लक्ष्य नहीं होता तो मन भटकता रहता है – जैन संत हर्षित मुनि

लक्ष्य नहीं होता तो मन भटकता रहता है – जैन संत हर्षित मुनि

हमें जो प्राप्त है,वह दुर्लभ है, फालतू की चीजों के पीछे समय बर्बाद ना करें

राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ ) 22 अक्टूबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि लक्ष्य नहीं होता तो हमारा मन भटकता रहता है। हम फालतू में समय बर्बाद कर देते हैं। हमें जो प्राप्त है वह दुर्लभ है। अगर इसकी कीमत पता चलती तो जैसे हम जी रहे हैं , वैसे जी नहीं पाते और हमारे पास समय की कमी होती।
समता भवन में आज जैन संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि हम प्रतिदिन यह सोचे कि जीव तेरा लक्ष्य क्या है और तू किस ओर बढ़ रहा है। प्रतिदिन हम यह सोचेंगे तो निश्चित मानिए एक दिन हमारा मन भी बदलेगा और हमें हमारे लक्ष्य का पता चलेगा तथा हम लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे।
जैन संत ने कहा कि पत्तों को पानी देने से क्या फायदा जब मूल जड़ में ही पानी ना मिले तो पेड़ तो सूखेगा ही। आप अपने मन को साधे और मांगने लायक चीजें ही भगवान से मांगे। उन्होंने कहा कि मांगने लायक जो चीजें हैं हम उसे मांगते नहीं हैं और जो मांगते हैं वह तो हमें मूल चीज मिलने पर स्वतः ही मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि हम सोचने समझने में बहुत समय लगाते हैं। विचारों में शुद्धि लाएं तो सोचने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
उन्होंने कहा कि स्थान बदलता है तो मन के विचार भी बदलते हैं। सांसारिक जीवन ऐसा ही होता है कुछ देर के लिए खुशी आती है फिर वही स्थिति निर्मित हो जाती है। व्यक्ति यदि यह सोचने लगे कि जो हो रहा है अच्छा हो रहा है तो व्यक्ति को कांटों में भी फूल नजर आता है। चिंताओं का पार नहीं है। हम सार्थक सोचे की जो भी हो रहा है वह तो होना ही था तो निश्चित मानिए कि हम कभी दुखी नहीं होंगे और जीवन शांति से गुजार पाएंगे। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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