राजनांदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता विशेषकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कार्यकाल चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। जिस ढंग से योजनाएं, कार्यक्रमों का क्रियान्वयन लोगों तक लाभ मिलने का अदान प्रदान दिखने लगा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि फिलहाल प्रदेश में सत्ता परितवर्तन के आसार तो नहीं है। लेकिन प्रदेश स्तर पर जिस ढंग से कांग्रेस दो फाड़ में दिख रही है, इसका खुला प्रमाण राजनांदगांव जिले के खुज्जी विधानसभा क्षेत्र में कैबिनेट मंत्री टी एस सिंहदेव समर्थक, विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू एवं कांग्रेस नेता तरूण सिन्हा का सीधे सीएम हाउस तक पहुंच का मामला चर्चाओं में होने के साथ ही कांग्रेस में खुलेआम गुटबाजी, आपसी लड़ाई, न्यायालय व जेल तक पहुंची।
घटनाक्रम में कांग्रेस को आपस में ही कमजोर करने का एक बड़ा अभियान करते दिख रहा है। जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में चार पर कांग्रेस के विधायक है। पांचवा विधानसभा क्षेत्र खैरागढ़ विधायक विहिन है एवं राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह विधायक है। 2018 की विधानसभा चुनावी लहर में भारी मतों से जीत दर्ज कर सत्ता संभाली वाली कांग्रेस राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में जिस ढंग से बाहरी प्रत्याशी, श्रीमती करूणा शुक्ला को मैदान में उतारा, डॉ. रमन को अच्छी मात देते हुए कई मतदान केन्द्रों में करूणा ने उन्हें पीछे छोड़ दिया था। करूणा शुक्ला के विरूद्ध में कांग्रेसजनों की नाराजगी नहीं होती तो, इस लहर में डॉ. रमन भी शायद आगे निकल पाते।
राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र इस बार सत्ता पक्ष में साफ-सुथरी छवि, गुटबाजी से दुर, नगर निगम के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में भी मतदाताओं के मध्य लोकप्रिय प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा तो कांग्रेस के लिए यह सीट जीत पाना मुश्किल ही होगा। पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं सहकारी बैंक अध्यक्ष नवाज खान जिले के आधे से अधिक विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय दिख रहे हैं। यह अलग बात है कि कांग्रेस की खुलेआम गुटबाजी ने उसे कमजोर ही प्रस्तुत कर रही है। नवाज खान अब ज्यादा समय बैंक में अपने कक्ष में बैठकर कांग्रेसजनों, व्यापारी संगठनों को अपने साथ जोड़ते हुए, राजनंादगांव विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी चयन के मामले में अपनी दखल रख सकते हैं।
कांग्रेस की आपसी गुटबाजी का खुला प्रमाण इन दिनों खुज्जी विधानसभा क्षेत्र विशेषकर छुरिया क्षेत्र में लगातार दिखने लगा है। जहां कांग्रेस विधायक छन्नी साहू के मध्य कांग्रेस नेता तरूण सिन्हा का खुलेआम आरोप प्रत्यारोप तथा शिकायतों का दौरा थाने से अदालत हुआ। जेल तक पहुंच गया है। विधायक छन्नी साहू, जहां कैबिनेट मंत्री सिंहदेव के गुट की मानी जाती है। वहीं तरूण सिन्हा की सक्रियता व लगातार सीएम हाउस में उपस्थिति लड़ाई को ज्यादा बल दे रही है।
वहीं दूसरी ओर नगर पालिक निगम राजनांदगांव में भी महापौर ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए पार्षद एवं एमआईसी सदस्य श्रीमती सुनीता अशोक फडऩवीस को पद से हटाकर उनके स्थान पर श्रीमती दुलारी साहू, पूर्व पार्षद को एमआईसी का सदस्य बनाने से यह संदेश भी स्पष्ट किया कि सिंहदेव समर्थक सुनीता फडऩवीस को भी हटा दिया गया। वार्ड क्रमांक 16 से पार्षद का उपचुनाव जीतकर आने वाली श्रीमती चंद्रकला देवांगन को एमआईसी में स्थान नहीं देने की चर्चाओं ने भी कांग्रेस की गुटबाजी को सामने ला दिया है। बताया जाता है कि निगम में गुटों में बंटी कांगे्रस का वरिष्ठ पार्षद, शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा एवं निगम अध्यक्ष पप्पू धकेता के आपस में नजदीक आने से नगर निगम में फेरबदल के आसार दिखने लगे हैं। लेकिन फिलहाल स्थिति स्थिर एवं यथावत दिखती है। राजनांदगांव नगर निगम वार्ड के उपचुनाव में चंद्रकला की जीत ने प्रदेश स्तर पर सर्वाधिक सहयोगी व नजदीकी खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन का सम्मान बढ़ा है।
कांग्रेस की गुटबाजी व गुटीय राजनीति जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में आगे में नये प्रत्याशी को मैदान में उतारने से कांग्रेस को लाभ होगा। वर्तमान तीन विधायकों के विरूद्ध पार्टी की कार्यकर्ता ही अपनी दूरी बनाये हुए। नाराजगी व्यक्त करते दिखे रहे हैं। सत्ता पक्ष होने की वजह से वर्तमान में जिस ढंग से कांग्रेस किसानों, गरीबों, ग्रामीणों, पिछड़ा वर्ग, महिला समूहों को लेकर विकास योजनाएं, कार्यक्रमों को मूर्त रूप दे रही है। फिलहाल कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के आसार तो नहीं है। लेकिन प्रदेश स्तर पर जिस ढंग से कांग्रेस दो फाड़ में दिख रही है। जानकारों के अनुसार इस पर निर्णय के लिए 11 मार्च तक समय कांग्रेस नेताओं के बीच चर्चाओं में ही दिख रहा है। राजनंादगांव शहर व जिले में कांग्रेस की गुटबाजी में मुख्यमंत्री समर्थकों की भीड़ ज्यादा है वहीं सिंहदेव समर्थक भी दिखते हैं। खुज्जी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की लड़ाई खुलकर दिख रही है। वहीं डोंगरगांव, मोहला, मानपुर, खैरागढ़, राजनांदगांव, विधानसभा क्षेत्र में भी कम नहीं है। डेढ़ वर्ष बाद चुनाव होने हैं। विपक्ष भी बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं दिखता। लेकिन डॉ. रमन की प्रतिष्ठा जरूर, शहर व जिले से जुड़ी रहेगी। भाजपा में भी संगठन को लेकर असंतोष कम नहीं है। अधिकांश गुटों में बंटे दिख रहे हैं। सांसद, संतोष पांडे से ही संसदीय क्षेत्र के लोगों के बीच उनसे नजदीकी व दूरियों को लेकर चर्चाएं कम नहीं है। लेकिन यह चर्चा जिले सहित प्रदेश में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से हो रही है कि कांग्रेस के उच्च स्तरीय राजनीतिक में गुटबाजी को लेकर परिणाम 11 मार्च के बाद ही संभवत: आये। पार्टीजन भी चुप्पी साधे,शायद इसका इंतजार कर रहे हो ? शेष फिर कभी…..