रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 11 जून। भारतमाला परियोजना के तहत बन रही रायपुर विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर सड़क में मुआवजा घोटाले की जांच के सिलसिले में अब रायपुर कमिश्नर ने चार और जांच दलों का गठन किया है। इस दल में अपर कलेक्टर स्तर के वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए हैं। ये चार दल रायपुर और धमतरी जिले में हुए घोटाले की जांच करेंगे। खास बात ये है कि ये पूरा घोटाला सामने आने के बाद प्रभावितों दावा आपत्तियां मंगाई गई थीं।
बताया गया है कि सौ से अधिक से शिकायतें सामने आई हैं। जांच दल हर शिकायत की जांच करेंगे। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस मामले में मंगाई गई दावा आपत्तियां सामने आने के बाद उनका निराकरण किया जाना है। एक-एक शिकायत की जांच होने से मुआवजा घोटाले से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्य सामने आने की संभावना है।
रायपुर जिले के भारतमाला परियोजना में हुए घोटाले में निलंबित किए गए अभनपुर तहसील क्षेत्र के तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कुरें, राजस्व निरीक्षक रोशनलाल वर्मा, पटवारी दिनेश पटेल के अलावा गोबरा नवापारा के तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी नायक बांधा जीतेंद्र साहू, पटवारी बसंती घृतलहरे, लेखराम पटेल ग्राम टोकरो के विरुद्ध ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज किया है। इस संबंध में जांच जारी है।
इस घोटाले की जांच पूर्व में भी रायपुर जिला प्रशासन द्वारा करवाई गई थी। अब यही जांच रायपुर संभाग के कमिश्नर एमडी कावरे की देखरेख में हो रही है। जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के अनुसार अभनपुर क्षेत्र में रायपुर-विशाखापट्नम इकनोमिक कॉरिडोर सड़क निर्माण भारत माला परियोजना अंतर्गत चार ग्रामों के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए सर्वे किया गया।
इस सर्वे तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी सहित अन्य लोगों ने मिलकर भूमि के खसरा और रकबा में गड़बड़ी की गई है। जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि चारों गांव में 1 से लेकर 33 नंबर तक खसरा भूमि का रकबा 1.3929 हेक्टेयर था।
इन खसरा-रकबा के भू-स्वामियों की संख्या करीब 17 थी, लेकिन खसरा और रकबा को विभाजित करने के बाद इसी भूमि के 97 97 भूस्वामी बना दिए गए। इसी आधार पर सभी 97 भूस्वामियों को मुआवजा भी दिलाया गया।
पूर्व की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन लोगों को मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है, उनमें ज्यादातर ऐसे लोग शामिल हैं, जिनके परिवार के सभी सदस्यों के नाम पर ही भूमि चढ़ा दी गई थी। इनमें किसी परिवार के 12 किसी के 10 तो कईयों के 7 से 6-5 सदस्यों के नाम पर भी भूमि दर्ज है।