अशांति के माहौल में भी आप शांत रहें, तभी मानिए आपने पूंजी कमाई-जैन संत हर्षित मुनि

अशांति के माहौल में भी आप शांत रहें, तभी मानिए आपने पूंजी कमाई-जैन संत हर्षित मुनि

खाना उतना ही खाइए जितनी जरूरत हो

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 10 अक्टूबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि आपकी शांति की परीक्षा तब होती है जब आप अशांति के माहौल में रहकर भी शांत रहते हैं। यदि आपने ऐसा किया तब मानिए कि आपने पूंजी कमाई है। नाना गुरु ने इस गुण को अपनाया और यह गुण उनके युवाचार्य से आचार्य बनने तथा उसके बाद भी रहा। उन्होंने कहा कि आप उतना ही आहार लीजिए जितने की आपको जरूरत हो। जो नीरस खाता है,वही सरस रहता है।
समता भवन में आज जैन संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि कम आहार का शरीर में इतना फर्क नहीं पड़ता जितना कि अधिक आहार का। उन्होंने कहा कि हो सके तो एक दिन उपवास भी रखें, इससे शरीर के सारे सिम्टम्स दुरुस्त हो जाते हैं और शरीर को भी आराम मिलता है। जिस तरह नौकर से सारे दिन और पूरे सप्ताह भर काम कराएं तथा एक दिन भी छुट्टी न दें तो वह थक कर चूर हो जाता है किंतु एक दिन छुट्टी मिलने से वह दोगुने उत्साह से काम करता है। ठीक इसी तरह हमारा शरीर भी है।
मुनि श्री ने कहा कि आहार-विहार में संकोच नहीं करना चाहिए। भूख लग रही है तो संकोच मत करो। इसी तरह चलते-चलते थक गए हो तो संकोच मत करो और रुक जाओ। संकोच करने वाला व्यक्ति आपत्ति को बुलाता है। उन्होंने कहा कि आप मन से स्वच्छ रहें। वाकपटुता अलग होती है। यह केवल कुछ समय तक ही लोगों को प्रभावित कर सकती है। आप यदि मन से स्वच्छ हैं तो सामने वाला व्यक्ति आपसे अवश्य प्रभावित होगा। यदि कोई आप पर नाराज हो तो आप शांत रहिए और हो सके तो वहां से हट जाएं ताकि सामने वाला व्यक्ति शांत हो जाए। यही हमारी साधना है। नवकार मंत्र का जाप करें। आप झुकेंगे तो सामने वाले को भी झुकना ही पड़ेगा, भले ही उसे आपको उठाने के लिए झुकना पड़े। आप यह निर्णय ले कि हर परिस्थिति में प्रसन्न रहूंगा। उन्होंने कहा कि हम झुकेंगे तो ही हम ऊंचा उठेंगे। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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