खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव , प्रत्याशी चयन  क्षेत्र के बाहरी नेता करेंगे – चर्चा…….सत्ता पक्ष, विपक्ष के लिए चुनौती, राजपरिवार की महत्ती भूमिका

खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव , प्रत्याशी चयन क्षेत्र के बाहरी नेता करेंगे – चर्चा…….सत्ता पक्ष, विपक्ष के लिए चुनौती, राजपरिवार की महत्ती भूमिका

राजनांदगांव/खैरागढ़। (अमर छत्तीसगढ़) चुनाव आयोग ने कल घोषित किया है कि देश के उत्तर प्रदेश पंजाब उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा की विधानसभा सीटों पर मतदान 10 फरवरी से प्रारंभ होगा तथा 10 मार्च को नतीजे भी आएंगे। नामांकन प्रक्रिया की शुरूवात  14 जनवरी से होगी तथा यह भी तय है कि जिले के खैरागढ़ विधानसभा का उपचुनाव भी होना है। खैरागढ़ राजपरिवार के युवराज विधायक देव्रवत सिंह के निधन के पश्चात यह सीट खाली है। इसके पूर्व  इसी सप्ताह खैरागढ़ नगर पालिका परिषद  चुनाव परिणाम भी सामने आया है। जहां सत्ता पक्ष को भाग्य भरोसे अर्थात टॉस के माध्यम से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का पद मिला है। खैरागढ़ विधानसभा का उपचुनाव प्रत्याशी चयन के मामले में क्षेत्र के बाहरी नेता ही तय करेंगे। इसकी चर्चा खैरागढ़ में सत्ता पक्ष स्तर पर होने की बात सामने आ रही है। सत्ता  पक्ष एवं विपक्ष के लिए यह चुनाव एवं आने वाला परिणाम बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन सत्ता पक्ष कांग्रेस को खैरागढ़ राजपरिवार की महत्ती भूमिका संवेदना व सहानुभूति को लेकर क्षेत्र के मतदाताओं का रूझान स्व. देवव्रत सिंह के पुत्र, पुत्री को लेकर  जीत की संभावना पर चर्चा विधानसभा क्षेत्र वाले ही करते दिख रहे हैं। यह अलग बात है कि राजपरिवार की पूर्व एवं वर्तमान बहु तथा उनके परिजनों के मध्य संपत्ति विवाद को लेकर मामला न्यायालय तक पहुंच रहा है। 
खैरागढ़ नगर पालिका परिषद चुनाव परिणाम के कटु अनुभव की चर्चा जानकारी के अनुसार राजधानी में व कांग्रेस मुख्यालय में हो रही है। नगर पालिका चुनाव में जिस ढंग से कांग्रेस गुटों में बंटी दिखी। नेताओं का पुछ परख के आभाव में शांत रहना कांग्रेस को झटके तो दिया लेकिन यही स्थिति विधानसभा उपचुनाव में रही तो चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। भाजपा ने अपने दस पार्षदों का अनुशासन मेंं रहने का परिणाम विक्रांत सिंह, कोमल जंघेल व कुछ वरिष्ठ नेताओं के सक्रिय रहने का प्रतिपल बताया जाता है। अन्यथा सत्ता पक्ष पूर्ण बहुमत के साथ पालिका चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष् को लेकर आ सकती थी। यह अलग बात है कि  बराबरी में टॉस होने पर कांग्रेस को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का पद मिल गया।
खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र लोधी सहित पिछड़ा वर्ग बाहुल्य है। जहां दोनों  पार्टियों को प्रत्याशी उतारने के पहले सभी बिन्दुओं पर बारिकी से नजर रखना होगा।  वैसे चर्चाओं में भाजपा में विक्रांत सिंह एवं कोमल जंघेल की चर्चा हो रही है। जहां विरोधाभास की स्थिति तो नहीं दिख रही है, लेकिन कांग्रेस में बाहरी व स्थानीय सहित आधा दर्जन नेता टिकट की दौड़ में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से दिख रहे हैं। क्षेत्र के बाहरी नेता टिकट वितरण के मामले में उनकी भूमिक को लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है।  