कुछ हम झुकें, कुछ तुम झुको… बात बन जाएगी …जब लोगों के मन छोटे होते हैं तभी एक घर से दूसरे घर का निर्माण होता है – संत ललित प्रभ जी

कुछ हम झुकें, कुछ तुम झुको… बात बन जाएगी …जब लोगों के मन छोटे होते हैं तभी एक घर से दूसरे घर का निर्माण होता है – संत ललित प्रभ जी

दुर्ग (अमर छत्तीसगढ़) पहले मकान छोटे होते थे पर दिल लोगों का बड़ा होता था आज मकान भले ही बड़े हो गए हैं लेकिन दिल अब छोटा रह गया है। टूटते हुए रिश्तो में मिठास कैसे घोले कि रिश्ता स्वर्ग से सुंदर बन जाए। जिस घर में माता पिता का सम्मान होता है माता-पिता को प्रणाम होता है वह घर हमेशा स्वर्ग से सुंदर होता है। जिनको जिंदगी जीनी आती है वह परिवार को स्वर्ग बना लेते हैं।

स्वर्ग को पाने के लिए मरने की आवश्यकता नहीं होती है अच्छे पुरुषार्थ और सत्कर्म से परिवारिक एकता को साथ में लेकर चलने से परिवार स्वर्ग से सुंदर हो जाता है । जब लोगों के मन छोटे होते हैं संकीर्ण मानसिकता के होते हैं तभी एक घर से दूसरे घर का निर्माण होता है । घर का छोटा होना तो आज अलग होने का एक बहाना है हम एक नजर डालें तो पता चलेगा भाई भाई को लूटने वाला आज कहानी के रूप में महाभारत हमारे सामने है और भाई भाई के बीच में प्यार लुटाने वाले की कहानी जिसे हम रामायण के रूप में याद करते हैं, सिर्फ मन को बड़ा रखने से ही घर एक मंदिर बन जाता है ।

उक्त उद्गार संबोधी समवशरण में धर्म सभा को संबोधित करते हुए महा उपाध्याय संत श्री ललित प्रभ जी महाराज ने व्यक्त की
बांदा तालाब स्थित संबोधी समवशरण में आज दिव्य सत्संग प्रवचन माला का आज दूसरा दिवस था।

श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के बैनर तले आयोजित दिव्य सत्संग सभा को रतन मुनि महाराज के सेवा भावी शिष्य श्री आदित्य मुनि जी ने कहा चिंता करने के लिए ढेर मौके हैं चिंतन के लिए समय निकालिए आपका जीवन समर जाएगा। जीवन जीने की कला को अपनाएं और अपना जीवन सफल बनाएं
शांतिपुरी प्रिय महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा जीवन में दुआ कभी साथ नहीं छोड़ती और बद्दुआ कभी पीछा नहीं छोड़ती दुआ की दौलत का संग्रह जीवन पर्यंत करते रहे ऐसे पुरुषार्थ से ऐसे परोपकार से जीवन को सफल बनाया जा सकता है दिव्य सत्संग सभा के पाठ पर साध्वी लयस्मिता जी महाराज अपने साध्वी समुदाय के साथ विराजमान थी

संत प्रवर श्री ललित प्रभ ने कहा जुड़े हुए को तोड़ने वाला कभी संत हो नहीं सकता टूटे हुए संघ को समाज को राष्ट्र को जोड़ने वाला व्यक्ति ही सही मायने में संत है ।
पैसे कमा लेने से ही व्यक्ति बड़ा नहीं होता मन बड़ा होना चाहिए जीवन में सबसे बड़ा आदमी वह है जिसके घर पर देव तुल्य देव तुल्य मां बाप विराजमान है । सभी अपने जीवन में इस बात का पूर्ण करें, प्रण करें प्रतिदिन सुबह उठकर मात पिता को दंडवत मस्तक झुका कर प्रणाम करने की आदत डालें। भले ही हम आज मोबाइल 4G नेटवर्क का चला रहे हो पर यह नेटवर्क कभी भी फेल हो सकता है ।

