भगवान के सीसीटीवी का फोकस हमेशा आप पर रहता है: जैन संत साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

भगवान के सीसीटीवी का फोकस हमेशा आप पर रहता है: जैन संत साध्वी स्नेहयशाश्रीजी

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय में चल चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान साध्वी स्नेहयशश्रीजी ने शनिवार को कहा कि भगवान तो हमारे अंदर है, तो हम मंदिर क्यों जाते है। जब मंदिर भी जाते हो तो वहां कोई पाप नहीं, करते मंदिर से निकलते ही पाप करना शुरु कर देते हो। आप यह सोचते हो कि भगवान तो मंदिर के चार दीवारों के बीच ही हैं। इसके बाहर कोई देखने वाला नहीं तो खुलकर पाप करो। जबकि भगवान सब जगह है। सबके अंदर भगवान है। भगवान का केवल ज्ञान इतना व्यापक है कि कोई चीज उनसे अछूती नहीं है, कुछ भी उनसे दूर नहीं है, उनके केवल ज्ञान से हर चीज स्पष्ट है। हम सिर्फ अपने आगे कि ओर ही देख सकते है। अगर आप आसपास नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाते हो, तो वह खराब हो सकता है, पर भगवान का सीसीटीवी कभी फ्यूज नहीं होता और उसकी रेंज भी कम नहीं होती। तो आप कभी मत सोचना कि भगवान केवल मंदिर में है, उनकी दृष्टि सब जगह है। उन्हें आंखों की जरूरत नहीं है। हर जगह परमात्मा है। जो वैभव, जो गुण भगवान के पास है, वही वैभव और गुण सबके पास है। बस फर्क यह है कि हमारे अंदर जो अनंत गुण है, उस पर हमने परदा लगा रखा है। उसे इतना ढंक दिया कि अापको यह पता भी नहीं चलता कि आपके अंदर भी कुछ है। आप सोचते है कि जब समय आएगा तो उसका उपयोग करेंगे। जबकि आपको हर समय इन्हें उपयोग करते रहना है।

अपने आप को पहचानने की साधना करो

साध्वीजी कहती है कि आप अपने आप से कहाे कि मैं आत्मा हूं। जितने बार आप यह बोलोगे आप खुद के अंदर जाते जाओगे। पूजा के अंदर लटभवरी न्याय को परिभाषित किया गया है। इसमें एक लट भंवरे के आजू-बाजू मंडराती है, पर जब उसे लगता है कि यह भंवरा गुनगुना रहा है तो वह भी कोशिश करने लगता है। कुछ समय बाद वह भी गुंजाने लगता है। लटभंवरी न्याय में यह बताया गया है कि अगर कोई जीव बार-बार पुरुषार्थ करता है तो एक दिन वह भी भंवरों की तरह गुजांने करना सीख लेता है। तो हम भी अगर बार-बार बोलेंगे कि मैं आत्मा हूं, तो धीरे-धीरे कुछ दिन बाद अंदर से आवाज आने लग जाएगी। आप बाहर का राग भूलने लगोगे। आपसे कोई पूछता है कि आप कौन है, तो उसे आप अपना नाम बताने लग जाते हो। आप आत्मा को ढकने वाले इस शरीर का परिचय देते हो। जबकि यह आपका असली नहीं, बाहरी परिचय है।

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