जैन संत ने कहा कि अनुभव से सीख मिलती है
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 24 सितंबर।रत्नत्रय के माहान आराधक, परमागम रहस्यज्ञाता, परम पूज्य श्रीमद जैनाचार्य श्री रामलाल जी म.सा.के आज्ञानुवर्ती व्याख्यान वाचस्पति शासन दीपक श्री हर्षित मुनि ने कहा कि विपक्ष देखता है कि सामने वाले के पास सैन्य बल के साथ-साथ बुद्धि बल कितना है। बुध्दि बल ना हो तो जितना मुश्किल है। बुद्धि की त्वरित उपज अनुभव से होती है। जीवन में मिला अनुभव सीख देता है।
उक्त उद्गार आज जैन संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन के दौरान समता भवन में प्रकट किए। उन्होंने कहा कि वही व्यक्ति समृद्ध बनता है जो गुणों और अनुभवों से समृद्ध हो। प्रतिकूल और प्रलोभन के समय भी जो व्यक्ति अडिग एवं सहज रहता है, वही अनुभवी होता है। ऐसे बहुत कम अनुभवी लोग होते हैं जो अपनी पीढ़ी को नीति में टिके रहने को कहते हैं। नीति का पालन करने में प्रारंभ में नुकसान भले ही हो किंतु बाद में फायदा ही होता है। जीवन में सिद्धांत बनाइए कि प्रतिकूल और प्रलोभन के समय भी हम सहज और अडिग रहेंगे।
जैन संत श्री हर्षित मुनि ने फरमाया कि अनुभवी व्यक्ति के शब्द अलग होते हैं और प्रभावकारी होते हैं। उनका बोलना व्यक्ति के मन में घर का जाता है। जिन्होंने कठिन समय में भी सही निर्णय लिया है , वे ऐसे अनुभव को लिखें। इससे भावी पीढ़ी को सीख मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम प्रभु वीर के अनुयाई हैं। यदि वह लोगों को क्षमा कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते। हमारे अनुभवों को हम लिखते हैं तो हमारे वारिसों को भी पता चलेगा कि प्रलोभन और प्रतिकूल समय में भी हमने कैसे अडिग और सहज रहकर एक उदाहरण पेश किया । उन्होंने कहा कि फेल होने के बाद विद्यार्थी को अनुभवी शिक्षक डांटते नहीं बल्कि प्रेरित कर आगे बढ़ाते हैं। अनुभवी व्यक्ति की आंख दूर की देखती है। अनुभवी व्यक्ति दक्ष और दीर्घ बुद्धि का होता है। वह परफेक्ट निर्णय लेता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को यदि समय दिया जाए तो वे भी अनुभवी हो सकते हैं। अनुभव के पानी से यदि इन्हें ना खींचे तो यह पेड़ सूख जाएंगे। संघ को मजबूत बनाने के लिए इन युवाओं को अपने अनुभव का लाभ दें। हमारा गुरु के सामने में यह भाव रहना चाहिए कि हम खाली पेपर है और गुरु की कृपा दृष्टि हम पर छपेगी तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।