रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। न्यू राजेंद्र नगर स्थित महावीर स्वामी जिनालय में शुक्रवार को परमपूज्य साध्वी स्नेहयशाश्रीजी के पावन निश्रा में भगवान महावीर स्वामी के अवतरण से लेकर उनके मोक्षगमन तक रंगोली का चित्रण किया गया है। आध्यात्मिक चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्रीमान विवेक डागा जी ने बताया कि जिनालय में 10 अध्याय के अंदर 33 रंगोलियां बनाई गई है। रंगोली को आईएसबीएम यूनिवर्सिटी (ISBM University) के चांसलर विनय अग्रवाल ने गोल्डन बुक्स ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाया है। उन्होंने साधवी स्नेहयशाश्रीजी से चर्चा करते हुए बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में आईएसबीएम यूनिवर्सिटी ने एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने घोषणा की है कि जैन समाज के विद्यार्थियों को यूनिवर्सिटी में 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी।
इनमें-
- प्रभु वीर का देवलोक से च्यवन और देवनंदा ब्राह्मणी की कुक्षी में अवतरण।
- सौधर्मेन्द्र के आदेश से हरिणगमेषी देव द्वारा गर्भापहरण।
- गर्भापहरण से देवनंदा ब्राह्मणी का शोकाकुल होना।
- जगतजननी माँ त्रिशला द्वारा 14 स्वप्नों का दर्शन।
- प्रभुवीर जन्म पश्चात सर्वप्रथम 8 दिशाओं से 56 दिक्कुमारिओं द्वारा सुतिकर्म एवं नृत्यारंभ।
- पंच रूपधारी शंकेन्द्र का मेरु महोत्सव के प्रसंग पर प्रभु को हस्त संपुट में लेकर गमन।
- मेरु पर्वत पर प्रभुवीर का जन्म अभिषेक।
- मैया त्रिशला द्वारा बालवीर प्रभु का लालन-पालन।
- वर्धमान कुमार (वीरप्रभु) का विद्यालय गमन एवं इंद्र द्वारा प्रश्नोत्तरी।
- आमल की क्रीड़ा में सर्परूप देव से जीते, तथा हारा हुआ देव राक्षस का रूप बनाकर भगवान महावीर को डराया। निडरता देख वर्धमान कुमार महावीर कहलाये।
- वर्धमान कुमार का यशोदा के साथ पाणिग्रहण (विवाह)।
- बड़े भाई नंदिवर्धन से संयम स्वीकारार्थ अनुमति देने की प्रार्थना।
- दीक्षा ग्रहण के लिए चन्द्रप्रभा शिबिका में बैठकर प्रभुजी का प्रयाण।
- नंदिवर्धन राजा का दीक्षा वरघोड़े में पूरी प्रजा के साथ प्रयाण।
- पंचमुष्टि लोच और मनः पर्यवज्ञान की उत्पत्ति।
- दीक्षा पश्चात प्रभु का छठ तप का पारणा बहुल ब्राह्मण के हाथ से।
- ग्वाला द्वारा प्रभु को प्रथम उपसर्ग और इंद्र द्वारा निवारण।
- प्रभु के हाथ से वस्त्र ग्रहण कर भाग्यशाली बना निर्भागी ब्राह्मण।
- अस्थि ग्राम में शूलपाणि यक्ष द्वारा प्रभु को उपसर्ग।
- संगमदेव द्वारा एक ही रात में किये गए 20 उपसर्ग।
- कटपुतना व्यंतरी द्वारा किया गया शीत उपसर्ग।
- कनकखल आश्रम में चंडकौशिक को प्रतिबोध।
- सुंदष्ट्र देव द्वारा नांव डुबाकर किये गए उपसर्ग का कंबल-शंबल देव द्वारा निवारण।
- चंदनबाला ने कराया प्रभुजी के 175 उपवास का पारणा।
- देव द्वारा चंदनबाला के सिर पर बाल आना, हतकड़ी एवं बेड़ी का टूटना।
- ग्वाला द्वारा प्रभुजी के कानों में खीले ठोकना।
- खरक वैद द्वारा प्रभु के कानों से खीलें निकलना।
- ऋजुबालिका नदी के किनारे प्रभु वीर को गोदुग्ध आसन में केवलज्ञान की उत्पत्ति।
- देवों द्वारा निर्मित समवसरण में इंद्रभूति आदि 11 ब्राह्मणों को दीक्षित कर वासक्षेप द्वारा गणधर पद पर स्थापित।
- केवलज्ञान पश्चात गोशाला द्वारा समवसरण में तेजोलेश्या का उपसर्ग।
- 18 देशों के राजाओं के सन्मुख 16 प्रहर (48 घंटे) की अंतिम देशना।
- प्रभुवीर का मोक्षगमन (निर्वाण कल्याणक) गुरु गौतम स्वामी का विलाप और केवलज्ञान की उत्पत्ति।
- जलमंदिर पावापुरी भगवान महावीर का मोक्षगमन स्थल।