हर घर में एक संविधान होना चाहिए, जिसका पालन घर के बड़े भी करें
राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ) अक्टूबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि लाभ,अलाभ, शुभ, अशुभ में जो समान रहता है, वह वास्तव में सुखी होता है। यदि सुखी रहना है तो मर्यादा बांधों और उसका पालन करो। हिंसा में, वचन में , मर्यादा बांधों। अगर द्रौपदी नहीं कहती कि अंधे का पुत्र अंधा, यदि वह वचन से मर्यादित रहती तो महाभारत नहीं होता।
जैन संत श्री हर्षित मुनि ने आज समता भवन में अपने नियमित प्रवचन ने फरमाया कि हम सोचते हैं मर्यादित व्यक्ति दुखी होता है किंतु वास्तविकता यह है कि मर्यादित व्यक्ति ही सुखी होता है। अमर्यादित व्यक्ति ही दुखी होता है। हमें सुखी रहना है तो मर्यादा बांधे। मर्यादा बांधने से हमारे भीतर आत्मविश्वास पैदा होता है। मन को मर्यादा पसंद नहीं है, वह स्वतंत्र रहना चाहता है और हम हैं कि अपनी मर्यादा मन को सौंप देते हैं। हम विदेशियों की कॉपी कर रहे हैं और वह हमारी कॉपी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि हमें आत्मीयता के साथ सुखी रहना है तो घर में एक संविधान जरूर होना चाहिए और वह संविधान खाने के समय टीवी नहीं चलाने का, संयुक्त रूप से खाना खाने का, निश्चित समय में सोने का, होना चाहिए। इस संविधान का पालन बड़ों को भी करना चाहिए। मन मर्यादा से चलता है। एक बार मर्यादा बांध कर तो देखो, जीवन सुखी हो जाएगा।
जैन संत श्री हर्षित मुनि ने फरमाया कि मर्यादा बांधेंगे तो साधुत्व भी जागेगा। हमने मर्यादा को बंधन मान लिया है। वास्तविक में यही बंधन हमारे जीवन को सुधारता है। मर्यादा से हम मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। मर्यादा को हम छोटा ना माने। मर्यादित जीवन जिए तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आज के जीवन में गंभीरता चली गई है। जो व्यक्ति कर्तव्य पथ में जागरूक होता है, वह कठिनाई भी सहज ही सहन कर लेता है। हम अपने आपको उसका दास बनाएं जिसने आशा को अपना दास बनाया है। ऐसे परमात्मा का दास बनकर हम मर्यादित जीवन जिएं और जीवन को धन्य बनाएं। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।