बिलासपुर नगर में हुई आचार्य श्री आर्जवसागर जी महाराज ससंघ की मंगल आगवानी…….आत्म कल्याण हेतु श्रावकों को भोग विलासता से हटकर त्याग का मार्ग अपनाना चाहिए- आचार्य श्री आर्जव सागर

बिलासपुर नगर में हुई आचार्य श्री आर्जवसागर जी महाराज ससंघ की मंगल आगवानी…….आत्म कल्याण हेतु श्रावकों को भोग विलासता से हटकर त्याग का मार्ग अपनाना चाहिए- आचार्य श्री आर्जव सागर

बिलासपुर (अमर छत्तीसगढ़) जैन समाज के आचार्य श्री 108 आर्जव सागर जी महाराज, मुनि श्री 108 भाग्य सागर जी महाराज, पूज्यमुनि श्री 108 महत्त सागर जी महाराज, पूज्य मुनि श्री 108 विशोध सागर जी महाराज, पूज्य मुनि श्री 108 विभोर सागर जी महाराज का गुरूवार को प्रातः नगर आगमन पर मंगल आगवानी हुई ।

आज मुनि संघ का तिफरा, महाराणा प्रताप चौक, व्यापार विहार में भव्य अगवानी हुई। मुनि संघ को गाजे बाजे के साथ क्रांति नगर मंदिर जी लाया गया । इस अवसर पर अधिक से अधिक संख्या में समाज के लोग अगवानी में शामिल हुवे। पुरूष वर्ग सफेद कपड़ों में एवं महिलाएं केशरिया साड़ी में अगवानी में शामिल हुई।

समस्त संतों का बुधवार को रात्रि विश्राम त्रिवेणी डेंटल कॉलेज में हुआ था, रात्रि विश्राम के पश्चात प्रातः 6:30 बजे क्रांतिनगर दिगम्बर जैन मंदिर जी के लिए विहार हुआ। समस्त संतों को गाजे बाजे के साथ क्रांतिनगर मंदिर जी लाया गया । इस बीच जगह जगह पर धर्मावलंबियों ने संतों के पाद प्रक्षालन कर पुण्य लाभ लिया।

इस अवसर पर वीर कुमार जैन, सनट जैन, जय कुमार जैन, कैलाश जैन, महेंद्र जैन, विशाल जैन, प्रोफेसर जय कुमार जैन, मनोज जैन, अनिल चौधरी, भूपेंद्र चंदेरिया, संजय जैन, कमल जैन, विमल जैन, पप्पू जैन, विजय जैन, अरविंद जैन, राजेश जैन, अंजुल जैन, शान्ति जैन, संगीता चंदेरिया, रंजीता जैन, सीमा जैन, मनोरमा जैन, श्वेता जैन और बड़ी में समाज के लोग शामिल हुए।

आहारचर्या‌ का लाभ
समस्त संघ की आहार चर्या निरन्तराय सम्पन्न हुई। आचार्य श्री आर्जव सागर जी को आहार देने का सौभाग्य श्रीमती सरिता सुकुमार जैन एवं उनके परिवार को प्राप्त हुआ। चारों मुनियों के निरन्तराय आहार सवाई सिंघई शकुन प्रवीण जैन, सवाई सिंघई रंजना विनोद जैन, श्रीमती मंगला कैलाश जैन एवं श्रीमती सरोज जैन के यहाँ संपन्न हुए। साथ ही समाज के बहुत से श्रावकों ने आहार दान दिया और जैन संतों की आहार चर्या देखकर पुण्य लाभ लिया।

संत और श्रावक एक गाड़ी के दो पहिये के सामान हैं, दोनों का होना बहुत जरूरी-आचार्य श्री

क्रांतिनगर मंदिर जी पहुँचने पर सर्वप्रथम मंदिर जी के द्वार पर श्रावकों द्वारा समस्त सन्तों का पाद प्रक्षालन किया गया। तत्पश्चात सभी सन्तों ने मन्दिरजी में देव दर्शन किए, तदोपरांत श्रावकों ने आचार्यश्री से प्रवचन हेतु अनुरोध किया।

आचार्य श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि यह बिलासपुर और सकल छत्तीसगढ़ के लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि पूरे छत्तीसगढ़ को आचार्य श्री विद्यासागर जी का सानिध्य मिला है। उन्होंने कहा कि संत और श्रावक एक गाड़ी के दो पहिये के सामान हैं, दोनों का होना बहुत जरूरी है वरना जीवन की गाड़ी संतुलित नहीं चल पाएगी। उन्होंने कहा कि समाज और जगत के कल्याण एवं आत्म कल्याण हेतु संतों का सानिध्य आवश्यक है तो संतों के आहार-विहार हेतु श्रावकों की भी उनकी ही जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि आत्म कल्याण हेतु श्रावकों को भोग विलासता से हटकर त्याग का मार्ग अपनाना चाहिए। आत्मा रूपी कपड़े की गंदगी को साफ करने के लिए त्याग रूपी साबुन की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कितने पुण्य उदय हुए होंगे तब जाकर मनुष्य पर्याय मिली है और साथ ही जैन कुल भी। अतः धर्म में भी उपयुक्त समय देकर हमें अपने मनुष्य पर्याय का लाभ लेना है और अपना जीवन सार्थक करना है।

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