मन में असीम शक्तियां हैं
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ)26 अक्टूबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि हमें हर चीज में अभाव देखने की आदत सी हो गई है। इस अभाव को हटाए और मन को शांत कर उसे मनाए। आप अपने मन को बदलें। मन में असीम शक्तियां हैं जो प्रगट होने का रास्ता देख रही है। आप जागृत हो और मन की शक्तियों को बाहर आने का मौका दें।
समता भवन में आज जैन संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि किसी भी आदत सुधार के लिए उसे चित्र में बिठाओ। चित्र को मन जल्दी स्वीकार करता है। यदि छह बजे उठने का चित्रण कर लो तो मन इस आदेश को स्वीकार लेगा। एक दिन लगेगा या दो या फिर तीन दिन लगेगा किंतु इसके बाद हमारा सुबह छह बजे उठने का अभ्यास हो जाएगा।अभ्यास के रास्ते से गुजरे बिना कोई भी आदत सुधरती नहीं है। आपने अब तक अभ्यास नहीं किया क्योंकि आपको बुरी आदत चुभी नहीं है। चित्रात्मक संदेश मन जल्दी पकड़ता है। अभाव से ही आवश्यकता का सृजन हुआ है। हम कहते हैं कि हमें पढ़ाने वाला कोई नहीं है, सिखाने वाला कोई नहीं है। आपके पास वो चीजें तो कुछ प्रतिशत हैं, किंतु एकलव्य के पास तो कुछ भी नहीं था फिर भी उसने उत्कृष्ट धनुर्विद्या सीखी। जैन संत ने कहा कि दरअसल हमें हर चीज में अभाव देखने की आदत सी हो गई है। हमें मन को बदलना होगा । उसे शांत रखना होगा और जो है, उसी से संतुष्ट होकर आगे बढ़ना होगा।
संत श्री हर्षित मुनि ने फरमाया कि हमने मन को अच्छी तरह से मनुहार नहीं की है। मन तो हमारे साथ चलने के लिए बना है फिर यह विरोध क्यों करता है? दरअसल हम मन को मनुहार करना नहीं सीखे हैं। एक चित्र का निर्माण कर मन को समझाएं। मन इंतजार करता है कि यह व्यक्ति उपादान जागृत करें,जागे और सुधरे। अभाव की कल्पना से दूर हटकर आगे बढ़ने की जिम्मेदारी लें। उन्होंने कहा कि हमने मनुष्य भव पाया है और हम तो यह कर ही सकते हैं कि मन को समझाकर उसे शांत रखें। अभाव की चिंता से दूर जागृत होकर जिम्मेदारी पूर्वक अपना सुधार करें। मन के अंदर असीम शक्तियां हैं वह प्रकट होने का रास्ता देखती है। अपने को अभाव से दूर हटाए और मन को अपनी शक्ति को बाहर लाने का मौका दें। निश्चित मानिए हमारा जीवन सफल होगा। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।