पर्युषण महापर्व छठवां दिन
बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ़) । जैन समाज के द्वारा परम पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व 2022 मे सोमवार को बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए । दिन भर पूजा-पाठ कई धार्मिक आयोजन होते रहे । इस वर्ष भी स्थानकवासी गुजराती जैन, श्वेतांबर जैन, तेरापंथ जैन समाज के श्रावक श्राविका बड़ी संख्या में बड़ी तपस्या करने का भाव है । प्रत्येक घरों में बच्चों से बुजुर्ग तक तपस्या में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं । रात्रि में प्रवीण कोचर, अभिनव डाकलिया, धरा कोचर, प्रवीण गोलछा, स्वाति जैन, सोनल जैन, राखी, शिल्पी डाकलिया, प्रमिला चोपड़ा सहित समाज के अन्य श्रावक श्राविकाओं ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया ।
पर्युषण महापर्व के सोमवार को तारबाहर स्थित चोपड़ा भवन में पूजन वेशभूषा धारण कर स्तवन कुलनायक पूजा, शांति कलश पूजा, मंगल दीपक सहित कई धार्मिक आयोजन संपन्न हुए । समाज की श्रीमती ज्योति चोपड़ा एवं श्रीमती पुष्पा श्रीश्रीमाल द्वारा कल्प सूत्र का वाचन किया गया ।
इस अवसर पर हीरचंद चोपड़ा, विमल चोपड़ा, सुरेंद्र मालू, नरेंद्र मेहता, संजय चोपड़ा, गौतम बाफना, योगेश चोपड़ा, सुभाष श्रीश्रीमाल, गोपाल वेलानी, मनीष शाह, चंद्रप्रकाश बोथरा, अमित, संजय छाजेड़, रमेश भयानी, अमरेश जैन, सौरभ छाजेड़, रुपेश अमिता गोलछा, रविन्द्र जंदानी, सहित समाज के लोग उपस्थित थे ।
वैशाली नगर में 13 घंटे का नवकार मंत्र जाप हूवा
जैन श्वेतांबर तेरापंथ संघ के पर्यूषण पर्व का आज छठा दिवस है । इस अवसर पर धर्म विद विशारद तेरापंथ के युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की महती कृपा से दो उपासिका बहने श्रीमती प्रेमलता नाहर अंकलेश्वर से और पुष्पा पगारिया सूर पधारी है और उनके सानिध्य में निर्बाध रूप से हुलासचन्द गोलछा के निवास स्थान वैशाली नगर में पर्यूषण पर्व की आराधना हो रही है। प्रातः भजन , प्रार्थना , योग के पश्चात सुबह 6 बजे से रात 7:15 बजे तक लगातार नवकार मंत्र के जाप् का कार्यक्रम हूवा । छठा दिवस ‘ जप दिवस ‘ के रूप में मनाया गया । उपासिका जी ने जप की महत्ता बताते हुए मंत्रों का विशद विवेचन किया । उन्होंने कहा कि एक शब्द की आवृत्ति करना, उसे बार-बार दोहराना जप कहलाता है । जप का अर्थ है मंत्र की पुनरावृत्ति । वैदिक परपरा को देखें, जैन या बौद्ध परंपरा को देखें तो सबने मंत्रों का चुनाव किया है ।
इन्होंने कहा कि दुनिया में अनेक प्रकार के मंत्र होते है । कुछ मारक मंत्र- दूसरों का अहित करने वाले होते है । श्रावक को ऐसे मंत्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए । उपासिका जी ने मंत्र ‘ ऊं ‘ की रचना पर प्रकाश डालते हुए व्याकरणिक दृष्टि से इसका विवेचन किया । जैन धर्म के अनुसार इस छोटे से मंत्र में पाँच पदों का समावेश है । ‘ अर्हम ‘ का जप लयबद्ध करने से एक प्रकार का रसायन बनता है , जो हमारे भीतर के विकारों का शमन कर हमें पवित्र बनाता है ।
टिकरापारा जैन उपाश्रय में प्रवचन
टिकरापारा स्थित जैन उपाश्रय में उपासिका बहनों ने अपने प्रवचन में कहा कि मनुष्य जीवन बहुत अनमोल है जो हमें आज इस युग में मिला है मनुष्य जीवन में ही धर्मा ध्यान किया जा सकता है, क्योंकि पशु पक्षी कीड़े मकोड़े और अन्य जीव प्राणी चाह कर भी धर्म नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें धर्म की बातें बताने के लिए धर्मगुरु नहीं मिल पाते, गुरुदेव को ईश्वर से भी ऊपर स्थान दिया गया क्योंकि वही हम सारे मनुष्य को सही मार्ग पर जाने की दिशा बताते हैं लोभ माया, छल कपट, इत्यादि से बचने के लिए धर्म का मार्ग ही सरल एवं सुगम है जिस मनुष्य के पास धर्म रहेगा वह कभी भी गलत कार्य नहीं कर सकता, सब मनुष्य को अपने धर्म के प्रति इमानदारी से नियम रखना चाहिए और उस नियम का रोज पालन करना चाहिए ।
इस अवसर में समाज के अध्यक्ष भगवान दास भाई सुतारिया, मनीष शाह, प्रवीण दामाणी, शैलेश तेजाणी, पारुल सुतारिया, सुधा गांधी, लता देसाई, अमिता सुतारिया सहित समाज के लोग उपस्थित थे ।