मम्मा सम बने तपस्वी” योग कार्यक्रम का भिलाई सहित पूरे इंदौर ज़ोन में हुआ उद्घाटन…

मम्मा सम बने तपस्वी” योग कार्यक्रम का भिलाई सहित पूरे इंदौर ज़ोन में हुआ उद्घाटन…

संकल्प और कर्म में समानता होगी तब परमात्म प्यार का अनुभव होगा….

 भिलाई(अमर छत्तीसगढ़) 29 मई 2022:- कथनी करनी ,संकल्प और कर्म में समानता हो तो परमात्म प्यार का अनुभव होगा । प्यार बहुत छोटा सा शब्द है लेकिन उसकि गहराई बहुत ज्यादा है, हमारे सोच और कर्म में समानता लाना ही परमात्म प्यार को निभाना है।
उक्त उद्गार सेक्टर 7 स्तिथ पीस ऑडिटोरियम में ब्रह्माकुमारीज़ की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगतम्बा की स्मृति में  “मम्मा सम बने तपस्वी” योग तपस्या जून मास के उपलक्ष्य में भिलाई सेवाकेन्द्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने कही।


मम्मा सम बने तपस्वी के बारे में आपने बताया कि
तपस्या अलग जीवन अलग नहीं बल्कि हमारा जीवन तपस्वी जीवन हो। हर कर्म में तपस्या दिखाई दे । मातेश्वरी जी ने तपस्वी जीवन जी कर दूसरों को भी वैसा तपस्वी जीवन जीना सिखाया। इसी थीम को लेकर मम्मा सम बने तपस्वी योग तपस्या प्रोग्राम का पूरे इंदौर जोन में शुभारंभ किया गया । जो कि पूरा जून मास चलेगा जिसमें प्रथम सप्ताह एकाग्रता की शक्ति का अभ्यास,दूसरा सप्ताह निर्भयता की शक्ति, तीसरा सप्ताह पवित्रता की शक्ति का  चौथा सप्ताह रुहानियत की शक्ति का अभ्यास सभी ब्रह्मा वत्स करेंगे। जिसमें दृढ़ता,सच्चाई  से व्यर्थ बोल ,बातों ,सोच पर अटेंशन देकर सप्ताह में एक दिन पूर्णतः मौन में रहेंगे । जिसमें हमें मोबाइल और व्हाट्सएप भी कम से कम इस्तेमाल करना है।
सर्वप्रथम भिलाई स्थित सभी सेवाकेन्द्रों की मुख्य ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा दीप प्रज्वलन कर मम्मा सम बने तपस्वी योग कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया।
आशा दीदी ने प्रातः राजयोग सत्र में कहा कि कर्मेंद्रियां आपके ऑर्डर में हो कर्मचारी के रूप में। कर्मेन्द्रियां आपके ऑर्डर प्रमाण चलती है या आप उनके ऑर्डर मानते हो। आज्ञाकारी वफादार माना जो कहा वह किया। राज्य अधिकारी बन रोज कर्मेंद्रियों रूपी कर्मचारियों की दरबार लगाओ नहीं तो गलत कर्मों के संस्कार पक्के हो जाते हैं जिन्हें परिवर्तन करने में बहुत समय और मेहनत लगती है पुराने संस्कारों को चेंज करने के लिए। इसीलिए बार-बार चेक करते रहो। परिवर्तन करो पुराने संस्कारों का, राजयोगी माना कर्म इंद्रियों का राजा बन कर कर्म करना। तब प्रकृति के पांच तत्व भी आपका ऑर्डर मानेंगे आप को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा शरीर भी पांच तत्वों का बना हुआ है ।

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