मुख्यमंत्री से गुजरात विधानसभा के प्रतिनिधिमंडल ने की सौजन्य मुलाकात

मुख्यमंत्री से गुजरात विधानसभा के प्रतिनिधिमंडल ने की सौजन्य मुलाकात

छत्तीसगढ़ विधानसभा की परम्पराओं की प्रतिनिधिमंडल ने की सराहना

छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्ता से हुए प्रभावित

मुख्यमंत्री ने बस्तर आने का दिया न्योता

मुख्यमंत्री को प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की स्टैचू ऑफ यूनिटी की प्रतिकृति

रायपुर, 29 अगस्त 2021/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र त्रिवेदी के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आज शाम हुई इस मुलाकात में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रतिनिधिमंडल को अगली बार बस्तर आने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का महत्व हर युग में रहा है। यहां सभी वर्गों के लोग मिल-जुल कर रहते हैं। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को छत्तीसगढ़ की पुरातात्विक, ऐतिहासिक और पौराणिक काल में महत्ता की विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर गुजरात से आए प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री श्री बघेल को स्टैचू ऑफ यूनिटी की प्रतिकृति भेंट की। मुख्यमंत्री ने भी प्रतिनिधिमंडल का शॉल और प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने छत्तीसगढ़ आए गुजरात विधानसभा के दल का स्वागत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ और गुजरात के बीच में बहुत पुराना और गहरा नाता है। यहां चम्पारण्य में श्री वल्लभाचार्य का जन्मस्थान है जिसके दर्शन करने गुजरात से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। छत्तीसगढ़ में निवासरत गुजराती समुदाय यहां की संस्कृति में रचा बसा है और विभिन्न क्षेत्रों में अपना सार्थक योगदान दे रहा है। छत्तीसगढ़ के विषय में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पौराणिक काल से वर्तमान तक ऐसा कोई काल नहीं रहा जब छत्तीसगढ़ का योगदान न हो। छत्तीसगढ़ माता कौशल्या का मायका और भगवान श्री राम का ननिहाल है, अपने वनवास का काफी समय यहां उन्होंने बिताया है। आरंग का भगवान श्री कृष्ण से जुड़ाव है जहां उन्होंने राजा मोरध्वज की दानशीलता की परीक्षा ली थी। महानदी के तट पर बसा सिरपुर बौद्धकालीन संस्कृति का प्रतीक है, जो कि उस समय राजधानी और व्यापार तथा शिक्षा का केंद्र था। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के रामगढ़ में विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला है, जहां कालिदास ने मेघदूत की रचना की थी। यहां तुरतुरिया में वाल्मीकि आश्रम है जहां लव-कुश का जन्म हुआ। मैनपाट में तिब्बती शरणार्थियों को बसाया गया है जहां का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में भी छत्तीसगढ़ अग्रणी रहा। यहां अमर शहीद गेंद सिंह को 1824 में और वीरनारायण सिंह को 1857 में फांसी दी गयी। महात्मा गांधी ने अस्पृश्यता निवारण की प्रेरणा छत्तीसगढ़ से ली और पंडित सुंदरलाल शर्मा को अपना गुरु बताया। आजादी के बाद भी यहां भिलाई स्टील प्लांट जैसे उद्योगों ने देश निर्माण में अपना योगदान दिया है। छत्तीसगढ़ की जनसंख्या में 32 प्रतिशत आदिवासी और 44 प्रतिशत क्षेत्र में वन है। इस कोरोनाकाल मे भी जब सभी जगह उद्योग धंधे बन्द रहे तब भी पूरे देश के 74 प्रतिशत लघु वनोपज की खरीदी छत्तीसगढ़ द्वारा की गयी। तेन्दूपत्ता संग्रहण दर देश में सर्वाधिक 4000 रूपए प्रतिमानक बोरा दी जा रही है। इसके अलावा 52 प्रकार के लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर संग्रहण से आदिवासियों की क्रय शक्ति बढ़ी है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ठोस कदम उठाए गए जिससे बच्चों के कुपोषण में कमी आई है।

संसदीय कार्य मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को प्राचीन समय में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। यहां भगवान राम का ननिहाल है। माता कौशिल्या का जन्म यहीं हुआ था। छत्तीसगढ़ में हर भांजा को प्रणाम किया जाता है क्योंकि हर भांजा में भगवान राम की छवि देखी जाती है। यहां भगवान श्री राम के वनगमन मार्ग को राम-वन-गमन पथ को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है। यहां किसानों को धान की सबसे ज्यादा कीमत दी जा रही है। पिछले वर्ष लगभग 23 हजार करोड़ रूपए की 92 लाख मीटरिक टन की खरीदी हुई थी। सुराजी गांव योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा की सुराजी गांव योजना में बनाए गए गौठानों में 10 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया है। इस कार्य से बड़ी संख्या में महिला समूहों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के लिए नई योजना राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना में साल में भूमिहीन मजदूरों को 6000 रूपए की राशि दी जाएगी। बजट में इसके लिए प्रावधान किया जा चुका है।

गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र त्रिवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ दौरे में आने के बाद छत्तीसगढ़ की विधानसभा की नई परम्पराओं के बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की परम्पराओं को गुजरात में भी लागू करने का विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दौरे में आकर यह पता चला कि भारत में इतनी विविधता होने के बावजूद भी एक क्यों हैं। एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत एक राज्य के लोगों को दूसरे राज्य के बारे में जानने और समझने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्ता से हम लोग काफी प्रभावित हुए हैं। छत्तीसगढ़ की वन, खनिज सम्पदा और आदिवासियों के संचालित कार्यक्रमों के बारे में उनकी जानकारी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ आकर उन्हें ऐसा लगा कि छत्तीसगढ़ नहीं बल्कि अभी भी गुजरात में ही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग सीधे, सरल और खुले दिल के है। यहां के लोग बड़ी आत्मीयता के साथ मिलते है। यहां की साफ-सफाई और हरियाली ने सबका दिल जीत लिया है। गुजरात विधानसभा के सदस्यों ने कहा कि यहां की ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक विविधता की जानकारी लोगों को मिलने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

इस मौके पर गुजरात विधानसभा के सदस्य श्री ब्रिजेश मिर्जा, श्री जिग्नेश कुमार सेवक, श्री अश्विनभाई कोटवाल, श्रीमती गेनीबेन ठाकुर, डॉ. आशाबेन पटेल, श्री बाबूभाई पटेल, श्री आनंद भाई चौधरी, श्री राकेश भाई शाह, श्री जगदीश विश्वकर्मा सहित छत्तीसगढ़ विधानसभा प्रमुख सचिव श्री चन्द्रशेखर गंगराड़े और गुजरात विधानसभा के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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