रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 26 अक्टूबर। सामायिक स्वाध्याय के प्रणेता शीतलराज मसा ने पुजारी पार्क मानस भवन में महावीर स्वामी की अंतिम देशना श्रीमद् उत्तराध्यान सूत्र का वाचन के साथ भावार्थ बताते हुए कहा आने वाले समय में साधक दुखों से पीड़ित होकर अध्ययन वाणी न कर सके तो मरण तक कष्ट होगा। अपने अंतिम मरण मृत्यु के रूप में जब मेरा शरीर ज्ञान दर्शन, चारित्र तप की साधना करने को रोकेगा। 36वें अध्ययन में पूरा वर्णन ही साधक के विनय धर्म का मूल्य है । क्षमा चार दुर्लभ प्राप्त है, इसका लाभ ले ।
साधक अपना जीवन प्रमाद में नहीं अप्रमाद में व्यतीत कर मृत्यु को प्राप्त करता है। पंडित मरण को प्राप्त करने वाला साधक कभी दुखी नहीं होता । ज्ञानी समझता है कि कितना भी कष्ट है दूसरों ने नहीं दिया मेरा कर्म का बंध है। मुनिश्री ने विभिन्न अध्ययनों को अलग-अलग ढंग से समझाते हुए कहा साधक अपने जीवन में चोरी हिंसा झूठ पाप कर्म न लगा कर सोचे किसी को सताओ मत, कष्ट मत दो, साधक दूसरों को मार कर राजी न हो एक समय आएगा वो तुझको भी मारेगा । यह कर्म राजा राजकुमार, सेठ, साहूकार, गरीब, अमीर किसी को नहीं छोड़ेगा कर्म बांधने से बचे ।
मुनि श्री शीतल राज ने कहा कर्म का पुल किसी को नहीं छोड़ेगा। भगवान महावीर स्वामी ने कहा है साधक अपने जीवन में यदि यत्नपूर्वक कर्म करें उसे जीव को कर्म बंध नहीं होगा। उन्होंने टीवी मोबाइल के उपयोग दुरुपयोग पर कहा कि हम इसमें कितना कर्म बांध लेते हैं।
भगवान महावीर ने कहा कि जब तक संवर का प्रचार नहीं उसका आश्रव क्या रहेगा ।ज्ञान के द्वारा सुख-दुख ग्रहण किया जा सकता है, साधक ज्ञान को भूलकर मस्ती में आनंद जीवन बिताता है। उसकी दुर्गति होती है, भगवान ने कहा है कि जब तक तेरे पीछे परिग्रह लगा है मन स्थिर नहीं रहता। जीव समझकर पालना करें तिर जाएगा। नहीं करेगा तो डूब जाएगा।
मुनि श्री ने कहा 29, 30, 31 अक्टूबर को तेला करें। 108 वीर स्तुति का जाप करें उनका सम्मान किया जावेगा ।