लोकगायिका पद्मश्री डाॅ. ममता चंद्राकर के स्वर में नई लोकगीत – ‘तंय हा आ जाना राजा….’ 26 मार्च को रीलिज की घोषणा

लोकगायिका पद्मश्री डाॅ. ममता चंद्राकर के स्वर में नई लोकगीत – ‘तंय हा आ जाना राजा….’ 26 मार्च को रीलिज की घोषणा

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ की सुविख्यात लोकगायिका व इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री डाॅ. ममता चंद्राकर के स्वर में एक बेहतरीन लोकगीत ‘तंय हा आ जाना राजा…’ 26 मार्च को रीलिज होने जा रही है। गीत और संगीत सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रेम चंद्रकार के हैं, तथा संगीत-संयोजन बिहारी तारम के हैं।
उल्लेखनीय है कि पद्मश्री डाॅ. ममता चंद्राकर की लोकगीतों में अपनी अलग ही विशेषज्ञता है। सालों पहले जब ‘तोर मन कइसे लागे राजा’ रीलिज हुई थी, तब वह गीत देखते ही देखते लोगों की जुबान पर चढ़ गई। वह गीत छत्तीसगढ़ लोक-कला की एक विशेष पहचान बन गई। आज भी वह गीत लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। ठीक इसी टेस्ट में ‘‘चिन्हारी’’ संस्था के द्वारा पद्मश्री डाॅ. ममता चंद्राकर के स्वर में ‘‘तंय हा आ जाना राजा…’’ भी बनी है। सोशल मीडिया में इसका पोस्टर शेयर होते ही काफी लोकप्रियता मिल रही है। इस गीत की शूटिंग नामचीन निर्देशक प्रेम चंद्राकर के निर्देशन में पूरी हुई है। आपको बता दें कि इस गाने के वीडियो में खैरागढ़ विश्वविद्यालय के महल की खूबसूरती को भी बेहद आकर्षक ढंग से दिखाया गया है। इसी रिकाॅर्डिंग और एडिटिंग खैरागढ़ विश्वविद्यालय के अत्याधुनिक डिजिटल स्टुडियो में की गई है। 26 मार्च को ‘‘चिन्हारी’’ के यूट्यूब चैनल में रीलिज होने जा रही यह लोकगीत एक बार फिर छत्तीसगढ़ी लोक-कला को बड़े फलक पर स्थापित करेगी।

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