भी नहीं रहा है। क्रॉस वोटिंग की चर्चाएं होती रही है। जो टल गया। आज हुए मतदान में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पद के लिए दोनों ही पार्टी के पार्षदों को खड़ा किया गया। जहां टास के आधार पर कांग्रेस के पार्षद शैलेष वर्मा एवं कांग्रेस के ही पार्षद अब्दुल रज्जाक खान को क्रमश अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष निर्वाचित किया गया।

भाजपा के चंद्रशेखर यादव अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद के लिए विनय देवंागन मैदान में थे। खैरागढ़ के ही एक वार्ड में कांग्रेस भाजपा को पार्षद चुनाव में बराबर वोट मिले। लेकिन यहां टास में कांग्रेस का पार्षद जीतकर आया। वहीं दूसरी  ओर आज काफी गहमा एवं गहमी के कड़ी सुरक्षा के मध्य हुए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष चुनाव में टॉस में दोनों ही पद कांग्रेस के पास चले गये। क्रास वोटिंग की संभावनाओं पर चर्चा होती रही है। लेकिन ऐसी स्थिति नहीं बनी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि क्षेत्र के विधायक स्व. देवव्रत सिंह के निधन के पश्चात आगामी माह मार्च में विधानसभा का उपुचनाव भी होना है। नगर पालिका परिषद चुनाव मेें विपक्ष विशेषकर भाजपा की प्रस्तुति कमजोर नहीं रही है। 
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पार्षद चुनाव के मतगणना को लेकर कांग्रेस जिस वार्ड से चुनाव जीतने की स्थिति बनी उस पर भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। यही नहीं क्षेत्र के भाजपा नेता, जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह व बड़ी संख्या में भाजपाईयों ने मतगणना स्थल पर धरना, प्रदर्शन किया तथा मतगणना केन्द्र में  घुस गये थे। पुलिस ने विक्रांत सिंह एवं अन्य बड़ी संख्या में भाजपाईयों के विरूद्ध गैर जमानती विभिन्न धाराओं के तहत पंजीबद्ध किया है। फलस्वरूप इस चुनाव में विक्रांत सिंह खुलकर चुनाव मैदान में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को लेकर अपनी सक्रियता नहीं दिखा पाई। इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस को जर्बदस्त टक्कर दी तथा बराबरी के स्थान पर पहुंचा दिया। यह भी उल्लेखनीय रहा है कि खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में नगर पालिका सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कांगे्रेस की गुटबाजी इस चुनाव में दिखी। परिणाम भी यही रहा कि बड़ी मुश्किल से टास के आधार पर अपना अध्यक्ष, उपाध्यक्ष बना पाये। कांग्रेस 10 वार्डों में चुनाव जीती लेकिन लगभग पांच छह वार्डों में उनके प्रत्याशी, 4,5,8, 10 वोट से ही जीते। खैरागढ़ राजपरिवार की युवरानी स्व. देवव्रत सिंह की पूर्व पत्नी युवरानी पदमा सिंह वार्डों में पार्षद प्रत्याशियों को जीताने सक्रिय भी रही। कुछ वार्डो में जोगी कांग्रेस भी प्रचार प्रसार करते दिखी। लेकिन उनका कोई भी प्रत्याशी नहीं जीता। 20 वार्ड वाले नगर पालिका परिषद में कांग्रेस, भाजपा का 10 10 पार्षद मिले हैं। चुनाव टास के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष, उपाध्यक्ष बनाई है। इस चुनाव में क्रास वोटिंग के संभावनाओं को पार्षदों ने पूरी तरह से खारिज कर दिया। यहां के चुनाव प्रभारी कांग्रेस के दलेश्वर साहू एवं भाजपा के संजय श्रीवास्तव बनाये गये थे। आगामी 3 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा अभी से सक्रिय दिख रही है। वहीं कांग्रेस को चर्चाओं के अनुसार कथित अपनी पार्टी में व्याप्त गुटबाजी को खत्म करना होगा। जिस ढंग से जिला कांग्रेस अध्यक्ष पदम कोठारी की सहमति, सिफारिश व सूचि में दिये गये नामों के आधार पर पार्षद प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इसको लेकर नाराजगी व शिकायत कांग्रेस में प्रारंभ से रही है। तात्कालीक नगर  पालिका परिषद अध्यक्ष श्रीमती मीरा गुलाब चोपड़ा, जैसों की पूछ परख व पार्षद उम्मीदवार चयन के मामले में नहीं होने का खामियाजा उनकी पार्टी में हो रही गुटबाजी की चर्चाएं ही प्रमुख रही है। अब दोनों ही पार्टी के समक्ष खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव को लेकर प्रत्याशी चयन के मामले में लोधी बाहुल्य क्षेत्र में काफी सूझबुझ के साथ मैदान में आना होगा। कांग्रेस सत्ता में है। पांच सालों में  40 करोड़ से अधिक राशि विकास के लिए नगर पालिका को मिली। यहीं चुनाव घोषणा के एक पखवाड़ा पूर्व मुख्यमंत्री ने पांच करोड़ रूपये खैरागढ़ नगर पालिका को दिया लेकिन  सत्ता पक्ष कांग्रेस व नगर पालिका के पार्षद व पदाधिकारी मतदाताओं को ही नहीं बता पाये कि विकास  के लिए जारी की गई राशि किस मद में खर्च होगी। मुख्यमंत्री ने आम सभा ली। रैली में शामिल हुए। प्रभारी मंत्री सहित विभागीय मंत्री व कांग्रेस के विधायक व पार्टीजन चुनाव में सक्रिय दिखे। लेकिन परिणाम ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस कमजोर प्रस्तुति का खामियाजा गुटबाजी के कारण झेलना पड़ा। 

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