जैन संत ने कहा अपनी प्रसन्नता अपने हाथ में है
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 7 अक्टूबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने आज यहां कहा कि अहम हमें हमारी भूल स्वीकार करने नहीं देता। व्यक्ति जब तक अपने गुरु के सामने में अपनी भूल स्वीकार नहीं करेगा तब तक उसमें सुधार संभव नहीं है। आप सबके सामने अपनी भूल स्वीकार नहीं कर सकते तो कम से कम गुरु के सामने में एकांत में ही भूल स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि अहम हमारी हार को भी हार के रूप में स्वीकार नहीं करने देता। इस अहम का त्याग करें।
समता भवन में आज अपने नियमित प्रवचन में जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि हमारी प्रसन्नता हमारे हाथ में ही है। साधुता तो तभी दिखती है जब व्यक्ति सारे प्रभाव से अप्रभावित रहता है और भगवान से प्रभावित रहता है। भगवान से एकांत में आप वन टू वन बात करें। उन्होंने कहा कि एकांत में हम भगवान से कभी मिले ही नहीं। जब भी हम भगवान से एकांत में बात करने जाते हैं तो अन्य व्यक्ति कान्फ्रेंस के लिए तैयार रहते हैं। विडंबना तो इस बात की है कि प्रार्थना करते समय हम एकाग्र नहीं हो पाते। जब भी हम प्रार्थना कर रहे हैं तो हमारा मन इधर-उधर के विचारों से घिर जाता है। इन विचारों को मन में ना आने दे।
मुनि श्री ने कहा कि दूध को दही में जमाने के लिए थोड़े से जामन की जरूरत होती है। इसी तरह भगवान से बात करने के लिए थोड़ी सी एकाग्रता जरूरी है। हम जामन को मिला कर दूध को हिलाते रहे तो दही नहीं जमेगा, ऐसे ही प्रार्थना करते समय हमारे विचार इधर-उधर भटकते रहे तो हम प्रभु से एकाग्र होकर बात नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि बाहर की सोच को अंदर प्रवेश मत करने दें तभी हम प्रसन्न हो पाएंगे। हमारी प्रसन्नता हमारे हाथ में ही है। हमारे चित्त की प्रसन्नता जरूरी है और यह हम बाहरी विचारों से दूर रहकर, एकाग्र रहकर प्राप्त कर सकते हैं। अनुकूलता में तो सभी प्रसन्न रहतें हैं किंतु प्रतिकूलता आने पर भी हमारा विचार स्थिर रहता है तो यह हमारी सफलता है। हमारा चित्त प्रसन्न रहें , यही हमारी पूंजी है और यही हमारी सफलता है। जिन महापुरुषों के हाथ में प्रसन्नता है, उन्हें शरीर के दर्द का एहसास नहीं होता। मुनि श्री ने कहा कि छोटी छोटी चीजों के लिए अपनी प्रसन्नता दूसरों को नहीं दे देना चाहिए। छोटी-छोटी प्रसन्नता को सहेज कर रखें।यदि हमारी प्रसन्नता हमारे हाथ आ गई तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।