राजनांदगांव में होगी नौ लोगों की दीक्षा…… भगवान बनने से पहले भक्त बनना अनिवार्य है – सम्यक रतन सागर जी…… मनुष्य जन्म लिया है तो मोक्ष प्राप्ति का लक्ष्य बनाओ- साध्वी हंस कीर्ति जी

राजनांदगांव में होगी नौ लोगों की दीक्षा…… भगवान बनने से पहले भक्त बनना अनिवार्य है – सम्यक रतन सागर जी…… मनुष्य जन्म लिया है तो मोक्ष प्राप्ति का लक्ष्य बनाओ- साध्वी हंस कीर्ति जी

विमल हाजरा

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 25 जनवरी। मुनि श्री सम्यक रतन सागर जी ने कहा कि भगवान बनने से पहले भक्त बनना जरूरी है। गुरु बनने से पहले शिष्य बनना जरूरी है। माता-पिता बनने से पहले पुत्र पुत्री बनना जरूरी है। भक्त का भगवान बनने के लिए यह भी जरूरी है कि उसका मन गुरु भक्ति से भीगा हो।


मुनि श्री ने कहा कि जिसने अपने हृदय को गुरु भक्ति में भीगा लिया, वही मुमुक्षु बनता है। उन्होंने कहा कि जो प्रभु के करीब रहने का प्रयास करता है , प्रभु भी जल्द से जल्द उसकी सुनते हैं और उसे अपने समीप ही रखने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु के चरणों में पहुंचने वाला ही परमात्मा के चरणों में पहुंच पाता है।
इससे पहले साध्वी हंस कीर्ति श्री जी ने कहा कि आर्य संस्कृति में जन्म लेने के बाद परम पद प्राप्ति का लक्ष्य हो जाता है। परम पद प्राप्ति के लिए मनुष्य प्रार्थना करता है और प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती। उन्होंने कहा कि मुमुक्षु सपना जी डाकलिया के साध्वी बनने के भाव पहले से ही थे किंतु वे अपने साथ पांच लोगों को तारने का लक्ष्य लेकर आई थी। इसी तरह स्व. रतन लूनिया की धर्मपत्नी सुशीला जी लूनिया का भी लक्ष्य संयम जीवन ग्रहण करने का था। कोंडागांव की संगीता जी गोलछा का भाव भी संयम जीवन ग्रहण करने का काफी समय से था। उन्होंने अपने पुत्र को दो दिसंबर को और पुत्री को आठ दिसंबर को दीक्षा दिलवाई और वे स्वयं भी 27 जनवरी को दीक्षा ग्रहण करेंगी। उन्होंने कहा कि बालोद के सौरभ फूगड़ी ने भी आचार्य श्री के समक्ष संयम जीवन जीने के लिए अनुमति मांगी और मां-बाप का एकमात्र पुत्र होने के बावजूद उनके मां बाप ने भी अपनी अनुमति देते हुए आचार्य श्री के समक्ष विनती की है और सौरभ भी 27 जनवरी को दीक्षा ग्रहण कर संयम के मार्ग में आगे बढ़ेंगे।

राजनांदगांव में होगी
नौ लोगों की दीक्षा

राजनांदगांव शहर के लिए यह सौभाग्य की बात है कि आगामी 27 जनवरी को नौ लोगों की दीक्षा संपन्न होगी । आचार्य श्री जिन पीयूष सागर जी के मुखारविंद से यह दीक्षा जैन बगीचे में संपन्न होगी। संयम जीवन अंगीकार करने वालों में छह लोग डाकलिया परिवार के हैं।
डाकलिया परिवार के भूपेंद्र डाकलिया, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सपना डाकलिया, पुत्र द्वय देवेंद्र एवं हर्षित डाकलिया तथा दोनों पुत्रियां महिमा व मुक्ता डाकलिया हैं । यह पूरा परिवार 27 जनवरी को दीक्षा ग्रहण करेगा । इनके साथ ही कोंडागांव की संगीता गोलछा, राजनांदगांव की सुशीला लूनिया और बालोद के सोनू उर्फ सौरभ फुगड़ी यहां दीक्षा ग्रहण करेंगे। राजनांदगांव के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब एक साथ इतने लोगों की दीक्षा यहां इस पावन भूमि में संपन्न होगी। सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष एवं श्री जैन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट समिति के मैनेजिंग ट्रस्टी तथा पूर्व महापौर नरेश डाकलिया, ट्रस्टीगण रिद्धकरण कोटडिया, राजेंद्र कोटडिया (गोमा) एवं अजय सिंगी के साथ ही दीक्षा महोत्सव आयोजन समिति के संयोजक भावेश बैद, कोषाध्यक्ष रोशन गोलछा, रितेश लोढा, बिहार सेवा ग्रुप के मोहिल कोटडिया, आकाश चोपड़ा, जैनम बैद सहित उन समस्त कार्यकर्ताओं का नाम राजनांदगांव के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा जिनके अथक मेहनत की वजह से राजनांदगांव में इतने बड़े दीक्षा महोत्सव का आयोजन हुआ और इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने दीक्षा ग्रहण की।

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