नक्सलियों ने भेजा एक और प्रस्ताव : लिखा- वार्ता के अनुकूल माहौल बनाना सरकार की जिम्मेदारी, सुरक्षाबलों से गोली ना चलाने की अपील

नक्सलियों ने भेजा एक और प्रस्ताव : लिखा- वार्ता के अनुकूल माहौल बनाना सरकार की जिम्मेदारी, सुरक्षाबलों से गोली ना चलाने की अपील

बीजापुर(अमर छत्तीसगढ़) 9 अप्रैल। शांति वार्ता को लेकर एक बार फिर नक्सलियों ने पत्र जारी किया है। उन्होंने कहा है कि, हम शांति वार्ता के लिए तैयार हैं लेकिन इसके लिए हमें अनुकूल माहौल चाहिए। उन्होंने लिखा कि, सरकार ने हमारे प्रस्ताव को नकार दिया है ऐसे में वार्ता करना संभव नहीं है। नक्सलियों ने कहा है कि, बस्तर में हो रहे हत्याकांड रूकने चाहिए। वार्ता की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है, यह सरकार की जिम्मेदारी है।

पढ़िए उन्होंने क्या लिखा –

शांति वार्ता हमारे सीसी/एसजडसी के दायरे का विषय है। इन कमेटियों को मीडिया में आने वाले समाचार को देखना और तुरंत अपना प्रतिक्रिया देने में कई तकनीकी अड़चने हैं। सुरक्षागत कारणों से हमारे उच्च कमेटियों के तरफ से तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे पाने की स्थिति आज बनी हुई है। हमारे सीसी द्वारा वार्ता के लिए किये पेशकश को आगे बढ़ाने की प्रयास के रूप में इस पत्र को देखना है। इस पत्र या वार्ता का पेशकश का मुख्य उद्देश्य बस्तर में हो रहे हत्याकांड तुरंत रूकना चाहिए।

हमारे केंद्रीय कमेटी तरफ से हाल ही में शांति वार्ता को लेकर एक बयान जारी हुआ। उस बयान में भी यही अनुरोध किया गया कि वार्ता के लिए अनुकूल माहौल चाहिए, छत्तीसगढ़ की उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा जी ने इस पर प्रतिक्रिया दी। हमारी केंद्रीय कमेटी के ‘अनुकूल माहौल बनाने की मांग को उन्होंने इंकार किया। लेकिन अनुकूल माहौल के बिना वार्ता संभव नहीं होंगे, यह सभी जानते। फिर इसका मतलब यह है कि सरकार ने अभी जो तरीका अपनाया है उसे ही जारी रखना चाहती, इसका विरोध होनी चाहिए। सरकार की आत्मसमर्पण नीति को समस्या का पूर्ण परिष्कार के रूप में बताने का भी विरोध होनी चाहिए।

शांति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने संबंधित निर्णय लेने के लिए हम कुछ नेतृत्वकारी साथियों से मिलना है। स्थानीय नेतृत्व का राय लेना भी जरूरी है. लगातार चल रहे अभियानों के बीच में यह सब नहीं हो पाएंगे। अनुकूल माहौल के लिए कगार अभियान को रोकना जरूरी है। वार्ता की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है, यह सरकार की जिम्मेदारी है।

बस्तर में हो रहे हत्याकांड तुरंत रूकना चाहिए। इसलिए हम सरकार से फिर एक बार अनुरोध कर रहे है कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल निर्मित करें। सरकार के तरफ से इसका सकारात्मक संकेत मिलते ही हम इस पर काम शुरू करेंगे, विजय शर्मा द्वारा उठाये गये बाकी विषयों को वार्ता के एजेंडा में तय कर सकते। इस हत्याकांड से प्रभावित इलाकों के जनता दहशत के माहौल में जी रहे हैं, जनता के जीवन यापन बुरी तरफ प्रभावित हो रहा है। इस माहौल से दूर रहने के लिए युवा पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं। यह सब ध्यान में रखते हुए सही परिष्कार के दिशा में सरकार निर्णय लेना चाहिए।

