किसी वस्तु से ममत्व रखोगे तो आप भगवान से दूर होते जाओगे: साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

किसी वस्तु से ममत्व रखोगे तो आप भगवान से दूर होते जाओगे: साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर जिनालय में भव्य आध्यात्मिक चातुर्मास के दौरान साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने रविवार को ममत्व विषय पर श्रावकों को संबोधित किया। आप किसी वस्तु से ममत्व रखते है, तो आप प्रभु से बहुत दूर हो चुके होते हो। एक आदमी गाय खरीदता है। वह गाय का दूध बेचकर पैसा कमाने लग जाता है। उसकी लालच और बढ़ती है, वह घी बेचने की सोचता है। एक महीने का दूध जमा करके वह घी बेचने निकलता है और उसका एक्सीडेंट हो जाता है, पूरा घी बर्बाद हो जाता है। हमें लालच नहीं करना चाहिए। वैसे ही हमें किसी वस्तु से ज्यादा ममत्व नहीं रखना चाहिए।

साध्वी जी कहती हैं कि आपको वर्तमान को सुखी बनाना है या भविष्य को। आप आज चिंता के बजाए, कल की चिंता करते हो। आप संसार में भागदौड़ भविष्य के लिए ही कर रहे हो। आपको पता होता है कि आज दुकान नहीं खोलेंगे तो भी आज पेट भर जाएगा और वैसे भी आपको कल नहीं, परसों भी नहीं, आपको बरसो की चिंता है। उसमें भी आप अपने लिए नहीं, अपनों के लिए करते हैं। अपने पत्नी, बेटे, पोते और आने वाली पीढ़ी के लिए मेहनत कर रहे हो। जिन अपनों की बात आप कर रहे हो क्या वह अपने है। आप अपनों की नहीं अपने भ्रम की चिंता कर रहे हो और यदि आप ऐसा कर रहे हो तो आपका शरीर एक खोखला मकान जैसा हो जाएगा।

नींव मजबूत करो, आपको कोई हिला नहीं पाएगा

साध्वीजी कहती है कि कोई बच्चा कागज का मकान बनाता है, तो वह थोड़ी देर ही टिकता है। हमें परमानेंट मकान बनाना है। कागज का मकान हवा आने से उड़ जाते हैं क्योंकि उसमें नींव नहीं होती। आप कहीं जाने के लिए निकलते हो और पहुंच कहीं और जाते हो। आपको जितना ऊपर उड़ना है उतना ही गहरा अपनी नींव आपको बनानी होगी। वैसे ही प्रवचन के दौरान आप भगवान की वाणी गहराई से सुन तो लेते हो लेकिन उसे अपनाते नहीं है। वैसे ही यह शरीर एक भ्रम है। यह आपका नहीं है फिर भी आप इसकी चिंता में लगे रहते हो। जो गलत और सही को जानकर पाप करता है, उसे ज्यादा सजा मिलती है। कोई अज्ञानी गलती करें तो उसको सजा कम मिल सकती है। डॉक्टर बिना जानकारी के ऑपरेशन थिएटर में कभी नहीं जाएगा। मरीज की पूरी जानकारी लेकर ही वह ऑपरेशन थिएटर में जाता है। वह यह भी देखता है कि वह उस मरीज का इलाज कर सकता है या नहीं। क्या उसे इसमें और विशेषज्ञ डॉक्टर की जरूरत पड़ेगी या इसे कोई बड़े शहर भेजना पड़ेगा, जहां इसका इलाज हो सके। वह अपनी सीमा को जानता है। जो डॉक्टर जानकारी रखकर लोगों का इलाज करता है, वह पैसा और नाम दोनों कमाता है। जितना बड़ा डॉक्टर हो वह उतनी ही सावधानी से काम करता है अगर कोई बड़ा डॉक्टर कोई गलती ऑपरेशन के दौरान कर दे तो बदनामी होती है और आजकल तो लोग केस भी कर देते हैं। पैसा और नाम कमाना हो तो ज्ञान आवश्यक है। जो जानकार होते हैं, वह पूरी तरह हर समय सावधान रहते है। एक बार एक डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर जाता है। ऑपरेशन थियेटर के अंदर जाने से पहले उसे कई लोग बधाई देते हैं और उनका सम्मान करते हैं। ऑपरेशन थिएटर में जैसे वह घुसता है, तो उसके हाथ में फूलों की माला होती है। मरीज हमारी पूछता है यह हार आप क्यों रखे हो। डॉक्टर कहता है कि यह मेरा पहला ऑपरेशन है। मरीज बोलता है यह तो मेरा भी पहला ही ऑपरेशन है। लेकिन यह आप फूलों का हार लेकर क्यों आए है। डॉक्टर कहता है कि ऑपरेशन अगर सक्सेस हुआ तो यह माला मुझे पहना देना और यदि ऑपरेशन अनसक्सेसफुल होता है तो यह माला मैं तुम्हें पहना दूंगा। क्या आप ऐसे डॉक्टर से अपना इलाज करवाएंगे।

ढिंढोरा मत पीटो, कर्म करते जाओ

आप चार दिन में कोई एक काम कर दो तो उसका ढिंढोरा आप महीने भर पीटते हो। गुब्बारे में जब हवा रहता है तो अब आसमान की सैर करता है लेकिन जब उसकी हवा निकलने लगे तो वह जमीन पर आ गिरता है। आपको गुब्बारे की तरफ फूलना नहीं है। आपको पूर्ण बनना है। पानी में अगर राख गिर जाए तो वह नीचे बैठ जाती है। पानी से अलग ही रहती है। दूध में अगर शक्कर डाल दिया जाए तो वह घुलने लगती है और यदि उसे चम्मच से घुमाया जाए तो वह और जल्दी घुल जाएगी। वैसे ही सागर में नदी जाए तो क्या होता है। समुद्र में अगर कोई नदी गिरती है, तो उसे मिलाने की जरूरत नहीं होती। अपनी आत्मा के साथ हमारा ऐसा ही संबंध होना चाहिए, जैसे कि समुद्र और नदी का। हमें अपने आप को इन तीनों उदाहरण के रूप में मापना है और नदी बनने की कोशिश करना है।

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