भाजपा के नेता प्रतिपक्ष बने नारायण चंदेल, जिला प्रदेश स्तर पर संगठन में फेरबदल भी आवश्यक, साहू समाज की एकता का लाभ भाजपा को तो नहीं…. कांग्रेस को भी अभी से विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी खोजना पड़ सकता है, कांग्रेस भी विपक्ष की तैयारी पर नजर रखी होगी ?

भाजपा के नेता प्रतिपक्ष बने नारायण चंदेल, जिला प्रदेश स्तर पर संगठन में फेरबदल भी आवश्यक, साहू समाज की एकता का लाभ भाजपा को तो नहीं…. कांग्रेस को भी अभी से विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी खोजना पड़ सकता है, कांग्रेस भी विपक्ष की तैयारी पर नजर रखी होगी ?


(डॉ सी एल जैन सोना)
रायपुर/राजनांदगांव।(अमर छत्तीसगढ़) आगामी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी जहां अपने घर को ठीक करते हुए दिख रही है। इसका प्रमाण प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद पर साहू समाज के प्रमुख व सांसद अरूण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाना प्रमुख रहा है। फेरबदल की कड़ी में आज भाजपा के प्रदेश प्रभारी डी पुन्डेश्वरी ने नारायण चंदेल को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कर आंतरिक तौर पर ही सही भाजपा में प्रसन्नता का माहौल चर्चाओं में दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर 15 वर्ष तक सत्ता में रहने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह पिछले चुनाव में कम दिखने की वजह से सरकार गंवाई थी। लेकिन अब निष्ठावान पार्टीजनों को लगने लगा है कि संगठन में नये लोगों को महत्व देने से आने वाले चुनाव में संभवत: कार्यकर्ताओं का उत्साह अधिक दिखे।

पिछले तीन दिनों से भाजपा में नेता प्रतिपक्ष धरम कौशिक को हटाने या उनके स्थान पर नये की पदस्थापना को लेकर भाजपाई के तथाकथित गुटविशेष में आंतरिक उत्साह को लेकर चर्चा रही है। श्री चंदेल को इस पद पर नियुक्त के साथ संगठन में फेरबदल राजनांदगांव, रायपुर जिले के साथ ही प्रदेश के अधिकांश जिलों में संगठन की कमान नये हाथों में हो अभी चर्चाओं का दौर पार्टीजन, आंतरिक तौर पर कर रहे हैं। 
राजनंादगांव बस्तर सहित प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से कांग्रेस भाजपा अब तक संगठन में आदिवासियों को ही महत्व देेते आई है। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने सांसद अरूण साव को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाने के साथ ही अब छत्तीसगढ़ में साहु बाहुल्य मत किस समाज एकता सबसे बड़ा प्रमाण है। लाभ लेने का नया प्रचार प्रसार प्रारंभ कर सकती है। 
भरोसेमंद सूत्रों व जानकारों के अनुसार सांसद अरूण साव का प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनना कथित तौर पर खैरागढ़ में संपन्न हुए। विधानसभा उपचुनाव में ही प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा प्रारंभ हो गई थी। भाजपा ने उन्हें उपचुनाव का प्रभारी भी बनाया था। यही वजह है कि  साहू समाज की एकता भी उप चुनाव खैरागढ़ में चर्चाओं में महसूस की जा रही थी। जहां तक कांग्रेस में गुटबाजी की स्थिति है।

प्रदेश में सभी अधिकांश जिलों में स्थिति खुलेआम भी है। जिसका प्रमाण राजनांदगांव जिले में कांग्रेस के गुटों में बंटने की स्थिति से रूबरू होने के संकेत ही मिलते हैं। वैसे भी राजनांदगांव जिला विशेषकर संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा है। कांग्रेस के लिए राजनांदगांव जिले में ही फिलहाल चार से पांच विधानसभा क्षेत्रों में पार्टीजनों के अनुसार ही नये उम्मीदवार की आवश्यकता है। जानकार सूत्रों का कहना है कि खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए यशोदा वर्मा को चुनाव लडऩे का संकेत मुख्यमंत्री निवास में एक बड़े पारिवारिक कार्यक्रम में मिल गया था। अब जबकि राजनंादगांव विधानसभा क्षेत्र में चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतारने के लिए  काफी सूझबूझ व गुटबाजी से भिन्न प्रत्याशी उतारना होगा। पिछले चुनाव में कांग्रेस की बाहरी प्रत्याशी श्रीमती करूणा शुक्ला चुनाव जीतते जीतते हार गई थी।

अपुष्ट जानकारी के अनुसार राजनांदगांव विधानसभा के लिए बाहरी प्रत्याशी को लेकर भी कांग्रेस के सत्ता व संगठन में आंतरिक चर्चाओं का दौर की बात कही जा रही है। वैसे भी वरिष्ठ नेता एवं खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, राजनांदगांव नगर निगम में एक वार्ड के उपचुनाव एवं खैरागढ़ विधानसभा के उपचुनाव में प्रभारी रहकर कांग्रेस की आंतरिक स्थिति से रूबरू बताये जाते हैं। शेष फिर कभी 

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