दिग्विजय महाविद्यालय में मुक्तिबोध जयंती पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी संपन्न”

दिग्विजय महाविद्यालय में मुक्तिबोध जयंती पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी संपन्न”

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़)। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय में गजानन माधव मुक्तिबोध की 105 वीं जयंती पर प्राचार्य डॉ. के.एल.टाण्डेकर के मार्गदर्शन में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी सम्पन्न हुई। जिसका शीर्षक “मुक्तिबोध का साहित्य : युगबोध और प्रवृत्तियाँ” था।समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. विनय कुमार पाठक, पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुक्तिबोध का साहित्य तत्कालीन परिस्थितियों से उपजा था, भारत की स्वतंत्रता के बाद निर्मित परिस्थितियों से उनका मोह भंग हुआ जो उनकी रचनाओं में दिखता है।


कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अरुण कुमार यदु वरिष्ठ साहित्यकार, बिलासपुर ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि मुक्तिबोध के साहित्य ने अंधकार से नवजीवन के संचार के भाव को प्रेषित किया, उनकी रचनाएँ अनुभूति के आधार पार रची गई है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ राजन यादव, खैरागढ़ थे जिन्होंने मुक्तिबोध की कविताओ का वाचन किया।
संगोष्ठी के दौरान तीन तकनीकी सत्रों में शोध पत्रों का वाचन किया गया एवं एक खुले सत्र में मुकित्बोध की कविताओ का पाठ किया गया। संगोष्ठी के समापन सत्र में प्राचार्य डॉ. के. एल. टांडेकार ने अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कार सम्मानित किया। कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिक एवं साहित्यकार श्री कुबेर साहू, डॉ डी सी जैन, श्री आत्माराम कोशा,श्री गिरीश ठक्कर, श्री सरोज दिवेदी, श्री अखिलेश त्रिपाठी, श्री चंद्रशेखर शर्मा एवं अन्य उपस्थित रहे।
संगोष्ठी में अन्य महाविद्यालयों के प्रतिभागियों, विद्यार्थियों, प्राध्यापको एवं शोधार्थियों ने बड़ी सख्या में सहभागिता दी। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शंकर मुनि राय ने किया।

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