पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व श्री जैन श्वेतांबर, स्थानकवासी, तेरापंथ समाज का धार्मिक आयोजन

पर्युषण पर्व के तीसरे दिन सामायिक दिवस

बिलासपुर। श्री जैन श्वेतांबर श्री संघ समाज चोपड़ा भवन तारबहार, स्थानकवासी उपाश्रय टिकरापारा, रिंग रोड आकाशगंगा में तेरापंथ समाज के द्वारा परम पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व 2021 रविवार को सामायिक दिवस के रूप में मनाया गया । सुबह विशेष पूजा, सामायिक, कल्प सूत्र का वाचन मे पांचवा सूत्र जिसमें पुष्पमाला के बारे में बताया गया । रात मे प्रतिक्रमण एवं रात्रि में बच्चे, महिलाओं, पुरुषों के द्वारा कई जैन धार्मिक भक्ति गीत प्रस्तुत किया गया । सभी तपस्वियों की सुख साता पूछी गई ।


पर्युषण महापर्व के रविवार को तारबाहर स्थित चोपड़ा भवन में सुबह पूजन की वेशभूषा धारण कर स्तवन कुलनायक पूजा, मंगल दीपक सहित कई धार्मिक आयोजन संपन्न हुए । समाज की श्रीमती ज्योति चोपड़ा एवं श्रीमती शोभा मेहता द्वारा कल्प सूत्र का वाचन किया गया । पर्युषण पर्व में समाज के प्रत्येक घरों में तपस्या चल रही है। जिसमें एकासना, ब्यासना और भी कई कठिन तप किए जा रहे हैं । सभी तपस्वियों के तप की बहुत-बहुत समाज द्वारा अनुमोदना करते हुये तपस्या की सुख साता पूछी गई और उनके स्वास्थ्य की मंगलकामना सभी ने की । पर्युषण पर्व में प्रतिदिन बोली लगाई जा रही है । जिसमें शांति कलश, आरती, रात्रि में कुल नायक, दादा गुरुदेव एवं मंगल दीपक की आरती की बोली लेकर समाज के कई परिवार लाभ ले रहे । समाज की अंकिता पुगलिया द्वारा सोमवार को 10 वर्ष से ऊपर वालों के लिए धार्मिक प्रतियोगिता रखी गई है ।
इस अवसर पर विमल चोपड़ा, संजय कोठारी, नरेंद्र मेहता, सुभाष श्रीश्रीमाल, दिनेश मुणोत, प्रवीण कोचर, अजय छाजेड़, आशीष सुराणा, ज्योति कोचर, मीनू मेहता, पुष्पा श्रीश्रीमाल, अपेक्षा चोपड़ा, ललिता कोठारी, प्रमीला चोपड़ा, किरण चोपड़ा, राशि, पंखुड़ी, प्रखर, अदित सहित समाज के लोग उपस्थित थे।

जितना दान करेंगे, उसका कई गुना पुण्य प्राप्त होगा

बिलासपुर श्री दशाश्रीमाणी स्थानकवासी जैन समाज के पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के दौरान प्रवचन में टिकरापारा स्थित उपाश्रय में स्वाध्याय वाचन हेतु जैन दर्शन स्वाध्याय संघ अहमदाबाद से पधारी स्वाध्यायी बहने दीना बेन शाह और हीना बेन भवसार ने जैन धर्म में दान का बहुत महत्व होता है, इस संबंध में बताया कि हर जैनों को दान हमेशा करना चाहिए । जितना दान करेंगे उसका कई गुना पुण्य प्राप्त होता है । जिनवाणी में महादान के पांच प्रकार बताए गए हैं जो कि अभय दान, पात्र दान, ज्ञानदान, जीव दया दान, उचित दान इन पांचो दान में सभी दान का महत्व है। दान का मतलब सिर्फ पैसे दान देना ही नहीं होता है बल्कि किसी की मदद करना, किसी से दुर्व्यवहार ना करना, सभी को मान सम्मान देना, यह सब भी पावन दान है । एक और महादान हैं मुख बधिर पशुओं की रक्षा करना । उन्हें स्वास्थ्य लाभ देना, उनका उपचार करना या करवाना क्योंकि वह इंसानों की भाषा तो समझ जाते हैं लेकिन इंसान उन जानवरों की भाषा नहीं समझ पाते । उनको क्या दर्द हो रहा है यह वह बता भी नहीं सकते इसी प्रकार सभी दान का महत्व बताया गया। व्याख्यान सभा में समाज के अध्यक्ष भगवानदास सुतारिया, उपाध्यक्ष मनू भाई मिठाणी, शरद दोशी, सतीश तेजाणी, नरेंद्र तेजाणी, किशोर देसाई, प्रवीण दमाणी हंसमुख कोठारी, मनीष शाह, राजू तेजाणी, गोपाल वेलाणी, राकेश तेजाणी, कुंदन कोठारी, रश्मि सेठ, भारती दोशी, पारुल सुतारिया, उर्मिला तेजाणी, छाया देसाई सहित समाज के लोग उपस्थित थे ।

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