रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) आचार्य श्री रामेश के शिष्य शासन दीपक श्री विनय मुनि जी म सा ने आज रविवार का विशेष प्रवचन समता भवन के विशाल प्रांगण में देते हुए कहा अपनी संतानों को धनवान नहीं पुण्यवान बनाए।अपने बच्चों को सुसंस्कार का बीजारोपण करें व सहानुभूति के साथ सभी जीवों के प्रति मैत्री भाव सिखाये ताकि पुण्यवान बन सके। पुण्य वान बेटा कभी भी कलंकित नहीं होने देगा।
आज फ्रैंडशिरप डे हे जो हमें सभी जीवों के प्रति मैत्री भाव की प्रेरणा देता है। मित्रता सुदामा जैसी होनी चाहिए। कर्म योगी श्रीकृष्ण के पास जाना तो सुदामा बनकर जाना।हमें धर्म को मित्र बनाना है।
आज बच्चे को सुसंस्कार देने की बजाय पैसा छापने की मशीन बनाने में लग रहे। वो ही उन्हें वृद्धावस्था में वृद्धाश्रम पहुंचा देते हैं।आज एक संतान के लिए क्या क्या नहीं करते जमीन आसमान एक कर देते सुसंस्कार नहीं देने से क्या वो सुख देने वाली बनेगी माता पिता को कैसे रख पायेगा।
हमारी क्या ताकत जो हम माता पिता को पास रख सकते हम बड़े शौभाग्यशाली है जो हम माता पिता के साथ रह रहे हैं।
आज व्यक्ति गरीबों का सोशन करके तिजोरियां भरने में लगे हैं क्या वह धन टिक पायेगा यही विकृति जैन समाज में ज्यादा होती जा रही है। अगर पूरे साल दिपावली मनानी है तो हमारे बेटों को सुसंस्कारो की सम्पत्ति देनी है।
श्री मधुर मुनि जी म सा ने कहा हमें दूसरों की नकल करने के बजाय महापुरुषों की तरह सहनशीलता रखनी सीखनी होगी।शास्त्र कहते हैं आत्मा ही हमारी मित्र व शत्रु है।मित्र दो तरह से होते कल्याण कारी व अकल्याणकारी।विदेशी लोगों की चालाकी से अनेक दीवस बना दिए भारतीय त्योहार आदान प्रदान वाला होता है।
साध्वी श्री उमंग श्री जी ने कहा हम किसी का इंतजार करते करते इधर उधर टहलते रहते हैं। चातुर्मास में हर घर के सदस्य तप त्याग में जुड़ने के साथ अठाई देने का संकल्प करें।
संचालन श्री गोतम जी चौधरी ने करते हुए कहा आज धर्म सभा में धमंतरी श्रीसंघ से 60 जने के अलावा सैकड़ों श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति रही वही धमतरी श्रीसंघ के अध्यक्ष श्री दीपक जी बाफना वीर भ्राता श्री अशोक जी सुराणा ने अपने अपने भाव रखें।
तपस्या में ज्ञानचंद जी ने 11 व प्रवेश सैन ने 11 के प्रत्याखान के साथ रोज पौषध कर रहे हैं, धनकुंवर नाहर ने 9 की तपस्या के अलावा तेले की लडी चल रही उसके अलावा और भी प्रत्याखान लिये गये।
संघ सदस्य
नोरत मल बाबेल
साधुमार्गी जैन संघ, ब्यावर।