प्रभु गुरु माता पिता देव गुरु धर्म का का नेटवर्क जीवन पर्यंत बना रहता है यह नेटवर्क हर सुख दुख में आपके साथ आपके पास हमेशा खड़ा रहता है हमेशा अपनी कमाई का कम से कम 1% हिस्सा धर्म कार्यों में माता पिता की सेवा में लगाना चाहिए या माता-पिता जहां कहें वहां उस राशि का सदुपयोग करना चाहिए जिससे देव गुरु धर्म की कृपा आप पर हमेशा बरसती रहेगी ।

संत प्रवर ने कहा किसी ने मुझसे पूछा कि जिन लोगों के घर में माँ-बाप का स्वर्गवास वृद्धाश्रम में होता है, उन्हें सूतक कितने दिनों का लगता है? मैंने कहा- जिस दिन से उनके माँ-बाप वृद्धाश्रम गए उसी दिन से उन्हें आजीवन सूतक लग जाता है, क्योंकि उन्होंने माँ-बाप को अपने हाथों से रोटी नहीं खिलाई। बूढ़े लोगों की उम्र कितनी होगी यह उुपर वाला तय नहीं करता, यह घर के लोग तय किया करते हैं। जिस घर में बूढ़े माँ-बाप को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है, उसी का नाम नर्क है और जिस घर में बूढ़े माँ-बाप को पलकों पर बैठाया जाता है, उसी का नाम स्वर्ग है। सप्ताह में सात वार होते हैं ।

जिस घर में प्रेम वहां हर दिन ईद, दिवाली और होली-
संतश्री ने कहा कि साल में एक बार होली-दिवाली, ईद आती है, पर जिस घर में सुबह उठकर भाई-भाई आपस में गले मिलते हैं उस घर में साल के 365 दिन ईद होती है। जहां देवरानियों-जेठानियां एक थाली में भोजन करती हैं, उस घर में साल में 365 दिन होली होती है। जिस घर में बहुएं रात को अपने बेडरूम में जाने से पहले अपनी दादी के पांव और कमर दबाने जाया करती है, वहां दिवाली साल में एक दिन नहीं होती साल के 365 दिया हुआ करती है। भगवान करे, ये ईद, दिवाली, होली जैसे पर्व हमारे घरों में हमेशा मनते रहें। अपने घरों में एक चीज की दौलत हमेशा बढ़ाओ और वह है प्रेम की दौलत

माँ-बाप उपहार में आए हुए चलते-फिरते भगवान
संतप्रवर ने कहा कि किस्मत वाले होते हैं जिनके घर में बड़े-बुजुर्गों का साया होता है। बूढ़ा पेड़ फल तो नहीं देता, छाया जरूर देता है। वे किस्मत वाले होते हैं, जिनके घरों में बुजुर्गों की छाया होती है। यह सही है कि परिवार में पत्नी भगवान दिया हुआ उपहार है, उसको खूब प्रेम दीजिए पर माँ-बाप उपहार में आए हुए भगवान हैं, उनकी खूब सेवा कीजिए। अगर संत कभी झूठ नहीं बोलते तो मैं यही कहूंगा कि वे किस्मत वाले होते हैं जिनके घर में माँ-बाप के रूप में जीते-जागते भगवान हैं ।

सोमवार को सुबह 6:15 बजे संबोधि ध्यान योग क्लास का आयोजन होगा और सुबह 9 बजे बांधा तालाब में राष्ट्रसंत के अंतिम प्रवचन सत्संग होंगे। इस अवसर पर जीवन में सुख शांति समृद्धि बढ़ाने के लिए महा मांगलिक प्रदान की जाएगी।

आज संत ललित प्रभ जी महाराज दोपहर को पारस तीर्थ नगपुरा मंदिर दर्शन के लिए रवाना हुए कल प्रातः पुनः उनका संबोधी समवशरण बांधा तालाब दुर्ग में अंतिम प्रवचन होगा दोपहर बाद राजनांदगांव के लिए विहार होगा

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