आम का पेड़ भी झुककर लोगों को मीठा फल देता है इसीलिए अहंकार छोड़ दीजिए- साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

आम का पेड़ भी झुककर लोगों को मीठा फल देता है इसीलिए अहंकार छोड़ दीजिए- साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

शहर में पहली बार जन्माष्टमी पर सबसे बड़ा आयोजन, एक साथ 108 बाल कृष्ण फोड़ेंगे मटकी

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। अहंकार से आदमी में अकड़ आ जाती है। आम का पेड़ भी जब अकड़ कर रहता है तो उसके फल खट्टे रहते है। मीठे फल देने के लिए भी उसे झुकना पड़ता है। जब वह झुकता है तब ही वह लोगों को फल देता है। किसी मंच पर अगर केवल 10 लोगों को गाना गाने का अवसर मिले और 11वें को नहीं मिले तो उसमें अहंकार की भावना आ जाती है। वह कहता है कि अगर मुझे एक मौका मिल जाता तो मैं इन सबसे अच्छा गाना गाता और प्रथम पुरस्कार भी मुझे ही मिलता। यह बातें न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर जिनालय में चल रहे भव्य आध्यात्मिक चातुर्मास के दौरान साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने मंगलवार को कही।

साध्वीजी कहती है कि आप मेहनत करके ऊंचाई पर पहुंचते हो। कड़ी मेहनत से बाजार की स्पर्धा को चीरते हुए आगे बढ़ते हो फिर भी कई बार आप छोटी-छोटी चीजों से माेह कर उसे पाने पीछे मुड़ जाते हो। ऐसा करने से आपको पता भी नहीं चलता और आप बहुत नीचे आ चुके होते हो। इतना नीचे आ जाते हो कि आपको फिर से ऊंचाईओं को पाने के लिए दोबारा शून्य से मेहनत करना पड़ जाता है। इस कड़ी मेहनत के बारे में सोचकर ही कई लोग उठ नहीं पाते और हिम्मत हार जाते है। हमें कभी भी किसी की टांग नहीं खींचनी चाहिए। आप कभी किसी के काम में बाधा डालते है तो उसका फल आपको अपने कामकाज में देखने को मिल जाता है। देर-सवेर ही पर ऐसा करने से आपका काम भी सफल नहीं हो पाएगा।

मेहनत करें और आगे बढ़े

साध्वीजी कहती है कि एक बार की बात है, एक व्यक्ति ऑफिस का काम करके अपने घर पहुंचता है। उसका घर बिल्डिंग के 5वें माले पर होता है। उसके पहुंचते ही लिफ्ट खराब हो जाती है। अब उसके सामने सीढ़ी चढ़कर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। बहुत देर इंतजार करने के बाद लिफ्ट ठीक नहीं होती और वह सीढ़ियों से जाने का फैसला करता है। धीरे-धीरे वह ऊपर चढ़ना शुरु करता है। वह पहला मंजिल चढ़ता है, फिर रूक-रूक कर दूसरे पर पहुंचता है और हांफते-हांफते तीसरे और आखिरी में चौथे माले पर आकर रूकता है। वह पसीने से तरबतर हो जाता है आैर चौथे माले की गैलरी में हवा खाने खड़ा हो जाता है। अचानक उसकी नजर सड़क पर पड़ती है, वहां एक बहुत ही चमकीली चीज उसे दखाई देती है। उसे लगता है वह चांदी का सिक्का है। वह उसे लेने जाने का फैसला करता है। वह बहुत तेजी से नीचे उतरता है, आसपास देखने पर वहां कोई नहीं होता फिर वह उस सिक्के की तरफ बढ़ता है। सिक्के को उठाते ही वह देखता है यह तो सिक्का है ही नहीं। वह एक बोतल का ढक्कन होता है। उसे देखकर वह बहुत ही क्रोधित होता है और सोचता है कि मैं चौथे माले तक चढ़ चुका था। इस एक बोतल के ढक्कन के लिए मैंने अपनी सारी मेहनत बर्बाद कर दी। अब फिर से मुझे सीढ़ी चढ़कर पांचवे माले पर जाना पड़ेगा। ऐसा सोचते ही सोचते उसका हार्ट फेल होता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।

पूर्ण बनना है तो झुकना सीखिए

साध्वीजी कहती है कि एक बार की बात है, एक कार कंपनी का मालिक उघोगपति अपना काम पूरी लगन से करता है। उसकी कंपनी जबरदस्त मुनाफे में चलती है और उसकी कार दुनियाभर के देशों में बिकती भी है। अमेरिका से भी एक व्यक्ति ऐसा ही काम करके अपना व्यापार बढ़ाना चाहता है। वह, उस उद्याेगपति से सलाह लेने का फैसला करता है। वह उससे फोन कर मिलने का समय लेता है। उद्योगपति कहता है कि मैं शाम 6 बजे तक काम करता हूं उसके बाद घर जाता हूं। आप शाम 6 बजे के बाद मेरे घर आ जाइए मैं आपकी हरसंभव मदद करूंगा। वह व्यक्ति निर्धारित समय पर उस उद्याेगपति के घर पहुंचता है। उस समय घर में एक आदमी बर्तन साफ कर रहा होता है। वह उससे पूछता है कि मालिक कहां है। पूछने पर वह कहता है कि रुकिए मैं उन्हें बुलाकर लाता हूं। थोड़ी देर में वह आदमी खुद बाहर आता है और कहता है कि मैं ही वह उद्योगपति हूं जिससे आपने फोन पर बात की थी और मिलने भी आए हो। यह देखकर वह अमेरिकन आदमी हैरान रह जाता है कि इतना बड़ा उद्योगपति अपने घर में बर्तन साफ कर रहा है। उद्योगपति कहता है कि पूछिए आप क्या पूछना चाहते हैं। वह आदमी कहता है कि सर मैं पूछने तो कुछ और लेकिन मुझे उसका जवाब मिल गया है। अब मैं जा रहा हूं। लेकिन जाने से एक बात मुझे बता दीजिए कि आप इतने बड़े उद्योगपति होकर खुद बर्तन साफ क्यों कर रहे है, आप तो नौकर रख सकते है। वह कहते है कि मैं ऐसा इसीलिए कर रहा हूं क्योंकि उद्योगपति बनने से पहले मैं एक आम आदमी था, जो अपना काम खुद करता था। मैं अपनी प्राचीनता और इतिहास भूलना नहीं चाहता इसीलिए मैं अपना काम स्वयं ही करता हूं।

108 बाल कृष्ण फोड़ेगे मटकी
मेघराज बेगानी धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट के ट्रस्टी धर्मराज बेगानी तथा आध्यात्मिक चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विवेक डागा ने बताया कि 18 अगस्त को महावीर स्वामी जिनालय में जन्माष्टमी मनाई जाएगी। शहर में यह पहला मौका होगा कि एक साथ 108 बाल कृष्णा बनकर बच्चें मटकी फोड़ेंगे। जिनालय परिसर में 4 से 5 फीट की ऊंचाई पर बच्चों के लिए मटकी लगाई जाएगी और उन्हें सजाया जाएगा। इसके बाद स्कूली बच्चें बाल कृष्ण के रूप में दही हांडी लूटेंगे और मटकियां फोड़ेंगे। जन्माष्टमी पर दही हांडी लूट कार्यक्रम के लाभार्थी श्रीजन पंडरी ओसवाल परिवार है।

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