देश के सभी जनवादी प्रेमियों, बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक संगठन व कार्यकर्ताओं, जनपक्षधर पत्रकारों से हम अपील कर रहे है कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल निर्मित करने की हमारी मांग के समर्थन में आगे आवें। सरकार और माओवादियों के बीच में शांति वार्ता के लिए बनी समिती के साथियों से भी हम अपील कर रहे है कि इस प्रक्रिया को आगे ले जाने का पहल करें।

बस्तर से नेतृत्व दूसरा राज्यों में भाग जाने की बात सही नहीं है. नेतृत्व अपने ज़िम्मेदारियों के तहत आना जाना और आंदोलन के जरूरतों के मुताबिक तबादलाएं साधारण प्रक्रिया है। जिम्मेदारियों को छोड़कर कोई भागे नहीं. यह प्रचार मानसिक युद्ध का हिस्सा है। अगर ऐसा भागने का प्रचार सच है तो हमारे एसजडसी मेंबर कामरेड रेणुका उर्फ चैते को मद्द करने वाले सैकड़ों समर्थक रहने के बावजूद आस्वास्थता की स्थिति में भी अपनी जिम्मेदारियों को नहीं छोड़ी, जनता के लिए अपनी जान कुरबान की।

इस हत्याकांड को जायज ठहराने के लिए हमे विकास विरोधी के रूप में सजिश के तहत पेश किया जा रहा है। हम स्कूल, आस्पताल, अंगनवाडि, राशन दुखानं, पेयजल, बिजली का विरोध नहीं किये। उन्हें सुचारू रूप से संचालन करने की मांग किये थे, कर्मचारियों से बार बार अपील किये थे, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर बात किये थे, अभी भी बात कर रहे है। जनता को स्वस्थ्य और शिक्षा, पेयजल सुविधाओं को पहुंचाने, कुपोषण समस्या का हल करने के लिए जहा तक संभव है जनता पर आधार होकर हमारे तरफ से भी कोशिश किये थे, इसके बारे में क्षेत्र के जनता जानते है। इनका कई प्रतीक भी गांवों में मिलेंगे. गलत आंकलन या जल्दबाज से हमारे तरफ से एक दो विषयों में चूक हुई थी, इसे लेकर हम माफी भी मांगे थे। मूलवासियों को अपने जल-जंगल-जमीन से बेदखल करने वाले, पर्यावरण को नुकसान पहुंचान वाले परियोजनाओं को हम विरोध किये थे।

उत्तर-पश्चिम सब जोन के पार्टी कमेटियों, कमांडों व कामांडरों से मेरा अनुरोध है कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के दिशा में हमारे गतिविधिया रहनी चाहिए। यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार अभी तक हमारे मांग को नहीं माने है इस लिए सभी नियम और सावधानियों का सतर्कता के साथ पालन करें। हमलों का शिकार न बने। कगार मीडिया के उकसाने वाले प्रचार एवं पुलिस अधिकारियों के उकसाने वाली बयानों का प्रभाव में न आवें। सरकार के तरफ से सकारात्मक संकेत मिलते ही पूर्ण युद्ध विराम अमल में आयेंगे। सरकार के रूक पर आधार होकर हम और स्पष्टता के साथ निर्णय लेंगे, बयान जारी करेंगे।

पुलिस जवानों से हमारा अपील है कि हमारे पार्टी ने पुलिस जवानों को कभी दुश्मन के तौर पर नहीं देखते। इसे लेकर हम बार बार परचा पोस्टरों के जरिए अपील जारी किये थे। आप समझना है कि हम आपस में लड़ने की स्थिति पैदा किया गया। शांति वार्ता का हमारे यह प्रयास का समर्थन करें, जनता व हमारे कैडर अपने ही लोग है, पर गोली मत चलावें।

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