कदाग्रह व्यक्ति को अशांत कर देता है – हर्षित मुनि
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 29 सितंबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि कदाग्रह व्यक्ति को अशांत कर देता है। गलत होते हुए भी वह अपनी बात को सही साबित करने के लिए गलतियों पर गलतियां करता रहता है। उन्होंने कहा कि गलतियों को स्वीकार करना बहुत साहस की बात है। गलतियों को स्वीकार कर लेना चाहिए और उसे आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।
समता भवन में आज अपने नियमित्त प्रवचन के दौरान जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि जो अनुभव करके उपदेश दिया जाता है ,वह काम का उपदेश होता है। यदि आपने अनुभव कर उपदेश दिया तो उसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति सफल होता है। उन्होंने कहा कि जब सामने विपरीत परिस्थितियां होती है तो व्यक्ति को सब विपरीत ही विपरीत लगने लगता है। शनि ग्रह, कलिग्रह और कदाग्रह अर्थात गलत धारणा इन तीनों ग्रहों में सबसे ज्यादा खतरनाक है कदाग्रह जो व्यक्ति को अशांत करने के साथ ही संबंधों को भी बिगाड़ देता है। कदाग्रह वाला व्यक्ति ये सोचता है कि मैं जो भी कर रहा हूं सही कर रहा हूं। गलत होते हुए भी वह अपनी गलती नहीं मानता। कदाग्रह संबंध बिगड़ता है। हम गलत होते हुए भी अपनी बात को सही साबित करने के लिए गलतियों पर गलतियां करते रहते हैं। जिस व्यक्ति पर हमारी गलत धारणा बन जाती है तो वह सही काम भी करें तो हमें गलत ही लगता है।
जैन संत हर्षित मुनि ने फरमाया कि हमें अपनी गलती मान लेनी चाहिए और उसे आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। जब व्यक्ति को अहम हो जाता है तो यह अहम उसे विनाश की ओर ले जाता है। अहम के मस्तिष्क में यदि रेफा लग जाए तो वह अर्हम बन जाता है। इसलिए अहम को छोड़ें और अर्हम (दयालु , करुणा से भरा )को अपनाएं। उन्होंने कहा कि घटनाओं को लेकर हमारा चित्त बेचैन रहता है।चित्त को शांत रखें। कई लोगों का नेचर रहता है कि वे दबते हैं। आप अपने को मत दबाइए। सहना चित्त की प्रसन्नता को लेकर। चित्त प्रसन्न रहेगा तो सब समाधान निकलेगा। तीर्थंकर भगवान से प्रार्थना करें कि हमें मौके पर सद्बुद्धि दे और हम गलत निर्णय से दूर रहें। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।