खैरागढ़ के लोग तथाकथित पार्टीजन  दबे स्वर में कहने में नहीं चुक रहे है कि स्थानीय लोगों की उपेक्षा हुई। उन से रायमशुवरा नहीं हुआ तो उनकी नाराजगी का खामियाजा कुछ भी परिणाम दे सकता है। जिले के डोंगरगांव के विध्याक छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष दलेश्वर साहू खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में प्राधिकरण के तहत राशि भी विकास एवं जनहित के कार्यो के लिए उपलब्ध कराई है। स्व. भी पिछड़ा वर्ग के हैं। खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में लोधी बाहुल्य की संख्या भी सर्वाधिक है।  ऐसी स्थिति मेंं स्व. विधायक देवव्रत सिंह  के परिजनो का चुनाव प्रचार में शाम्मिलित होना सत्त्ता पक्ष के लिए फायदे का काम हो  सकता है। 
सांध्य दैनिक अमर छत्तीसगढ़ व वेब पोर्टल डॉट कॉम ने पहले ही पालिका चुनाव आने के पूर्व ही कांग्रेस में गुटबाजी व कथित स्थानीय लोगों की उपेक्षा को लेकर जनचर्चार्आें के अनुरूप  समीक्षा, रिपोर्ट का प्रकाश भी किया । 20 वार्डों वाले नगर पालिका में 10, कांग्रेस व 10 भाजपा के पार्षद चुनकर आये है। कांग्रेस के लगभग आधा दर्जन पार्षद, 4, 5, 8, 10 मत से ही जीेते है। कांग्रेस भले ही नगर पालिका में काबिज हो गई। लेकिन उसे सभी 20 वार्डों में पूरी ताकत झोंकेन के साथ ही यह भी बताना होगा कि पालिका के कांग्रेस के तत्कालि अध्यक्ष श्रीमती मीरा गुलाब चोपड़ा 40 करोड़ के अधिक के विकास कार्यांे को क्रियान्वित किया। मुख्यमंत्री ने स्व. पालिक चुनाव के पहले सप्ताह भर पूर्व पांच करोड़ की राशि विकास के लिए उपलब्ध तो कराई, लेकिन पालिका अध्यक्ष व कांग्रेस संग्रठन  तथा नगर पालिका के सीएमओ मतदाताओं संभवता बता नहीं पाये चर्चा भी कांग्रेस के खेमो से बाहर आ रही है। मुख्समंत्री भूपेश बघेल  ने  नगरीय निकाय चुनाव परिणाम के बाद स्पष्टक हा है कि चुनाव में जो भी वायदे किये गये है। वे जिम्मेदारी से पूरा किया जावे। 
सत्ता पक्ष विशेषकर जिनके पास पूरा तंत्र, सीआईडी, आईबी, एलआईबी जैसे गोपनीय विभाग होते हैं। उनसे पालिका चुनाव के परिणामों की  समीक्षा रिपोर्ट के साथ ही फरवरी में होने वाले विधानसभा उप चुनाव के प्रत्याशी चयन के मामले में एक साथ सुफथरी निष्पक्ष रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष पहुंचनी चाहिए। ऐसी चर्चा खैरागढ़, ही नहीं राजनांदगांव में भी वरिष्ठ कांग्रेस नेता दबे स्वर में कहते देखे जा रहे है।  वैसे भी दो वर्ष बाद विधानसभा का आमचुनाव होना हैै। सत्ता पक्ष कांग्रेस इस पर काबिज होने के लिए प्रतिष्ठापूर्ण ढंग सेे चुनाव लड़ेगी। लेकिन विपक्ष विशेषकर भाजपा भी चुनावी रणनीति व अपने पार्टीजनों के साथ अनुशासन पूर्वक प्रस्तुति देने में पीछे नहीं दिखती। कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव संवेदना व सहानुभूति के ईद गिद दिखता है। वहीं दूसरी ओर स्व. विधायक देवव्रत सिंह जोगी कांग्रेस से रहे हैं। कांग्रेस प्रवेश नहीं हो पाया लेकिन कांग्रेस से जुड़े दिखे, स्वयं मुख्यमंंत्री व मंत्रियों ने इसकी पुष्टि भी की । लेकिन उनकी दूसरी पत्नी विभा सिंह जोगी कांग्रेस के साथ पालिका चुनाव में दिखी। संभव है वे उसी में रहे। उनका राजनीतिक पक्ष से जुड़ाव को लेकर किसी भी प्रकार की चर्चा  फिलहाल सामने नहीं आई है कि वे क्या जोगी कांग्रेस से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे ? …. शेष फिर कभी….

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