राजनांदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) जिले के खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे खैरागढ़ राजपरिवार के युवराज, देवव्रत सिंह के निधन पर अगले माह विधानसभा का उपचुनाव होना है। इसके पूर्व खैरागढ़ नगर पालिका परिषद का चुनाव संपन्न हुआ जहां सत्ता पक्ष की कमजोर प्रस्तुति व गुटबाजी ने उन्हें टॉस के आधार पर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का पद मिला। कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर सत्ता पक्ष व संगठन के प्रदेश स्तर के प्रमुख आगामी अगले माह फरवरी में होने वाले विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए गुटबाजों को जहां चेतावनी दी गई है। वहीं बताया जाता है कि पालिका चुनाव में जिस ढंग से कथित तौर पर व चर्चाओं के अनुसार बाहरी नेताओं के दखल अंदाजी को लेकर मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के समक्ष अपनी नाराजगी प्रस्तुत की है। शायद यही करण है कि कल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के खैरागढ़ में आयोजित पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन में खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र के बाहर के नेताओं की उपस्थिति नहीं दिखी। चुनाव को लेकर प्रत्याशी चयन के मामले में प्रदेश अध्यक्ष श्री मरकाम ने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट कहा कि जो टिकट मांग रहे हैं वे अपने क्षेत्र के मतदान केन्द्र के पिछले चार विधानसभा एवं दो लोकसभा चुनाव के परिणामों की जानकारी वे ताकि उनकी योग्यता का आंकलन हो कि उनके वार्ड में कांग्रेस जीती या नहीं जीती। श्री मरकाम ने स्पष्ट कहा कि जो या जिसके वार्ड से कांग्रेस चुनाव नहीं जीती, कितना बड़ा ही नेता हो लेकिन उसे टिकट नहीं मिलेगी। । खैरागढ़ राजपरिवार के युवराज स्व. देवव्रत सिंह की प्रथम पत्नी युवरानी पदमा सिंह अपने पुत्र के साथ प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुनील पांडे से भी श्री मरकाम ने चर्चा की। कोरोना काल के बावजूद सम्मेलन में भारी भीड़ के देखते हुए कई कोरोना प्रोटोकाल को लेकर प्रदेश अध्यक्ष ने नाराजगी व्यक्त की चेतावनी भी दी।
खैरागढ़ राजपरिवार का राजनीतिक व पारिवारिक संबंध नेहरू गांधी परिवार से लगभग 70 वर्षों तक रहा है। लेकिन पिछले पांच वर्ष स्व. देवव्रत सिंह द्वारा कांग्रेस छोड़कर जोगी कांग्रेस में जाने की वजह से उनकी हाई कमान से दुरिया भी चर्चा का विषय रही है। लेकिन भरोसेमंद राजनीतिक सुत्रों के अनुसार श्रीमती पदमा सिंह का संपर्क दिल्ली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी से रहा बताया जा रहा है।
जहां तक खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी को लेकर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष की प्रतिष्ठापूर्ण लड़ाई रहेगी। भाजपा से भी दो नामों की चर्चा हो रही है। वहीं कांग्रेस के लोग क्षेत्र के पूर्व विधायक गिरवर जंघेल को लेकर अपने सहमति की पुष्टि नहीं कर पा रहे हैं। खैरागढ़ ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में जहां श्रीमती पदमा सिंह का नाम सामने आ रहा है वहीं दूसरी ओर देवव्रत सिंह की बड़ी बहन उज्जवला सिंह का भी नाम आ रहा है। लेकिन उज्जवला सिंह ने कहा कि वे किसी भी स्थिति में चुनाव लडऩा नहीं चाहती। न ही उनका नाम किसी संभावित प्रत्याशी में जोड़ा जावे।
खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में खैरागढ़ राजपरिवार का सर्वाधिक योगदान रहा है। क्षेत्रवासी देवव्रत सिंह के पुत्र व पुत्री को भी सहयोग करने के लिए तत्पर दिख रहे हैं। लेकिन वे अपनी मां श्रीमती पदमा सिंह को लेकर ही मतदाताओं के पास जाने के लिए तत्पर हो सकते हंै। अध्यक्ष की नाराजगी भी दिखी। पालिका चुनाव परिणाम से भी वे शायद प्रसन्न नहीं दिखे। बताया जाता है कि खैरागढ़ के शहरी व ग्रामीण कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में बाहरी नेताओं की दखलअंदाजी को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। खैरागढ़ के कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि शायद यही वजह है कि कल आयोजित सम्मेलन में बाहरी नेताओं का आगमन नहीं हुआ। कांग्रेस को विधानसभा उपचुनाव जीतने के लिए सबसे पहले गुटाबाजी को समाप्त करने की पहल करनी होगी। वहीं दूसरी ओर जोगी कांग्रेस के नेताओं के अनुसार स्व. देवव्रत सिंह की दूसरी पत्नी विभा सिंह भी चुनाव लडऩे के लिए तत्पर दिख रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने जिस तरह से टिकट मांगने वालों को उनका बायोडाटा उनके वार्ड के चुनाव परिणाम को लेकर मांगा है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रदेश स्तर पर सत्ता व संगठन में भी बैठे लोगों भी खैरागढ़ में कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर चुनाव परिणाम को इसकी वजह भी मांगते होंगे। हालांकि विधायक प्र्रत्याशी चयन के मामले में मुख्यमंत्री तथा पार्टी हाईकमान की महत्वपूर्ण भूमिका भी संभव है। शेष फिर कभी ….