रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 23 अक्टूबर। एक माह पश्चात आज से फिर पुजारी पार्क के मानस भवन में शीतल राज जी महाराज के सानिध्य में मांगलिक पाठ के साथ भगवान महावीर स्वामी का अंतिम देशना श्रीमद् उत्तराध्यान सूत्र का सामूहिक वचन के साथ शुरू हुआ। प्रतिदिन सुबह 8:00 से 9:30 बजे तक चलने वाले इस उत्तराध्यान में बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं पहुंचे।
वीर स्तुति से प्रारंभ उत्तराध्यान परिषह अध्ययन पाठ दिगिददापरी सहे के सूत्रों के पठन की शुरुआत विनय श्रुत पर हुई। अन्य अध्ययन में परीषह प्रविभक्ति, चतुरंगीय, असंस्कृत, अक्राम मरणीय, क्षुल्लक, निर्गन्धीय एवं का पठन वाचन सामूहिक रूप से शीतल मुनि जी के सानिध्य में चला ।
आज सात अध्ययन के पठन वाचन के बाद इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए मुनि श्री ने कहा सभी अध्ययन सूत्रों का पालन करें, करने वाला मोक्ष को प्राप्त करता है। उन्होंने कहा आचार्य के विनय के साधक जितनी भी साधना कर ले होशियार हो जावे लेकिन जीवन में विनय, विनम्रता नहीं वह साधक कभी आठ कर्मों का सहकर मुक्त नहीं हो सकता। विनय से ही उत्तम श्रेष्ठ जीवन को प्राप्त कर सुखमय बनाएं ।
विनयशील व्यक्ति कहां से कहां पहुंच जाता है। मुनि श्री ने कहा 22 पारिषक के जिसमें दो अनुकूल एवं 2 प्रतिकूल, प्रतिकूल भले ही कष्ट दी दुखदाई हो लेकिन दो परिषद भी कठिन है जो प्रतिकूल से ज्यादा कठिन है।
वैसे भी उत्तराध्यान को लेकर कहा गया है कि जैन धर्म के संदेश में उत्तराध्यान की भी यह स्थिति है उत्तराध्यान का महत्व केवल नियुक्ति कार्य की तीन गाथा है । इसके महत्व का उपपादन करती है । इस अवसर पर तपस्या उपवास वालों ने पचखान लिया तथा प्रतिक्रमण एवं रात्रि संवर हुआ ।