बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 10 नवंबर। श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर क्रांतिनगर बिलासपुर में श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन बड़े ही भक्ति और उत्साह के साथ चल रहा है। सुबह 6.30 बजे से श्रद्धालुओं का मंदिर जी में आना प्रारंभ हो जाता है, सर्वप्रथम मंगलाष्टक, अभिषेक इसके बाद शांतिधारा और पूजन की जाती है।
बिलासपुर जैन सभा के संरक्षक एवं इस विधान के आयोजक व पुण्यार्जक श्रीमंत सेठ विनोद जैन ने बताया कि पूजन के बाद सिद्धचक्र महामंडल विधान का पाठ प्रारंभ होता है और इंद-इंद्राणी एवं अन्य पात्र मण्डल पर जाकर श्रीफल के साथ अर्घ्य समर्पित करते हैं। संध्याकालीन बेला में श्रीजी की आरती एवं भजन किया जाता है।
इसके बाद विधानाचार्य बाल ब्रह्मचारी मनोज भैया द्वारा शास्त्र प्रवचन किए जाता है। विनोद जैन ने बताया कि विद्वानों ने इस विधान को लघु समयसार कहा है। दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति की महान परंपरा के अनुसार अष्टान्हिका पर्व में पंच-परमेष्ठी की पूजा, आराधना करने का एक विशेष महत्व होता है, इसलिए अष्ठानिका महापर्व के पावन पुनीत अवसर पर श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन हमेशा किया जाता है।
विश्व शांति की मंगल कामना से आयोजित इस अनुष्ठान में सकल जैन समाज बिलासपुर के सैकड़ों श्रावकों के साथ साथ अन्य समाज के गणमान्य नागरिक भी शामिल हो रहे हैं।
विश्व शांति एवं सभी की मंगल कामना के साथ प्रारम्भ हुए इस अनुष्ठान के तीसरे दिन मंत्रोच्चार के साथ 32 अर्घ चढ़ाए गए, विधानाचार्य मनोज भैया द्वारा पूजा में चढ़ाए गए अर्घ्यों का अर्थ विस्तार पूर्वक बताया गया। विधान के दौरान विधानाचार्य जी ने बताया कि कर्म मूलतः आठ होते हैं, जिनके कारण संसारी जीव सत्कर्म और असत्यकर्म करता है।
सत्कर्म से अच्छी भोग सामग्री प्राप्त होती है और दुष्कर्म करने से शरीर रोगग्रस्त, संतान आचरणहीन और परिवार में झगड़े होते हैं, कुल मिलाकर अशुभ चीज़ों की प्राप्ति होती है।
उन्होंने इस अनुष्ठान की महिमा बताते हुए कहा कि भगवान के दरबार में जो भी सिद्ध चक्र महामण्डल विधान को श्रद्धा भक्ति के साथ आयोजित करता है वह सदैव सुख सम्पत्ति और वैभव को प्राप्त करता है।
उन्होंने कहा कि जैन अनुष्ठानों में इस विधान का स्थान सर्वोपरि है। इस अनुष्ठान को करने वाला, कराने वाला या रंच मात्र भी सहयोग करने वालों को ऐसा पुण्य लाभ होता है जो कभी कम अथवा नष्ट नहीं होता।
विधानाचार्य जी ने कहा कि जैन धर्म समेत लगभग सभी धर्मों में चक्र का विशेष महत्व है। यह धर्म चक्र तीर्थंकरों के आगे-आगे चलता है, इसलिए अंतरात्मा के साथ श्रद्धापूर्वक पूजा करने से अलौकिक पुण्य को प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं।
विश्व शांति की मंगल कामना से आयोजित इस अनुष्ठान में शामिल होने वाले शहर के गणमान्य नागरिकों में से आज बिलासपुर के जिलाधीश अवनीश कुमार शरण, पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह एवं अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए. डी. एन. वाजपेयी सम्मिलित हुए।
पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने कहा कि इस पवित्र अनुष्ठान के क्षेत्र में आते ही एक अलग ही प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा का संचार पूरे शरीर में होने लगा है, जब कुछ ही समय में मुझे इतनी ऊर्जा मिल रही है तो आप लोग जो पूरे नौ दिन इस अनुष्ठान का हिस्सा हैं तो आप लोगों को कितनी ऊर्जा मिलेगी।
जिलाधीश अवनीश कुमार शरण ने कहा कि मैं इतिहास का विद्यार्थी रहा हूँ तो मैं जानता हूँ कि जैन संत कितनी कठोर तपस्या करते हैं एवं जैन श्रावक भी बहुत नियमों का पालन करते हैं। आप सभी के इस तप एवं अनुष्ठान से पूरे बिलासपुर शहर में शांति कायम रहेगी एवं हमारा शहर उत्तरोत्तर प्रगति करता रहेगा।
कुलपति प्रो. वाजपेयी ने कहा कि मैं तो शुरू से ही जैनी हूँ, मेरी जैन धर्म एवं जैन संतों में अटूट श्रद्धा है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे जैनाचार्य विद्यासागर जी महाराज का सानिध्य मिला। सभी विशिष्ट नागरिकों ने इस अनुष्ठान के सफल आयोजन की कामना की एवं समस्त जैन समाज के पुण्य की अनुमोदना की।