खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव – यशोदा की जीत…..जिला बनाने की घोषणा के साथ गुटबाजी, भीतरघात के तहत सत्ता पक्ष, विपक्ष दोनों दिखे, परिणाम के बाद कार्यवाही संभावित…

खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव – यशोदा की जीत…..जिला बनाने की घोषणा के साथ गुटबाजी, भीतरघात के तहत सत्ता पक्ष, विपक्ष दोनों दिखे, परिणाम के बाद कार्यवाही संभावित…

राजनांदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) जिले के खैरागढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री की एक मात्र घोषणा जिला बनाने के नाम पर मतदाताओं ने यशोदा वर्मा को विधायक बनने का मत, मत पेटियों में बंद  कर दिया है। 16 अप्रैल को परिणाम आने के साथ ही 17 अप्रैल को खैरागढ़वासियों को नया जिला खैरागढ़, छुईखदान, गंडई मिल जावेगा। चुनाव, प्रचार, प्रचार, संपर्क मतदाताओं को प्रसन्न करने के मामले में सत्ता पक्ष का एक मात्र अभियान जिला बनाने की घोषणा पूरी तरह से काम आते दिख रहा है।

वहीं विपक्ष भी इसके जवाब में कोई ठोस मुद्दा, घोषणा तो नहीं लाया, लेकिन उसके कार्यकर्ता भी शक्ति केन्द्र से मंडल तक कोमल को जिताने सक्रिय दिखे। लेकिन चर्चाओं के अनुसार तथाकथित वरिष्ठ नेताओं, पार्टीजनों की संदिग्ध भूमिका को लेकर भाजपा ने कुछ जानकारियां भी संकलित की है। पार्टी के एक नेता को चुनाव के मध्य ही निष्कासित कर दिया। वहीं कांग्रेस में वरिष्ठ भाजपा नेता हेमंत शर्मा के प्रवेश को कांग्रेस को अतिरिक्त लाभ मिलते दिख रहा है। 

कांग्रेस, भाजपा में विभिन्न स्तरों में गुटबाजी की स्थिति को देखा जावे तो सत्ता पक्ष भी खैरागढ़, छुईखदान, गंडई, साल्हेवारा, जालबांधा के नेताओं की चुप्पी, कम सक्रियता, श्रेय नहीं मिलने का एहसास, चुनाव प्रचार, प्रसार की जिम्मेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सौंपे जाने को लेकर श्रेय लेने की स्थिति भी तथाकथित चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को मिलने की संभावना क्षीण है। खैरागढ़ राजपरिवार का मत भी विभाजित दिखा लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के 29 बिन्दु के चुनावी घोषणा में जिला बनाने की घोषणा ही सर्वोपरि रही है, जो यशोदा वर्मा के जीत नैय्या प्राप्त करेगी। भीतर घात की स्थिति कांग्रेस व भाजपा दोनों के साथ जुड़ी रही है।

वहीं दूसरी ओर डेढ़ वर्ष बाद  होने वाले विधानसभा के आम चुनाव को देखते हुए 6 विधानसभा वाले इस जिले में कांग्रेस को कम से कम पांच विधानसभा क्षेत्रों में नये प्रत्याशी को उतारने की जोर आजमाईश अभी से शुरू करनी होगी ऐसी चर्चा हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र इस बार कांग्रेस के लिए एक नये निर्वात प्रत्याशी की खोज अभी से करनी होगी। 2018 में बाहरी प्रत्याशी श्रीमती करूणा शुक्ला को कांग्रेस ने मैदान में उतारा पार्टी के तथाकथित तीन वरिष्ठ लोगों का सहयोग होता तो डॉ. रमन की जीत पर भी प्रशनवाचक चिन्ह भी लग सकता था। शेडो विधायक स्व. करूणा शुक्ला ने अपनी पराजय का कारण कांग्रेसियों के जिसमें अधिकांश बड़े नेता, ठेकेदार व दलाल थे, जो 15 वर्षों से डॉ. रमन के साथ आंतरिक तौर पर खड़े दिख रहे थे। इनकी शिकायत भी श्रीमती करूणा शुक्ला ने नामजद संगठन व सत्ता से की थी। सरकार बनने के साथ उनकी शिकायतों को कुड़े के डिब्बे में डाल दिया गया। 
नगर पालिक निगम राजनंादगांव के वार्ड क्रमांक 16 में पार्षद के उपचुनाव को लेकर विपक्ष के संगठन पक्ष की कमजोर की स्थिति कई गंभीर आरोपो ंके साथ पार्टी संगठन व डॉ. रमन तक पहुंचाई गई, इसकी चर्चा आज भी हो रही है। आगामी 16 अप्रैल को उपचुनाव का परिणाम आने वाला है। संभव है 2023 में होने वाले विधानसभा आम चुनाव में राजनंादगांव जिला तीन भागों में बटा दिखेगा। जिसमें एक एक जिले में दो दो विधानसभा ही रह पायेगी। खैरागढ़ जिला बनने से राजनंादगांव जिले में प्रसन्नत की लहर नहीं रही है। डेढ़ वर्ष बाद होने वाले चुनाव को लेकर सत्तापक्ष की तैयारी चाहे, जो भी हो लेकिन विपक्ष की तैयारी अभी से ही संगठन को मजबूत करने खैरागढ़ विधानसभा चुनाव में दिखा। इस बार सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों को ही गुटबाजी व आंतरिक कलह, भीतर घात से बचने की तैयारी अभी से करनी होगी। शुरूवात खैरागढ़ से ही होगी। जहां कांगे्रस एक मात्र जिला बनाने की घोषणा के कारण  यशोदा वर्मा को जीत का सहरा पहननाते दिख रहा है। 2018 में प्रचंड बहुमतों से जीत कर आई कांग्रेस को अभी आधा दर्जन से अधिक उन चुनावी घोषणा को पूरा करना है, जिसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता व कैबिनेट मंत्री टी एस सिंह देव ने तैयार किया था। इसमें पेशा कानून, शराबबंदी, वीआईपी संस्कृति, लोकपाल, दैनिक वेतन भोगियों की नियमीतीकरण की स्थिति आदि प्रमुख है। शेष फिर कभी….

Chhattisgarh