राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) संस्कारधानी नगरी राजनांदगांव के गौरवशाली इतिहास में एक कड़ी और जुड़ने जा रही हैं , नगर में पली बढी सुराना परिवार की बेटी और श्रीश्रीमाल परिवार की पुत्रवधु श्रीमति प्रीति धर्मपत्नी स्वर्गीय विकास जी श्री श्रीमाल आचार्य श्री नानेश के बगिया की फूल बनने जा रही हैं । ब्यावर ( राजस्थान ) में 7 अन्य मुमुक्षुओं के साथ वे दिनांक 10 फरवरी 2022 को साधुमार्गीय शांतकांति जैन संघ के आचार्य विश्ववल्लभ , प्रज्ञानिधि 1008 श्री ” विजयराजजी म . सा . के मुखारविंद से संयम अंगीकार करने जा रहीं हैं । उसी के सुन्दर उपलक्ष्य में आज यहां सुराना परिवार द्वारा मुमुक्षु अभिनंदन कार्यक्रम रखा गया है । तो आइए हम उनके जीवन का दर्शन उनके परिचय से करते हैं
.: मुमुक्षु बहन प्रीति श्रीश्रीमाल का जन्म बालोद जिले के ग्राम -संजारी में 13 नवम्बर 1980 को हुआ था । व्यावहारिक शिक्षा का प्रारंभ राजनांदगांव के जैन बाल मंदिर सदर बाजार से हुआ । तत्पश्चात् महारानी लक्ष्मीबाई कन्याशाला में – अध्ययन की फिर शासकीय दिग्विजय कॉलेज में स्नातकोत्तर की शिक्षा पूर्ण की ।
धार्मिक अध्ययन के अंतर्गत आपको सुखविपाक सूत्र , दशवेकालिक सूत्र आदि अनेक ग्रंथ , स्त्रोत व थोकड़े कण्ठस्थ हैं।
आपका विवाह 10 दिसंबर 2001 को रायपुर निवासी श्रीमान प्रकाशचंद्र आनंद देवी श्रीश्रीमाल परिवार के सुपुत्र विकास श्रीश्रीमाल के साथ संम्पन्न हुआ ।
तप – त्याग व धर्म आराधना से आपका जीवन ओतप्रोत है आपने विभिन्न छोटी तपस्याओं के साथ ही साथ ही सन् 2012 व सन् 2018 में दो बार मासक्षमण जैसे कठिन तप की आराधना किया है जो कि आपके दृढ मनोबल का परिचायक हैं ।
बहुत ही चुलबुली मजाकिया , मिलनसार , धैर्यवान , सेवाभावी , बहन प्रीति के जीवन में बहोत उतार – चढ़ाव आए लेकिन उन्होंने इन सबका बड़े साहस के साथ , डटकर सामना किया और राह के शूलों को भी फूलों में बदल दिया और अपनी राह में आए हर एक कमजोरी को अपनी ताकत बनाया |
10 भाई बहनों में आप सबसे छोटी है आपके परिवार में सर्वप्रथम आपकी बड़ी बहन उज्जवल प्रभाजी म. सा. ने दीक्षा ग्रहण किया फिर जब आप जब 9 वर्ष के थे तभी आपकी माताजी पूज्य गरिमा श्री जी म सा ने भी संयम अंगीकार कर लिया था , उसके बाद आपके पिताजी श्री इंद्रमुनि जी म सा व आप की भतीजी कामनाश्रीजी म सा की दीक्षा संपन्न हुई।
सुराना परिवार की आप 5 वी अनमोल रत्न हैं , जो जिनशासन को समर्पित होने जा रही हैं ।
आपके नंदोई श्री निश्चल मुनि जी म सा भी जिन शासन में समर्पित होकर जिन शासन की प्रभावना कर रहे हैं।
शुरू से ही वैराग्य भावना से ओतप्रोत रही प्रीति श्री श्री माल के जीवन में 14 जून 2016 को विकट मोड़ आया जब आपके पति श्री विकास जी श्री श्री माल का आकस्मिक निधन हो गया जिससे आपको जीवन की नश्वरता से बहुत करीब से साक्षात्कार हुआ तथा वैराग्य की भावना और प्रबल हुई ।
आपकी यह भावना 10 फरवरी 22 को ब्यावर में फलित होने जा रही है।
आप अपने दो पुत्रों 19 वर्षीय श्रेयांस व 14 वर्षीय अनंत के साथ ही परिजनों के मोह - माया के बंधन को तोड़ कर वीर पथ पर आगे बढ़ रहीं हैं । इस प्रकार मुमुक्ष बहन का वैराग्यकाल लगभग 6 माह रहा ।
मुमुक्ष बहन ने लगभग 200km का पद विहार किया है।
आपके दृढ - इच्छाशक्ति , साहस और तीव्र मनोबल को देखते हुए आपके श्वसुर श्री प्रकाशचंद जी श्रीश्रीमाल जो कि श्री साधुमार्गीय शांतक्रान्ति जैन श्रावक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं ने परिवारिकजनों के साथ 1 जनवरी 22 को आचार्य श्री विजयराज जी म सा के समक्ष किशनगढ़ राजस्थान में दीक्षा आज्ञा पत्र समर्पित किया।
हम सुराना परिवार आपके इस साहस की खूब खूब अनुमोदना करते हुए आपके उज्जवलतम संयमी जीवन की कामना करते हैं।